अन्धविश्वास
अन्धविश्वास
बचपन से ही मुझे बताया गया था कि अगर सड़क पर चल रहे हो और काली बिल्ली रास्ता काट ले तो या तो सड़क पर आगे जाना ही नहीं है या फिर किसी दुसरे रास्ते से आगे जाना है या फिर थोड़ा पीछे जाकर फिर आगे जाना है। मुझे यह हमेंशा बकवास लगता था पर अगर कोई और साथ में हो तो करना ही पड़ता था।
एक बार कि बात है मैं ऑफिस में था और मेरे पास फ़ोन आया कि चाचा जी का एक्सीडेंट हो गया है, बहुत चोटें आई हैं और उनको अस्पताल लेकर जाना जरुरी है। मैं फ़ौरन वहां पहुंचा और चाचा जी को अम्बुलेंस में लेकर हॉस्पिटल जाने लगा। पर अचानक से एक काली बिल्ली ने रास्ता काट लिया और ड्राईवर ने फ़ौरन अम्बुलेंस रोक दी और वो दूसरे रास्ते की तरफ गाडी मोड़ने लगा। मुझे समझ नहीं आया कि क्या हुआ क्योंकि मेरा ज्यादा ध्यान चाचाजी पर था। ड्राईवर ने ही मुझे बताया कि क्या हुआ है।
उस समय रास्ता मोड़ने का मतलब था कम से कम आधे घंटे की देरी। मैंने ड्राईवर को इसी रास्ते पर चलने के लिए कहा तो वो मुझे ऐसे देखने लगा कि जैसे मेंरे सींग उग आये हों।
उसके शब्दों में, “चाचा जी की जान प्यारी नहीं है क्या?”
“भाई, जान प्यारी है तभी सीधे चलने को कह रहा हूँ, एक एक मिनट कीमती है। आप बस चलते रहो”
“आप सोच लो बिल्ली ने बुरा संकेत दिया है”
“आप बस सीधे चलाओ, जो होगा उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी होगी”
खैर, उसने आखिरकार गाड़ी सीधे ही आगे बड़ा दी। आपको पता है बाद में क्या हुआ?
हम अस्पताल समय से पहुँच गए। चाचाजी को सही इलाज मिला। डॉक्टर का कहना था कि अगर दो मिनट की भी देर होती तो चाचाजी को बचाना संभव नहीं होता।
इस बात को आज 6 साल हो गए है। अभी भी, मेरे चाचाजी पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। वो ड्राईवर भी स्वस्थ है बल्कि तरक्की करके टैक्सी का अपना धंधा शुरू कर चुका है। और मैं?
मैं अगर आपको यह किस्सा सुना पा रहा हूँ तो मैं भी ठीक ही हूँ और हमारे घर में अब सड़क पर चला जाता है, बिल्ली मौसी से डरा नहीं जाता।