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एकतरफा प्यार

एकतरफा प्यार

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एकतरफा प्यार हर किसी को किसी से लाइफ में एक बार जरूर होता है। कोई उसकी यादें सजो कर रखता है तो कोई आगे बढ़कर अपनी लाइफ में आगे बढ़ जाता है। मुझे भी किसी से एक तरफ मोहब्बत हुई। मेरी पूरी कहानी जानने के लिए ये कहानी पढ़े। बात उस समय की है जब रौनक यानी कि मैंने माध्यमिक शिक्षा उत्तीर्ण की थी। सन् 2011 की बात है, परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मैं अपनी बुआ जी के घर नैनिताल गया हुआ था। तो तय समय अनुसार मैं नैनीताल पहुंच गया और वह बस स्टेशन पर मेरे बुआ जी के बेटे यानी के भाई जिनका नाम प्रियंक है वो मुझे लेने पहुंचे। उसके बाद हम घर आये और सबसे मिलना जुलना हुआ। दूसरे दिन प्रियंक भैया ने मुझसे कहा के रौनक चलो तुम्हे नैनीताल घुमा देता हूं। बहुत समय के बाद आये हो तुम और तुम्हे सब कुछ घूमना है, तो आज से ही शुरु कर देते है। मैंन भी हामी भर दी, क्योंकि मुझे घूमने का बहुत शौक था।

पहले दिन हमने माँ नैना देवी के मंदिर से शुरुआत करने को सोचा। हम सुबह 8 बजे ही सुबह का नाश्ता करके मंदिर की तरफ निकल पड़े। और 8:25 पर हम मंदिर पहुंच गए। हमने मंदिर के बाहर की दुकानों से प्रशाद लिया और मंदिर के अंदर प्रवेश किया। हमने वहां माँ नैना देवी के दर्शन किये और फिर प्रियंक भाई से मैंने कहा के भाई चलो थोड़ी देर मंदिर के पार्क में बैठते है। हम पार्क में बैठे ही थे के कुछ समय बाद वहां कुछ लड़कियां आयी और बैठ गयी, उनमे से एक पर मेरी नज़र गयी तो उसकी सुंदरता को देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया ! उसको देखकर उसमे ही खो से गया और पता ही नही चला के कब मुझे उसे देखते हुए आधा घंटा हो गया। ये मुझे प्रियंक भाई ने जब मुझे उस स्वप्न सी परिस्थिति से जगाया तब बताया। उसके बाद हम घर वापस आ गए पर मेरा मन अब किसी काम मे नहीं लग रहा था। बस वो अनजानी लड़की मेरी आँखों मे बसी हुई थी, शायद अब वो अनजान न थी और मुझे पहली निगाह में उससे प्यार हो गया था। तो वो इंग्लिश में कहते है ना 'लव एट फर्स्ट साइट' हो गया था।

मेरी यह हालत देखकर प्रियंक भाई ने मुझसे सीधे शब्दों में कहा के भाई अनामिका के सपने मत देखियो वो तेरे बस की न है, मैं चौंक गया, मैंने भाई से पूछा के आप जानते हो क्या उसे तो वे बोले बहुत अच्छे से जानता हूं। वो अपने चौहान साहब है ना, मैंने उनसे पूछा अरे कौन चौहान साहब भैया तो वे आगे बोले अरे वो, अपने धर्मवीर सिंह चौहान नगर निगम अध्यछ उनकी लड़की है वो इसलिए बोलता हूं, के उसके ख्वाब मत देखना। पर सच्चाई तो ये थी के मैं उसे चाहकर भी नही भूल पा रहा था, एक जादू से कर दिया था उसने मुझ पर। और उससे मिलने की ललक लेकर मैं प्रियंक भाई के पास जाकर बोला के भाई आप जानते हो तो एक बार मुलाकात करवा दो ना। तो वे बोले पागल हो गया है क्या ! क्यों मरना चाहता है। मैंने भी सोच लिया था के एक बार तो उस लड़की से मिलकर ही रहूंगा चाहे जो भी हो। मैंने भैया को बड़ी मुश्किल से मनाया तो बोले ठीक है कल मैं शिवांशी ( अनामिका ओर प्रियंक भैया की दोस्त ) से बोलता हूं और कुछ सोचता हूं के कल कैसे मिलाना है तुझे।

दूसरे दिन सुबह के लगभग साढ़े आठ हो रहे थे मैं बालकनी में खड़ा होकर चाय पी रहा था और मन ही मन खुश हो रहा था, पर मन के किसी एक कोने में हल्की सी घबराहट भी थी। तभी प्रियंक भाई मेरे पास आकर कहते है के जल्दी से तैयार हो जा मंदिर जाना है। मैं जल्द से तैयार होकर भैया के साथ मंदिर के लिए निकल पड़ता हूं। पूरे रास्ते मैं इसी उधेड़बुन में रहा के कैसे मिलूंगा, मिलूंगा तो बात कैसे शुरू करूँगा, पहला प्रभाव कैसा पड़ेग अभी मैं इन सब खयालों में खोया हुआ ही था के पता नहीं चला के कब मंदिर आ गया। मंदिर के बाहर शिवांशी हमारा पहले से ही इंतज़ार कर रही थी। भैया ने मुझे शिवांशी से मिलवाया, उसके बाद शिवांशी ने मुझसे कहा के अनामिका अंदर ही है जाकर मिल लो पर हां उसे पता नही चलना चाहिए के मैंने तुम्हारी मदद की है उससे मिलने में। मैं, मंदिर के अंदर गया तो देखा के अनामिका मंदिर में हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रही थी। मैं भी उसके साथ में ही खड़ा हो गया और प्रार्थना करने लगा और तिरछी नज़रों से उसे देखने लगा तकरीबन 5 मिनट बाद उसकी प्रार्थना खत्म हुई। जिसके बाद वो पार्क में जाकर बैठ गयी और वहां खेलते हुए छोटे छोटे बच्चों को बड़े लाड़ से निहारने लगी। मैं भी उसके बाद पार्क में जाकर उसी बेंच पर बैठ गया जिसपर वो बैठी थी। थोड़ी देर उसे निहारने के बाद मैंने बात करने की शुरुआत की।

मैं - हेलो

अनामिका - हाय ( मेरी ओर अनजानी नज़रो से देखते हुए )

मैं- यू आर लुकिंग सो ब्यूटीफुल।

अनामिका - थैंक्स। डू आई नो यू ?

मैं- आई एम रौनक, रौनक मल्होत्रा। व्हाट इज़ योर नेम ?

अनामिका - सॉरी, मैं अनजान लोगों से बात नही करती।

मैं- ओह वैसे मैं भी अनजान लोगों से बात नही करता।

अनामिका - ओह तभी लगातार बोले जा रहे हो।

मैं - वो तो मैं यहां अनजान हूँ, पहली बार आया हूँ, शहर तो यहाँ तो सब कुछ अनजान ही है।

अनामिका- वैसे बाते अच्छी और बहुत करते हो।

मैं - थैंक्स फ़ॉर कॉम्पलिमेंट।

अनामिका - हा हा हा हा हा

मैं - अब तो नाम बता दो।

अनामिका - अनामिका। अनामिका चौहान तुम्हारी स्टाइल में।

मैं- हा हा हा हा हा हा हा

अनामिका - पहली बार आये हो नैनीताल ?

मैं - हांजी। वैसे तो मेरी बुआ जी का घर है यहाँ पर मैं पहली बार आया हुँ।

अनामिका - अच्छा जी।

हम बात करते करते मंदिर से बाहर आ गए थे अब।

मैं- सुना है के यहाँ मोमोज़ बहुत टेस्टी मिलते हैं।

अनामिका- जी बिल्कुल सही सुना आपने।

मैं- क्यों न एक, एक प्लेट मोमोज और साथ मे कोल्डड्रिंक हो जाए।

अनामिका - हां क्यों नहीं।

उसके बाद हम वहां एक रेस्तरां में गए और मोमोज़ के साथ कोल्डड्रिंक का आनंद लिया। सच बताऊँ तो मुझे तब एहसास हुआ के ये प्यार कितना ही प्यारा होता है। पहले हम कभी कभी मिलते थे। जब तीन चार महीने में मैं नैनीताल जाता तो एक बार मुलाकात हो जाती या कभी कभार फेसबुक पर बाते हो जाती थी। धीरे-धीरे यूँ ही समय बीतता गया और फिर अप्रैल 2015 में नैनीताल गया। 3 महीने की छुट्टी पर। मैं बहुत खुश था, के काफी समय बाद ढ़ेर सारा वक्त एक साथ बिताएंगे। मेरे लिए तो वो अब सब कुछ हो चुकी थी, पर शायद मैं आज भी उसके लिए एक दोस्त सिर्फ एक दोस्त था। इस बार मैंने सोच लिया था के चाहे जो हो जाये अपने दिल की बात उससे कह ही दूंगा। 6 अप्रैल 2015 को मैं नैनीताल अपनी बुआ जी के घर पहुंच गया। घर पहुंचा तो पता चला के बुआजी पंजाब गयी है गुरुजी के सत्संग में, सिर्फ प्रियंक भैया ही थे घर पर। चूंकि मैं घर देर रात पहुंचा था तो खाना खा कर सीधे सो ही गया। दूसरे दिन मेरी आँख सुबह 9 बजे खुली। मैं जब उठा तो देखा फ़ोन में अनामिका के बहुत से मैसेजेस पड़े थे। जैसे के पहुंच गए, किस टाइम पहुंचे, जाग कर कॉल करना वग़ैरा, वगैर। मैं उठकर सब नित्य कर्म करके ब्रेकफास्ट किया और प्रियंक भैया से बोले चलो मंदिर चलकर माता के दर्शन करके आते है।

प्रियंक भैया ने कुटिल मुस्कान के साथ बोले "कौन सी माता जी, अनामिका माता या वास्तव में नैना माँ के दर्शन करने चलना है।"

मैंने हंसते हुए कहा "भैया चलो तो दोनों के दर्शन कर लेते है।"

भैया - तुम बेटा अपने साथ हमारी भी इज़्ज़त का भाजी पाव करवाओगे। मैं, नहीं जा रहा तुमको जाना है तो अकेले जाओ। मैंने भैया से जोर देकर कहा के भैया चलो ना कुछ नही होगा और आप साथ होंगे तो मुझे कॉन्फिडेंस मिलेगा। भैया ने फिर मुझे देखकर गुस्से में बोला- 'अबे तेरे दिमाग मे चल क्या रहा है बे, और कैसा ? और किसलिए कॉन्फिडेंस चाहिए बे ?' पर अंत में भैया चलने के लिए मान गए। हम अगले पंद्रह मिनट में मंदिर पहुंच गए।अनामिका को मैंने पहले ही फ़ोन करके बोल दिया था, के आज मंदिर में मिलते है। कुछ अर्जेंट बात करनी है उससे। तो वो वहां पहले से ही पहुंच चुकी थी। मैंने और भैया ने माता रानी के दर्शन किये और उसके बाद मैंने भैया से बोला के आप चले जाओ घर मैं थोड़ा रुक कर आऊंगा। भैया बोले देख रौनक संभल के रहिये, कोई टेंसन वाली बात हो तो मुझे फ़ोन कर लेना।मैंने कहा- जी भैया आप परेशान मत हो। उसके बाद भैया घर चले गए और मैं पार्क की तरफ चल पड़ा जहा अनामिका पहले से ही बैठी हुई मेरा इंतेज़ार कर रही थी। मैंन रास्ते से एक लाल गुलाब का फूल लिया और उसकी तकरफ चल पड़ा। मैंने देखा वो आज बहुत ज्यादा ही खुश दिख रही थी। उसके चेहरे की मुस्कुराहट देखकर मुझमे कॉन्फिडेंस आ गया। मुझे लगा के शायद आज सही मौका है, और किस्मत भी यही चाहती है।

मैं -अनामिका के पास पहुंचा।

मैं - हे अनू।

अनामिका- हाय रौनक। मैंने इतने मेसेजस किये तुमको मैंने कोई रिप्लाई नहीं। सीधे बोल दिया के मंदिर में मिलो अर्जेंट है। ऐसा भी क्या अर्जेंट था।

मैं -उसे बोलते देख मुस्कुरा रहा था।

अनामिका- ऐसे क्या मुस्कुरा रहे हो। अच्छा सुनो, मुझे तुम्हे एक सरप्राइज देना है।

मैं- कैसा सरप्राइज ?

अनामिका: किसी से मिलवाना है तुम्हे।

मैं सोच में पड़ गया के ऐसा क्यों है भाई। अनामिका किसी को बुलाती है।

अनामिका- गौरव कम हेयर। मीट माई बेस्ट फ्रेंड रौनक। एंड रौनक ही इज़ माई बॉयफ्रेंड गौरव। मैं सन्न रह गया। मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया कुछ पल के लिए और आंखों से आंसू तो जैसे निकलने ही वाले थे। मैंन किसी तरह अपने आंसुओ को रोका। और मुझे एक पल के लिए लगा के मेरी सारी दुनिया ही उजड़ गयी।

अनामिका - कहा खो गए मिस्टर।

मैं- कही नहीं बस यूँ ही। वैसे नाइस चॉइस। हाय गौरव। मैंने गौरव से हाथ मिलाया।

गौरव- चलो किसी रेस्टॉरेंट में बैठकर कुछ खाते पीते हुए बात करते है। मैंने कहा हां चलो यही एक पास में अच्छा रेस्टोरेंट है वही चलते है। हम तीनों वहां एक रेस्टोरेंट में गए और तीन कॉफ़ी के लिए बोला।

गौरव : तो रौनक भाई आप क्या करते हो।

मैं: बस यार अभी ग्रेजुएशन पूरा किया है, अब देखते है के आगे क्या करना है।

अनामिका-तुम सिंगिंग में ट्राय करो। मुझे भरोसा है तुम जरूर कामयाब होगे।

मैं: थैंक्स अनू।

गौरव : रौनक भाई अनू तो आपकी ही बात करती रहती है। बहुत तारीफ करती है। कभी कभी तो मुझे भी जलन होने लगती है हा हा हा हा हा हा

अनामिका- तुम भी गौरव

मैं- अभी भी खुद को समझा नही पाया था।

अनामिका- क्या हुआ रौनक अचानक तुम्हारे मुंंह पर इतनी उदासी क्यों ?

मैं- नहीं ऐसा कुछ नही है, बस थोड़ी तबियत अच्छी नही लग रही।

अनामिका- ओह क्या हुआ ?

मैं- कुछ नही बस बुखार से लग रहा।

गौरव- दवा लेलो भाई।

मैं- हां, जाकर ले लूंगा। अब तक हमारी कॉफी भी खत्म हो चुकी थी। मैंने सोचा अब यहां से निकल जाना चाहिए।

मैं- तुम लोगों से मिलकर बहुत अच्छा लगा।अब मुझे निकलना होगा। घर पर कोई नहीं है।

गौरव- ओके भाई, हमे भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।

अनामिका- कुछ देर और रुकते साथ मे लंच करके निकलते।

मैं- लंच फिर कभी, अभी मुझे निकलना होगा।

अनामिका- ठीक है, जैसा तुम्हे ठीक लगे ( मुंह बनाते हुए ) मैं जाने के लिए जैसे ही पीछे मुड़ा मेरे जेब से वो लाल गुलाब का फूल नीचे गिर पड़ा।

अनामिका- रौनक तुम्हारी पॉकेट से ये फूल गिर पड़ा। वैसे ये इतना खूबसूरत फूल किसके लिए लाए थे, या किसी ने दिया था। देखो, जेब मे डालकर क्या हालत कर दी तुमने उसकी।

मैं- अरे वो ऐसे ही बस अच्छा लगा था तो ले लिया था।

अनामिका- तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो रौनक। क्या तुम अपनी बेस्ट फ्रेंड से बाते छुपाओगे अब।

मैं- अरे नहीं, अनू ऐसा कुछ भी नही है। इतना कहकर मैं वहां से तुरंत घर के लिए निकल गया। घर पहुंचकर अपने रूम में जाकर लेट गया। मुझे अब भी कुछ समझ नही आ रहा था। के वो लडक़ी जिससे मैं प्यार करता हूं। वो किसी ओर से प्यार करती है। 'कुछ देर बाद प्रियंक भैया रूम में आते है '

भैया- क्या हुआ मेरे आशिक ? कैसी रही मुलाकात ?

मैं- भैया कुछ नही बस अच्छी रही मुलाकात।

भैया- तूने अपने दिल की बात बोली उससे।

मैं- वो किसी और से प्यार करती है ।

भैया- क्या ? तूने उससे बोला या नहीं।

मैं- क्या बोलता भाई, उसने मेरे बोलने से पहले ही बता दिया। जो भी हुआ अच्छा हुआ ।

भैया- खाक अच्छा हुआ। तुझसे अच्छा लड़का उसे कोई नहीं मिल सकता।

मैं, भैया गौरव परफेक्ट लड़का है अनू के लिए।

भैया- तो जनाब उस लड़के से भी मिल आये।

मैं: वो मुझे मिलने के लिए उसे वही लायी थी।

भैया: चल कोई ना, चिल कर। चल मोमोज़ खाकर आते है।

मैं- नही भैया अभी मेरा मन नहीं है।

भैया, मैं उससे प्यार करता हूँ। और वो गौरव से उसमे किसी की कोई गलती नहीं हम दोनों अपनी अपनी जगह सही है। जरूरी तो नहीं के हम जिससे प्यार करें वो भी हमसे प्यार करें। और भैया प्यार में सिर्फ किसी को पाना ही तो प्यार नहीं होता किसी को खोकर भी उसे प्यार करना भी तो प्यार होता है ना। मैं उससे प्यार करता हूं। ये मेरा प्यार है। ओरो की तरह ये दो लोगों में बटेगा तो नहीं। इसपर सिर्फ मेरा हक़ है। भैया ने ये बात सुनकर मुझे गले लगा लिया और बोले "यार तू तो सच मे बड़ा दिलवाला है, प्यार क्या होता है आज तूने सीखा दिया। जियो मेरे भाई"

रात का समय था लगभग 8 बज रहे थे मेरे फ़ोन पर एक कॉल आयी। जब देखा तो पाया के वो अनामिका की कॉल थी। मैन कॉल रिसीव की तो उधर से अनामिका की आवाज आई।

अनामिका- रौनक मैं ये क्या सुन रही हूं।

मैं- क्या हुआ ? क्या सुना तुमने और मुझसे क्यों पूछ रही हो ?

अनामिका- शिवांशी ने मुझे बताया के तुम मुझसे प्यार करते हो और आज तुम वही बोलने आये थे, मंदिर में क्या ये सच है ?

अनामिका- रौनक मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ।

मैं- क्या फर्क पड़ता है, अब इससे के ये सच है या झूठ है।

अनामिका- मतलब शिवांशी सच बोल रही थी ?

मैं- नहीं, वो झूठ बोल रही है। मैं तुमसे प्यार नही करता। ( मेरा गला रुंध गया था )

अनामिका- शिवांशी नहीं तुम बोल रहे हो झूठ। रौनक अब तुम मुझसे छिपाओगे।

मैं- हां करता हुं। मैं तुमसे प्यार और हमेशा करता रहूंगा।

अनामिका- कब से ?

मैं- इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं।

अनामिका- मैंने पूछा कब से ?

मैं- हमेशा से, जब से देखा था तुम्हें पहली बार।

अनामिका- रौनक मुझे माफ कर देना पर मैं गौरव से बहुत प्यार करती हूं। और हम बहोत जल्द शादी भी करने वाले है। प्लीज मुझे भूल जाओ। और अपनी लाइफ में आगे बढ़ो। और हम हमेसा एक अच्छे दोस्त की तरह हमेसा साथ होंगे।

मैं- अनामिका मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। पर ये मेरा प्यार है और मैं इस प्यार में खुश हूं। तुम अपनी लाइफ में खुश रहो। और मैं अपनी लाइफ में। और आज के बाद तुम्हे इस बारे में कुछ सोचने की भी जरूरत नहीं। मान लो के हम कभी मिले ही नहीं थे।

अनामिका- मतलब क्या है तुम्हारा रौनक ?

मैं- मैं, तुम्हारी लाइफ से हमेसा के लिए दूर जा रहा हूं। और आज के बाद हमारी कोई मुलाकात नही होगी।

अनामिका- तो क्या तुम अपने इस दोस्त को हमेसा के लिए छोड़ कर चले जाओगे।

मैं- जाना जरूरी हो गया है अब अनू। बाय अनू अपना ख्याल रखना। ये बात कहकर मैंने काल काट दी। मेरे लिए भी अनू से दूर जाना नामुमकिन था। और मेरा जाना बहुत जरूरी था। क्योंकि शायद अब हमारी दोस्ती में प्यार आ गया था। एकतरफा प्यार जिससे शायद हमारे बीच पहले जैसी दोस्ती न रहती। आज दो साल से ज्यादा हो गया है । मैं नैनीताल नही गया। इस डर से के कही हमारी राहे टकरा न जाये और मैं उससे नज़रे भी न मिला पाउ। प्रियंक भैया से पता चलता रहता है के अनामिका और गौरव वही नैनीताल में सेटल हो गए है और उनकी शादी को 1 साल से ज्यादा हो गया। और उनका एक बेहद ही क्यूट बेटा भी है, जिसका नाम उन्होंने रौनक रखा है। अनू भी मेरे बारे में अक्सर प्रियंक भैया से पूछती रहती है, पर प्रियंक भैया हमेसा उससे कह देते के पता नहीं कहा रहता है ।

मेरे दिल मे आज भी उसके लिए उतना ही प्यार है जितना पहले दिन था। शायद यही वजह है के मैं उससे मिलने की हिम्मत नही जुटा पाता। बस भगवान से मेरी यही दुआ है के वो जहां भी रहे बस खुश रहे।


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