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सच्चा साथी

सच्चा साथी

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पिछले एक-डेढ़ साल का समय सुचित्रा के लिए जितना सुकूनभरा रहा, उतना सुकून उन्हें पूरी जिंदगी में नहीं मिला होगा। दुर्भाग्यवश बचपन में ही उनके माता-पिता का साया उसके सिर से छीन गया था। क्रूर चाची के अत्याचार सहते हुए उनका पूरा बचपन बीता। हालाँकि सुचित्रा के चाचा जरूर सज्जन व्यक्ति थे और उन्हें अपनी खुद संतानों के समान स्नेह करते थे लेकिन वे इतने सीधे और कमजोर थे कि सुचित्रा को चाहकर भी अपनी पत्नी के अत्याचारों से नहीं बचा पाते थे। पर उन्होंने इतना बहादुरी भरा काम किया कि उन्होंने सुचित्रा के विवाह में अपनी पत्नी की मनमानी नहीं चलने दी। उनकी पत्नी सुचित्रा का विवाह अपने भाई के शराबी, आवारा और निकम्मे लड़के से करवाना चाहती थी किन्तु सुचित्रा के चाचा ने बड़ी गोपनीयता से एक योग्य लड़का खोजकर गुपचुप तरीके से उसके साथ सुचित्रा का विवाह करवाकर उन्हें विदा कर दिया। हालाँकि इस नेक काम की एवज में उन्हें कई रातों तक पड़ोसी के घर सोना पड़ा था।

विवाह के बाद भी सुचित्रा की बदकिस्मती ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनके हाथों की मेहंदी का रंग उड़ने से पहले ही माँग का सिन्दूर उजड़ गया। पति के आगे-पीछे भी कोई नहीं था, पर वे सुचित्रा और उसके कोख में पल रहे बच्चे को सिर छिपाने के लिए एक पुस्तैनी मकान छोड़ गए थे। लेकिन दैनिक गुजर-बसर की समस्या के साथ-साथ अपने बच्चे को जन्म देकर उसके परवरिश की भी समस्या सामने खड़ी थी। चाचा-चाची के अलावा कोई करीबी रिश्तेदार भी नहीं था जिसके पास जाकर अपने बच्चे को जन्म दे सकें और चाचा-चाची के घर जाने के नाम पर उनकी रूह काँप उठती थी।

इस मुश्किल घड़ी में उनके मकान से तीन-चार मकान के बाद एक छोटे से किराए के कमरे में सिलाई सेंटर चलानेवाली कमला ने बिना माँगे उनकी मदद करके इन्सानियत की मिसाल पेश की। कमला ने उन्हें काफी कम समय में सिलाई का काम भी सीखा दिया और सिलाई के लिए शुरुआत में अपने ग्राहकों के कपड़े भी दिए। इतना ही नहीं, सुचित्रा ने जब अपने बेटे राहुल को जन्म दिया, तब कमला ने सगी बहन की तरह सुचित्रा की देखभाल की। आगे भी कमला, सुचित्रा की समय-समय पर मदद करती रही। ये सब कमला ने सुचित्रा से हमदर्दी होने के कारण किया। कमला विधवा तो नहीं थी पर उनका पति एक नम्बर का निकम्मा और शराबी था, इसलिए वे भी लगभग विधवा जितनी ही असहाय थी और अक्सर एक असहाय अपने जैसे असहाय के साथ सगे-सम्बंधियो जैसा गहरा रिश्ता जोड़ लेते हैं। कमला का सुचित्रा से कोई नैसर्गिक रिश्ता न होने के बावजूद सगी बहन की तरह सुचित्रा की नि:स्वार्थ भाव से मदद के पीछे भी यही एकमात्र कारण था।

कमला की मदद और सुचित्रा की खुद की मेहनत से सुचित्रा की किस्मत बदल चुकी थी। उनका बेटा राहुल अपनी कुसाग्र बुद्धि और समझ-बुझ से बैंक से उच्च शिक्षा के लिए लोन लेकर डेढ़ साल पहले एम डी की डिग्री प्राप्त कर चुका था और डिग्री लेते ही शहर के एक बड़े प्रायवेट अस्पताल में अच्छी खासी सैलरी पर नौकरी भी करने लग गया था, पर बेचारी कमला की स्थिति में जरा भी सुधार नहीं आया। ऊपर से जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी उनकी इकलौती बेटी विनीता की शादी के लिए योग्य लड़का तलाशने और उसकी शादी के खर्च के लिए धन जुटाने की चुनौती उनके सामने खड़ी हो चुकी थी।

सुचित्रा के पास कमला का अहसान उतारने के साथ-साथ विनीता जैसी सुंदर, सुशील और विनम्र लड़की को अपनी बहु बनाने का सुनहरा अवसर था जिसे उन्होंने हाथ से जाने नहीं दिया और कमला को अपनी मन की बात बता दी। कमला को लगा जैसे उनकी किस्मत ही खुल गई। वे खुद भी यही चाहती थी लेकिन इसे कहीं सुचित्रा ऐसा न समझ लें कि कमला उनसे अपनी मदद का बदला माँग रहीं हैं, ये सोचकर अपने दिल की बात जुबान पर नहीं ला पा रही थी, पर जब सुचित्रा ने खुद प्रस्ताव रख दिया तो दुविधा का कोई प्रश्न ही नहीं रह गया। कमला ने अपने पति या बेटी से पूछे बिना ही हाँमी भर दी क्योंकि उनकी बेटी का उनके इस फैसले से असहमत होने की उन्हें रत्तीभर भी सम्भावना नहीं थी और शराबी पति से पूछने का कोई मतलब नहीं था। वो तो विनीता को बला समझकर किसी के भी पल्ले बाँधकर टालने के मूड में था ताकि खुलकर अय्याशी कर सकें।

विनीता को राहुल से उसकी शादी तय होने की बात पता चली तो वह खुशी से फूली न समाई क्योंकि वह तभी से राहुल से मन ही मन प्यार करती आ रही थी, जबसे वह प्यार का मतलब समझने लगी थी, पर अपने शर्मिले स्वभाव की वजह से राहुल से कभी अपने दिल की बात कह नहीं पाई थी।

राहुल को जब अपनी माँ के फैसले के बारे में पता चला तो वह बेहद परेशान हो गया। सुचित्रा के पूछने पर उसने बताया कि वह और उसकी क्लासमेट रह चुकी संजना एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे से शादी करने का फैसला भी कर चुके हैं। ये बात सुनते ही सुचित्रा भी बेहद परेशान हो गई। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि करे तो क्या करे। एक तरफ अपने इकलौते बेटे की खुशियाँ और दूसरी तरफ उस महिला को दिया हुआ वचन जिसने उसकी बिना किसी स्वार्थ के किसी सगे-सम्बंधी से बढ़कर मदद की। राहुल भी कमला के अहसानो की कीमत समझता था और अपनी माँ के धर्मसंकट को भी अच्छी तरह समझ रहा था, लेकिन वह भी कोई निर्णय ले पाने की स्थिति में नहीं था क्योंकि वह न तो अपनी माँ को कमला के सामने शर्मिन्दा होने के लिए उनके हाल पर छोड़ सकता था और न संजना से किया प्रामिश तोड़ सकता था। वह इस बात के लिए मन ही मन पूछता रहा था कि अपने और संजना के सम्बंधो के बारे में अपनी माँ को पहले क्यों नहीं बताया। वहीं सुचित्रा इस बात के लिए मन ही मन पछता रही थी कि उन्होंने राहुल से पूछे बिना उसका रिश्ता विनीता से क्यों तय कर दिया। लेकिन, उन दोनों ने इस समस्या के बारे में आपस में कोई बात नहीं की क्योंकि दोनों ही जानते थे कि आपस में घंटों चर्चा करने से भी इसका कोई हल नहीं निकलने वाला हैं।

अगले दिन सुबह भी दोनों मन ही मन परेशान होते रहे लेकिन इस समस्या पर आपस में कोई बात नहीं की। राहुल आधे-अधुरे मन से जैसे-तैसे तैयार होकर अपनी बाइक से अस्पताल के लिए रवाना हो गया और सुचित्रा पूजाघर में भगवान के सामने बैठकर इस मुश्किल समस्या का हल निकालने के लिए प्रार्थना करने लगी, लेकिन अभी वह भगवान से ठीक तरह से प्रार्थना कर भी नहीं पायी थी कि कालोनी के एक लड़के ने आकर ये बुरी खबर उसे सुना दी कि राहुल का कालोनी की रोड और शहर की मेनरोड के ज्वाइन्ट पर एक्सीडेन्ट हो गया हैं। सुचित्रा को लगा कि नियति ने फिर उनके साथ क्रूर मजाक किया हैं। वे बदहवाश सी घर से निकलकर नंगे पाँव ही मेनरोड की तरफ दौड़कर जाने लगी, लेकिन कालोनी के एक सज्जन ने उन्हें रोककर अपनी मोटरसाइकल पर बिठा लिया और मेनरोड की ओर लेकर चले गए।

राहुल को एक्सीडेन्ट होने से पूरे डेढ़ माह बाद अस्पताल से छुट्टी मिली लेकिन इस घोषणा के साथ कि वह अब कभी भी बिना सहारे के न खड़ा हो पाएगा और न चल पाएगा। राहुल को उसी अस्पताल में एडमिट किया गया था जहाँ वह नौकरी करता था। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान सुचित्रा, कमला और विनीता के अलावा संजना ने भी राहुल की काफी देखभाल की। इस दौरान कमला और विनीता तो राहुल और संजना के सम्बंधो के बारे में जान गईं लेकिन उन दोनों या सुचित्रा अथवा राहुल ने संजना के सामने यह जाहिर नहीं होने दिया कि राहुल की विनीता के साथ शादी तय हो चुकी हैं। शायद राहुल और संजना के प्यार के बारे में जानने के बाद कमला और विनीता तो ये मान बैठी थी कि इस रिश्ते के टूटने की औपचारिक घोषणा ही बाकि हैं, पर इसके बावजूद भी उन दोनों निष्कपट मन से राहुल की देखभाल में सुचित्रा की मदद की थी। राहुल को घर लेकर आने के बाद भी दोनों नियमित रूप उसका हालचाल पूछने आती रहीं लेकिन अस्पताल से घर लौटने के बाद से संजना का कहीं कोई पता नहीं था। एक दिन राहुल ने फोन करके मिलने न आने की वजह पूछी तो उसने साफ शब्दों में कह दिया कि वह उससे इसलिए मिलने नहीं आ रही है, क्योंकि वो राहुल को भूल जाना चाहती हैं और वह उसे भूलना इसलिए चाहती है, क्योंकि वह ऐसे लड़के के साथ शादी करके अपनी जिंदगी खराब नहीं कर सकती जो जिंदगी भर बिना सहारे चल-फिर नहीं सकता हो।

जब राहुल ये बात अपनी माँ को बताई तो उनकी दुविधा तो खत्म हो गई, लेकिन उन्हें ये लग रहा था कि कहीं कमला और विनीता भी राहुल के साथ विनीता की शादी करने से इन्कार न कर दे, पर उनकी आशंका निराधार निकली। दोनों राहुल से विनीता का रिश्ता तोड़ना जरूर चाहती थीं, मगर राहुल की खुशी और सुचित्रा को धर्मसंकट से बाहर निकालने के लिए, लेकिन जब उन्हें पता चला कि संजना ने खुद रिश्ता तोड़ दिया तो उन दोनों अपना इरादा बदल दिया। दरअसल कमला का मानना था कि राहुल उसके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं क्योंकि उन्हें शादी के तीन-चार साल बाद भी संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ था। उन्होंने अपनी हैसियत के अनुसार काफी इलाज भी कराकर देख लिया था किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ, मगर जैसे राहुल का जन्म हुआ, कमला बिना किसी उपचार के नैसर्गिक तरीके से गर्भवती हो गई, इसलिए उन्हें राहुल से काफी ज्यादा लगाव था और वे मुसीबत में उससे पल्ला नहीं झाड़ना नहीं चाहती थी, पर उन्होंने विनीता पर राहुल से बदले हुए हालात में भी शादी करने के लिए कोई दबाव नहीं डालना चाहती थीं, लेकिन विनीता का भी राहुल के प्रति प्यार सच्चा था। वह भी मुसीबत के समय उसका साथ नहीं छोड़ना चाहती थी। विनीता का राहुल के प्रति सच्चा प्यार और कमला का अपने बेटे के प्रति अद्भुत लगाव देखकर सुचित्रा की आँखें भर आई और राहुल तो ये जानकर खुशी के मारे एक्सीडेन्ट से पहले की तरह बिलकुल सीधा खड़ा हो गया।

"ये सब नाटक था।" तीनों को हैरत में डूबा देखकर राहुल ने बताया।

"मतलब, तुम्हारा एक्सीडेन्ट और अस्पताल में एडमिट होना...?"

"वो सब असली था।" राहुल ने अपनी माँ की बात बीच में काटकर जवाब दिया- "मेरा उस दिन टेन्शन की वजह से एक्सीडेन्ट तो हुआ था और मुझे अस्पताल ले जाकर एडमिट करने की जरूरत भी थी पर मुझे इतनी सीरियस इन्जुरिज नहीं आई थी कि जिदंगी भर बिना सहारे के खड़ा न हो सकूँ। मेरा बिना सहारे के खड़े न हो पाना और अस्पताल के आर्थोपैडिक सर्जन का जिंदगी भर ऐसे ही रहने की घोषणा करना, एक नाटक था जो मैंने अपना ट्रीटमेन्ट करने वाले आर्थोपैडिक सर्जन जो हैं तो मुझसे काफी सीनियर, लेकिन मेरे लिए हमउम्र दोस्त की तरह ही हैं, की मदद से किया था जिसका मकसद था, संजना या विनीता में से कोई एक पीछे हट जाए और हम दोनों माँ-बेटे इस धर्मसंकट से बाहर निकल जाएँ कि संजना या विनीता में से किसे सलेक्ट करें और किसका दिल तोड़े। साथ ही इस बात की भी परीक्षा भी लेना कि कौन सुख के साथ-साथ दुख का भी साथी हैं और कौन सिर्फ सुख का साथी हैं।"

"और इस परीक्षा मे मेरी पसंद पास हो गई और तुम्हारी पसंद फेल हो गई।" कहकर सुचित्रा ने विनीता का हाथ राहुल के हाथ में दे दिया, जिसे राहुल ने खुशी-खुशी हाथ थाम लिया।

"तुम्हें मैं पसंद तो हूँ न ?" सुचित्रा और कमला के उन दोनों को अकेला छोड़कर कमरे से बाहर निकल जाने के बाद राहुल ने विनीता से सवाल किया।

"नहीं।" विनीता ने शरारती मुस्कान चेहरे पर बिखेरते हुए जवाब दिया।

"तो तुमने मुझसे शादी करने के लिए अपनी कन्सेंट क्यों दी ?"

"मैं किसी और से शादी करके सुचित्रा मौसी का साथ नहीं छोड़ना चाहती थीं, इसलिए।"

"पर मैं ऐसी लड़की को अपनी लाइफ पार्टनर नहीं बना सकता जो मुझे पसंद नहीं करती हैं। मैं अभी मम्मी और कमला आन्टी को बुलाकर कह देता हूँ कि मुझे ये रिश्ता मंजूर नहीं हैं। बुलाऊ उन्हें ?"

"अरे, रूकिए। मैं मजाक कर रही थीं।"

"तो बोलो, आई लाइक यू।"

"आई लाइक यू।"

"अब बोलो, आई लव यू।"

"साॅरी, मैं ये नहीं बोल पाऊँगी।"

"लगता है, मम्मा और आन्टी को बुलाना ही पड़ेगा।"

"रूकिए...।"

"रूक जाता हूँ लेकिन सिर्फ दस सेकंड के लिए।"

"आई लव यू ।"

"आई लव यू टू ।" कहकर राहुल ने अपनी बाँहे फैला दीं, जिसमें विनीता समा गई।


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