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Rajpal Kaushik

Romance

5.0  

Rajpal Kaushik

Romance

साया और माया

साया और माया

9 mins
499


सोचा था तुमसे दूर हूँ आ तो मर जाऊंगा सोचा था साथ छूटा तो सांस भी टूट जायेगी। सोचा थी की ऐसा तो कभी हो ही नहींं सकता तुमसे दूरी तो हो ही नहींं सकती। तुमसे लड़ाई होती थी वजह से भी होती थी बेवजह भी होती थी सोचता था ये तो इश्क़ की खूबसूरती है रूठना मानना तो चलता रहता है। लेकिन वो दिन भी आ गया जब मुझे सच में महसूस हूँ आ कि तुम दूर चली गयी हो जब तक कुछ समझ पाता साँसों ने जिद्द कर डाली के वो वजह ही खत्म हो गयी जिससे हम चलते है दिल भी धड़कने से मना कर रहा हो जैसे मैंने भी इरादा ही छोड़ दिया जीने का एक पल में ही कोमा में चला गया हूं जैसे।

लग रहा था सांस तो चल रही है लेकिन मैं जिन्दा नहीं हूँ। मेरा एक एक पल 100 साल जैसा कट रहा था समय था कि कटने का नाम ही नहीं ले रहा था फिर मुझे लगा जिंदगी इतनी बड़ी क्यों है फिर महसूस हूँ आ इंसान बनना कितना मुश्किल काम है फिर लगा कि एक इंसान ही पूरी दुनिया था और अब मेरे लिए दुनिया होकर भी नहींं है।

इतना अकेला हो गया जैसे बहूँ त बड़े समुद्र में मैं अकेला तैर रहा हूँ और हजारों मील तक कोई किनारा भी नहींं है और फिर जैसे मैंने जीने की आश छोड़ दी हो जैसे मुझे ना किनारे लगने की चाह रही ना तैरने की।

वो दिन मुझे आज भी याद हैं जब मेरे पास सब कुछ था जो एक आम इंसान के पास होता है यानी मेरे आस पास के हिसाब से मेरे पास सारी खुसिया थी तुम तो नहींं थी लेकिन तुम्हारे अलावा भी कोई था लेकिन फिर भी जाने क्यों एक अजीब सी कमी महसूस होती थी लगता था कुछ तो है जो मुझे मुक्कमल नहींं होने दे रहा और फिर धीरे धीरे ये कश्क बढ़ती ही गयी लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था वो चीज है क्या। लेकिन फिर मैंने जिंदगी जीनी शुरू की हर वो चीज की जो भी मैं करना चाहता था कि शायद वो कमी इनमें से ही कुछ है लेकिन नहींं मैंने वो सब कुछ किया जो मैं करना चाहता था लेकिन वो अधुरापन फिर भी मुझे आजमाता रहा।

मैं बहूँ त भागा कभी इधर कभी उधर लेकिन इसी दौरान मुझे महसूस हूँ आ की मैं दुनिया की किसी चीज को नहींं पाना चाहता जिस से मुझे अधूरापन है वो शायद इस दुनिया से परे की चीज है और मैंने सोचा शायद मैं भगवान को पाना चाहता हूँ और मैं भगवान के लिए भागने लगा। इस अधूरेपन के लिए इतना सोचा इतना सोचा कि मैं बहूँ त गहरा खुद में जाने लगा।

लेकिन एक दिन मुझे महसूस हूँ आ कि वो तुम हो जिसके लिए मैं बेचैन हूँ और महसूस हूँ आ कि तुम दुनिया मैं कही ना कही तो हो। मुझे महसूस हूँ आ कि तुम चिल्ला रही हो कही मेरे लिए मुझे महसूस कर रही हो और तुम भी बेचैन हो। फिर मुझे पता चला ये जो भी है सब पिछले जन्म का है फिर मुझे समझ आया कि मैं बचपन में जो अक्सर देखकर डर जाता था बेहोंश हो जाता था जिसे डॉ. बीमारी बोलते थे वो बिमारी नहीं मेरा पुराना अतीत था । मुझे समझ आ गया इस दुनिया से परे भी मैं तुमको जानता हूं।

और फिर मैंने उस साये का पीछा करना शुरू किया और मैंने सफर शुरु कर दिया। लेकिन मुझे समुद्र पार करना था वो भी कागज की कश्ती से और जिसमे किनारे तक जाने के बहूँ त कम चांस थे।

मैं भागता रहा कभी इस शहर कभी उस सहर कभी इस राज्य कभी उस राज्य सोचा कभी ना कभी तो तुम सामने आ ही जाओगी क्योकि मैं जान चुका था तुम कही ना कही हो। किसी को नहींं बताया जैसे ही कुछ पैसे इकट्ठे कर लेता निकल लेता था एक अनजान सफर पर। और जो भी बोलता कही चलने को तुरन्त निकल लेता था बिना कुछ सोचे और फिर सबने मुझे आवारा और निकम्मा कहना शुरु कर दिया और मैं था कि मुझपर किसी का कोई असर नहींं था। मुझे किसी भी चीज की चाह नहींं थी ना पैसे की ना शोहरत की ना किसी और चीज की मुझे तो बस अपनी मंजिल तक जाना था बस ये जानना था आखिर कोन है वो जो मुझे मुक्कमल नहीं होने दे रहा।

सालो तक घूमते घूमते मेरी जिंदगी बदल गयी या यु कहो बेतरतीब हो गयी ना मैं घर का हूँ आ ना बाहर का ना माँ बाप का हूँ आ ना किसी भी रिस्ते का मैं बस तुम्हारे इन्तजार में अंजान सफर पर था। जहां भी जॉब करता छोड़ देता जो भी काम करता बीच में छोड़ देता अब सारी दुनिया के सवाल थे की आखिर ये लड़का चाहता क्या है।

अब तो घरवालों का भी मुझसे यकीन ही उठने लग गया उनको लगने लगा एक ना एक दिन मैं घर से ही भाग जाऊँगा।

और इतने साल घूम घूम कर मैंने भी उम्मीद छोड़ ही दी लेकिन वो साया अब सपनो से निकल कर जागती आँखों में मेरे सामने आने लगा और मुझे और ज्यादा बेचैन करने लग गया और मुझे लगने लगा अब तो तुम्हे देखे बिना मुझे मौत भी नहींं आयेगी। मैंने अपनी जिंदगी की सारी ख्वाइस छोड़ दी और मैं बेतरतीब सा लापरवाह सा जीने लगा लेकिन तुम्हारे इन्तजार ने मुझे गहरा और बहूँ त गहरा बना दिया।

मैं ज्यादा से ज्यादा सिर्फ खुद के साथ रहता था और इस तरह एक नए इंसान का जन्म हो गया और मैं पूरी तरह से बदल गया।

और फिर मुझे कुछ आलौकिक अनुभव होने लगे और मुझे महसूस हूँ ई तुमसे नजदीकी यानी के मुझे महसूस हूँ आ तुमसे मिलना करीब है।

और फिर वो दिन आ गया जब तुम मेरे सामने आयी लेकिन मैंने तुम्हे नहीं पहचाना क्योकि मैंने तुम्हे आँख उठा कर भी नहींं देखा क्योकि वक्त बीतते बीतते मेरा सब चीजों से इंटरेस्ट खत्म हो गया था मुझे परवाह थी तो अपनी मंजिल की।

हम कुछ दिन साथ रहे लेकिन मुझे कभी महसूस नहींं हूँ आ वो तुम हो लेकिन मैं बहुत खुश था क्योंकि मुझे महसूस हो रहा था मैं उस से जल्दी मिलने वाला हूँ जिसका जन्मों से इन्तजार कर रहा हूँ।

और इसी दौरान एक दिन हम दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और तुम्हारी आँखों में देखते ही मुझे झटका लग गया मैं जैसे बेहोस हो गया और यही हूँ आ मुझे अनोखा आलौकिक अनुभव और मैं कुछ देर की श्माधि में चला गया बिलकुल शून्य भाव। और मेरा इन्तजार खत्म हो गया वो मेरे साथ थी जिसका सदियो जन्मो से इन्तजार था जन्म जन्मों से मैं सिर्फ जिसका था वो सामने है मेरे। मैं जान गया वो तुम ही हो और फिर मेरे आँसू रुकने का नाम नहींं ले रहे थे समझ नहीं आया तुम्हें बताऊँ या ना बताऊँ क्योंकि 21वीं सदी की लड़की क्यों मुझ पर विश्वास करेगी इतनी बकवास बात करूंगा तो मुझे पागल समझेगी आखिर कोन करता है पूर्वजन्म पर विश्वास।

लेकिन इतने इन्तजार के बाद तुम सामने आयी और मुझे विश्वास हो गया मैं सही था लेकिन मुझे तो यहाँ एक इम्तहान देना पढ़ गया सच ही तो है इश्क है तो इम्तिहान भी देने पड़ेंगे।

इतने सालों में मैं भी किसी और मुकाम पर था और तुम मिली तो तुम भी किसी और के साथ खुस थी मेरा इन्तजार तो खत्म हो गया लेकिन तुम्हारा किसी और क साथ होना मेरी तड़प और बढ़ा गया।

लेकिन मोहब्बत क्या है कभी तुमने ही सिखाया था मैं जानता था मोहब्बत सिर्फ पा लेना नहीं है मोहब्बत तो एक दूसरे की खुशी में खुश होना है अब तुम कही और खुश हो और तुम्हारी ख़ुशी में मैं खुश ना हो जाउ तो कैसा इश्क़।

और मैंने सोच लिया अब सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी के लिए जीऊंगा और तुम्हे कभी बताऊंगा भी नहीं और मैं तुम्हारे साथ होकर सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी के लिए जीने लगा। जो भी करता था सिर्फ तुम्हारे होठो पर मुस्कान लाने के लिए। और फिर जल्दी ही मैंने सोच लिया तुम्हे तुम्हारी ख़ुशी के साथ छोड़कर हमेशा के लिए गायब हो जाऊँगा।

लेकिन ये क्या तुम्हे लगने लगा की तुम मेरी तरफ आकर्षित हो रही हो और ये सब बेवजह नहीं है तुमने खुद को बहूँ त संभाला और मैं तो अक्सर तुम्हे नजरअंदाज ही करता था कोशिश करता था कभी भी हमारा eye contact ना हो। अगर ऐसा हूँ आ तो मैं खुद को संभाल नहीं पाऊंगा। हम दोनों एक दुसरे से भागते रहे लेकिन वक्त ने ये क्या किया उस दिन हम अचानक एक दूसरे से लिपट कर रोने लग गए ना मुझे पता था ये क्या हूँ आ ना तुम्हे पता था।

तुम्हे तो समझ ही नहींं आया ये तुम क्या कर रही हो।

लेकिन फिर भी। मैंने तुम्हारे रिस्ते को बचाने के लिए तुमसे दुरी बना ली।

जिस दिन तुम्हें बाहों में महसूस किया था उसी दिन से अलग अलग आलौकिक अनुभव होने लग गए मुझे शक्तिया महसूस होने लग गयी मैं भविष्य देख सकता था मैं कुछ भी बदल सकता था शक्तियों से और मैंने शक्तियों का दुरूपयोग शुरु कर दिया लेकिन वो सब सिर्फ तुम्हे बचाने के लिए किया और फिर प्रकृति ने मुझे दंड  भी दे दिया नियम तोड़ने के लिए भविष्य में ऊँगली करने के लिए लेकिन मैं अपनी जान देकर भी तुमहे बचाना चाहता था।

चूँकि मैं ईश्वर के बहूँ त बड़े उद्देश्य का हिस्सा था तो मुझे फिर से जिंदगी दे दी गयी और मेरे गलती करने के बावजूद मेरे किरदार को फिर से बढा दिया गया। लेकिन साथ ही मुझे समझ आ गया प्रकृति जब शक्तिया देती है तो साथ में बहूँ त बड़ी जिम्मेदारियां भी आती है मुझे समझ आ गया मैं चाह कर भी नियम नहीं तोड़ सकता और मेरी शक्तियों के पीछे इस प्रकृति का बहूँ त बड़ा प्रयोजन है मुझे एक बहूँ त बड़े कार्य के लिए माध्यम बनना है।

और मैंने तुम्हारी खुसी के लिए तुम्हारी सलामती के लिए प्रकृति की सारी शर्ते मान ली और मैंने एक आम इंसान बनकर हर कदम पर इम्तेहान दिए और अपने प्यार को एक नए मुकाम पर ला खड़ा किया और फिर प्यार के आगे भगवान भी झुक गये उन्होंने मेरी बात मान ली।

और फिर तुम्हारा मेरे करीब आना और सब कुछ जान जाना और तुम्हारा समझ जाना के मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ।

और फिर तुम्हारा मेरी रूह में उतर जाना और फिर हम दोनों का वो रूहानी एहसास जीना।

सोचा था आलौकिक प्रेम है जन्मो जन्मो का इंतजार है तो कभी दुरी नहींं होगी लेकिन इश्क़ सच्चा है तो इम्तेहान देने ही पड़ेगे।

और तुमने मुझे दुरी महसूस करवा ही दी। कितना भी बड़ा योगी हो इश्क सबको विचलित करता है और मेरा भी यही हाल था। सांस रुकने को थी दिल कभी भी धड़कना छोड़ने वाला था लेकिन तबी अकेले में मुझे तुम खुद में महसूस हूँ ई 

मुस्कुराती हूँ ई जानू जानू बोलती हूँ ई मुझ में ही मिल गयी मैं समझ गया तुम मुझ में ही र्रहति हो हमेशा से तो अलग कैसे हो सकती हो मैं समझ गया हम दो नहींं है हम तो एक ही है।

और मैं खुद से ही कैसे अलग हो सकता हूँ, तुम्हे मैंने पूरी तरह से पा लिया हमेशा हमेशा के लिए।

मेरी आँखों से आँसू गिर रहे थे लेकिन ये दुःख के नहींं ख़ुशी के थे क्योंकि मैंने तुम्हे हमेशा के लिए पा लिए तुम्हारे दिल में सिर्फ मैं ही हूँ। ख़ुशी के आंसू गिर रहे थे लेकिन आंसू फिर भी खारे है लेकिन तुम फ़िक्र मत करो तुम्हारी कहानी तुम्हे दुनिया सुनाएगी वो भी मेरी जुबान से। तुम्हारा सिद्दत का इश्क इस जहा में अमर हो जायेगा। दुनिया कुछ भी कहे लेकिन तुम जानती हो मैंने हमेशा सिर्फ तुम्हारा इन्तजार किया है और मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ और मैं मुक्कम्मल हूँ। सफर भी तुम मंजिल भी तुम।         


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