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बाल हठ

बाल हठ

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पार्स्वनाथ नामक एक छोटा सा नगर था । उस नगर के राजकुमार जो अभी छोटी उम्र के ही थे बहुत शरारती ओर हटी थे । एक दिन राजसभा मे वो भी आ बैठा। किसी दरबारी से पूछ लिया कि राजा किसे बनाते है । दरबारी ने सोचा कि छोटा बच्चा है क्या उत्तर दूं । उसने बताया जो सिंहासन पर बैठ जाए, वो ही राजा होता है । बस उस दिन से वो सिंहासन में बैठने की जिद करने लगा। महाराज किसी तरह उसको बहला फुसला दिया करते थे । कहते जब वो बड़ा हो जाएगा सही वक्त आने पर उसको राजा बना देंगे।

खैर एक दिन दरबार लगा हुआ था, अचानक माली आया ओर राजा साहब को बोला बाग में चले आपको कुछ नए तरह के पौधे दिखाने है ,राजा साहब बाग में चले गए। पर जैसे ही वो वापिस लौटे देखा नन्हा राजकुमार सिहासन पर बैठ गया है । वो महाराज को देखकर बोला कि अब वो राजा है। पहले तो महाराज मुस्कराए फिर आग्रह किया कि वो नीचे उत्तर जाए। पर राजकुमार जिद पर अड़ गया कि वो अब राजा है नीचे नही उतरेगा। महाराज को काफी क्रोध आने लगा । महाराज का क्रोध देखकर प्रधान मंत्री ने बोला महाराज रुकिये में एक तरकीब लगाता हूँ । आप थोड़ी देर अलग बैठ जाये।

मंत्री ने बोला राजकुमार आब आप ही राजा है। चलिये थोड़ा दरबार का काम कर लेते है। उसने एक सैनिक को बुलाया ओर कान मे कुछ कहा. थोड़ी देर में सैनिक एक व्यक्ति को दरबार ले आया।

मंत्री ने बोला बताओ तुम्हे क्या परेशानी है । उसने बताया कि कुछ दिन पहले राजा जी के रथ के घोड़े उसकी फसल खा गए जिससे उसको बहुत नुकसान हुआ उसको न्याय चाइए । मंत्री बोला कि इसका फैसला न्यायाधीश करें।

न्यायाधीश ने बोला उस सारथी को बुलाया जो रथ ले गया था । सारथी आया और उसने पूछने पर बताया कि वो तो महाराज के साथ आखेट पर गया था ओर महाराज ने ही उसको रथ वही छोड़कर कुछ लाने भेज दिया था । पीछे से घोड़े खेत मे घुस गए सारी फसल खा गए और इसमें उसका कुछ कसूर नही है, तो उसका भुगतान वो कैसे करेगा।

न्यायाधीश ने कहा बात तो सही है भुगतान तो राजा का ही बनता है । उसने उस आदमी से पुछा कितना नुकसान हुआ , वो बोला 10000 रुपए का।

न्यायाधीश ने बोला क्योंकि घोड़े महाराज के थे और सारथी भी उनकी ही सेवा कर रहा था। तो नुकसान राजा को ही करना होगा । इस व्यक्ति को राजा साहब 10000 रूपये दे, ओर अगर नहीं करते तो उनको 1 महीने का कारावास होगा ।

यह सुनते ही नन्हा राजकुमार फटाक से सिहांसन से उतरा ओर महाराज से बोला आप ही राजा है में तो खलेने बाग़ में जा रहा हूँ । ये बोलते है वो वहां से तुरंत भाग गया । ये देखकर राजा ओर सब दरबारी जोर जोर से हँसने लगे । उस दिन के बाद राजकुमार ने कभी राजा बनने की जिद नही की ।


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