ब्रीफकेस
ब्रीफकेस
"अम्माजी, किससे बतिया रही, का भैया जी ने ब्रीफकेस खोल लिया का। अरे, बहू जी पेंट कमीज में कित्ती प्यारी लग रही है। गड्डनजी तो मनों गुलाब जामुन दबाय है दोनों गालों में। माई री,कित्ती दूर बैठे है लागत है जैसे यहीं पास में हो।"
"अरे चुप कर, बात करने दे।"
अरिंदम के सवाल शुरु। ठीक हो न। दवाई समय पर लेती हो न। अकाउंट में पैसे पहुंच गये न। चाचा, मामा, बुआ की खैरियत। मुहल्ला, पड़ोस की खबर। बहू का वहीं से चरन स्पर्श। गड्डन की दादी को फ़्लाइंग किस्सी।और अन्त मे गंगी को हिदायत-अम्मा का पूरा ख्याल रखे।
पूरे एक घन्टे विडियो कॉलिंग होती रही। सप्ताह मे दो बार लेपटॉप से संचार प्रक्रिया माँ बेटे की दूरी मिटाती थी। दो देशों को समेट लेती थी। अरिंदम इस सप्ताह बहुत व्यस्त रहा। पति-पत्नी दोनों ही लेपटॉप पर विडियो कॉलिंग न कर पाये।
चाचा का फोन आया। माँ को हार्ट स्ट्रोक आया था। आज उनको घर ले आये हैं। तुम्हें याद कर रही है। पहिले से बेहतर है। हम लोगों ने तुम्हें बहुत कॉल किये लेकिन तुमसे सम्पर्क नहीं हो पा रहा था। घर आते ही अरिंदम माँ के गले लग बच्चों की तरह रो दिया।
मैं जल्दी ही अपने देश लौट आऊंगा। आप हमारे पास होंगी। आप कहती थी न, मैं आपको ब्रीफकेस में बन्द कर बात करता हूँ, अब साथबैठकर बात करेंगे। ये ब्रीफ केस आपके हाथ पैर नहीं दबा सकता न। उसके लिये मुझे ही रहना होगा। अम्मा ऐसे मुस्कराई जैसे कोई अबोध बच्चा मुस्कराया।