पहले गृहलक्ष्मी
पहले गृहलक्ष्मी
बेटा अब मुझे गांव चलना चाहिए,
पर चाची आप कुछ दिन रूक जाती तो अच्छा रहता। राधिका के साथ कुछ दिन और रह लेती तो अच्छा रहता। विराज ने कहा।
हाँ चाचीजी अभी तो मैं आई हू ,और आप जा रही है। आप चली जाओगी तो घर सूना लगेगा।कुछ दिन और रुक जाइये हमारे साथ ।
मन तो मेरा भी कर रहा है रुकने को पर तुम्हारे चाचा जी गाँव छोड़कर कही जाते नही। तो मैं ज्यादा दिन तक रुक नहीं सकती। पर एक बात की तसल्ली है कि मैंने जीजी से जो वादा किया था वो पूरा कर दिया। " विराज की जिम्मेदारी अच्छी तरह निभाऊगी और एक अच्छी लड़की से विवाह कराऊगी।" अब तुम दोनो अपनी नयी ज़िन्दगी की शुरूआत करो। मैं मिलने आती रहूंगी अपना ख्याल रखना ।
जब विराज दस साल का था तब ही उसके माँ, पापा ट्रेन दुर्घटना मे चल बसे तब से चाची ने ही विराज का ख्याल रखा।
और उस दिन चाची जी गाँव चली गई । राधिका भी अपनी गृहस्थी को साजने सवारने मे पूरी तरह लग गई । विराज राधिका से बहुत प्यार करता था और उतनी ही इज्जत । जब भी विराज खाना खाता पहले एक निवाला राधिका को खिला के तब खुद खाता।ये हर रोज नियम से करता था।
राधिका के मन मे बहुत समय से यही चल रहा था कि आखिर ऐसा क्यूं करते हैं विराज।
एक दिन विराज से, एक बात पूछूँ आप से ?
हाँ पूछो।
आप खाना खाने से पहले एक निवाला मुझे क्यूं खिलाते हैं।
अरे पगली ये मेरा प्यार है और एक पहल भी जो औरत सुबह से शाम तक परिवार के बारे मे सोचती है,और अपने खाना तक भूल जाती है,जो अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाती, तो पहला निवाला उस घर की लक्ष्मी के लिऐ।ऐसा मेरा मानना है इसके बारे मे लोग क्या सोचते है पता नही।
राधिका विराज की बाते सुन कर भाव विभोर हो जाती है। कितनी गहराई तक आप सोचते हैं। मैं भगवान की शुक्रगुज़ार हूं कि वो मुझे आप जैसा जीवनसाथी दिऐ।