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अस्तित्व

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राहुल और पूजा की लव मैरिज¬ थी, दोनो एक दुसरे से बहुत प्यार करते थे ! यह कोई आज का प्रेम नही था, बल्कि 5 साल पुराना था । दोनों की मुलकात पहली बार कॉलेज में ही हुई और बाद में दोनों ने एक साथ एक ही ऑफिस में काम करना शुरू कर दिया, दोस्ती प्यार में कब बदल गई, दोनों को ही पता न चला ! दोनो अपनी शादी मे बहुत खुश थे, दोनों को एक दूसरे से कोई शिकयत नहीं थी, क्योंकी दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते थे ! लेकिन राहुल के पिता जी की सोच थोडी पुरानी थी, वह चाहते थे की पूजा शादी के बाद अपने नाम के आगे कपूर ना लगाए, जो की पूजा से शादी से पहले उसका उपनाम था, पर पूजा अपने नाम के आगे अब कपूर और रावत दोनो लगती थी क्योकी वो अपना पुराना उपनाम नही हटाना चाहती थी, क्योकी 28 साल तक यही उसकी पहचान रही है। शादी हो गई इसका मतलब ये कोई था, कि वो अपना अस्तिव ही मिटा दे। लेकिन राहुल के पिता जी इस बात को माने को राजी ही नही थे कि पूजा शादी के बाद भी अपना नाम ना बदले । वह तो पूजा और राहुल से बोल चुके थे, कि तुम दोनो को मेरी यह बात मानी ही पड़ेगी, नहीं तो समाज मे मेरी क्या इज्जत रहे जायेगी कि मेरी बहू ने मेरे नाम को नही अपनाया और शादी से पहले वाला ही उपनाम लगा रही है। राहुल के पिता जी की आवाज़ सुनकर अचनाक राहुल की माँ भी आ जाती है, और राहुल के पिता जी से पूछती है, इतनी देर से आप सब यहाँ किस बात को लेकर बेहेस कर रहे है ! क्या मैं जान सकती हु !

राहुल अपनी माँ को सब कुछ बता देता है, थोड़ी देर सोचने के बाद राहुल की माँ ने कहाँ कि -

" आप यह किस बात को लेकर बैठे है, पूजा अगर अपना शादी से पहले वाला उपनाम लगाना चाहती है, तो इसमें क्या अपराध है, आख़िर वही तो उसकी इतने सालो से उसकी पहचान है ! आज कल के समय मे आप किस बात को लेकर बवाल बना रहे हैं। कल को हमारी बेटी पर अगर कोई इस बात को लेकर कोई उसे तंग करे या मजबुर करे, इस तरह नाम बदलने पर तो आपको कैसे लगे गा । कभी सोचा है आपने !"

इतना सुनते ही राहुल के पिता जी शन्ति से मंदिर की और चले जाते है, आखिर उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया !


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