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NARINDER SHUKLA

Drama

5.0  

NARINDER SHUKLA

Drama

एक नई सुबह

एक नई सुबह

4 mins
661


‘टू राकेश चैधरी , सी बलाक्स काटेज़, टोरेंटो कनाडा।‘ 

भारतीय डाक से आये पत्र के लिफाफे पर अपरिचित सी राइटिंग देखकर वह हैरान हो गया। साफ पता चल रहा था कि किसी बच्चे की राइटिंग है।‘ पर  इंडिया में तो वह किसी बच्चे को नहीं जानता ! उसे कौन चिटठी लिख सकता है ?‘

। मन में उभरे प्रश्नों का उत्तर जानने के लिये वह तेजी से लिफाफा फाड़ने लगा। लिफाफे के भीतर से एक छोटा सा ग्रीटिंग कार्ड और एक पत्र निकला। पत्र को एक ओर रखकर वह ग्रीटिंग कार्ड खोल कर पढ़ने लगा। ‘डियर पापा ,  विश यू हैपी रिटर्नस आफ द डे। मे गाड मेक योर लाइफ हैपी एंड परास्पियर्स। फ्राम योर लविंग सन सैंडी।‘

उसे याद आया कि आज तो 30 सितंबर है। आज के दिन ही वह पैदा हुआ था। ‘ कमबख़्त , इस तलाक के केस के कारण कुछ याद नहीं रहता। पर , यह सैंडी, सैंडी कौन है ? जो मुझे पापा कह रहा है। मेरी तो कोई औलाद नहीं है। इसे मेरे बर्थ डे के बारे में कैसे पता है ? आखिर यह है कौन ? ‘

उसने बैड पर पड़े पत्र को खोलकर देखा। पत्र की लिखावट उसकी पहली पत्नी गगनदीप कौर की थी। पत्र खोलकर वह पढ़ने लगा - ‘प्रिय राकेश। सत श्री अकाल। आपको आपका जन्मदिन मुबारक हो। वाहे गुरु आपको और तरक्की दे। आज पूरे सात साल बाद तुम्हें पत्र लिख रही हूं । कल गुरशरण पा जी मिले थे। उन्होंने तुम्हारा नया पता दिया। कह रहे थे कि तुमने वहां मैरी बिरेंडा नाम की किसी अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है। आपको आपकी नई शादी के लिये मुबारकबाद। सच मानो, मुझे तनिक भी दुख नहीं है। शायद, मैं आपके लायक नहीं थी। मेरे भाग्य में आपका प्यार नहीं लिखा था। आपके जाने के बाद संदीप पैदा हुआ। मैंने आपको कई पत्र लिखे लेकिन, एड्रेस गलत होने के कारण सब के सब वापिस आ गये। खैर, कोई बात नहीं। आपका बेटा संदीप अब बड़ा हो गया है। अक्सर पूछता है  ममा, डैड हमारे साथ क्यों नहीं रहते ? लेकिन, विश्वास मानों, मैनें उसे कभी नहीं बताया कि आप हमें छोड़कर सदा के लिये चले गये हो। जब वह बेहद परेशान करता है तो कह देती हूं  कि तुम्हारे पापा कम्पनी की ओर से फौरेन गये हैं। जल्दी ही वापिस आ जायेंगे। बच्चा है न, धीरे - धीरे समझेगा। आपका बेटा बिल्कुल आप पर गया है। वही गोरा रंग। वही छोटी - छोटी आंखें। वही नुकीली नाक। हंसता है तो गालों पर डिंपल पड़ जाते हैं बयहीं मेरे पास बैठा है। पत्र लिखने की जिदद कर रहा है। क्या करुं, मना नहीं कर सकती। अपने फ्ररैंढस को उनके पापा के साथ देखकर उदास हो जाता है। पत्र उसे दे रही हूं। अनुरोध है, आप उसकी मासूम बातों को सीरियसली नहीं लेंगे।‘

राकेश की आंखों में आंसू आ गये। आंसू की एक बूंद पत्र पर गिर कर इंद्रधनुष बनाने लगी। पुरानी यादें ताजा़ हो आईं। उसे याद आया कि गगन से उसकी शादी कितने धूम धाम- से हुई थी। गगन के मां - बाप इस शादी से कितने खुश थे। उन्हें सब से ज़्यादा इस बात की खुशी थी कि उनकी बेटी गगन की शादी एक ‘ एन आर आई‘ से हुई है। सारी बिरादारी में उनकी नाक उॅंची हो गयी थी। गगन भी खुश थी । उसे पढ़ालिखा स्मार्ट दूल्हा मिला था। अब वह अपने पति के साथ विदेश जायेगी । लेकिन ,  कुछ दिनों बाद, कागजा़द बनवाकर अपने पास बुलवा लेने का झांसा देकर वह गगन को रोता - बिलखता छोड़कर , यहां कैनेडा चला आया। कितना मक्कार व स्वार्थी है वह। यहां आकर उसने अपने पड़ोसी मिस्टर बिरांडा की बेटी मैरी बिरांडा से शादी कर ली । लेकिन , एक महीने में ही उसे पता चल गया कि उसकी पत्नी एक चालबाज़ औरत है। उसके कई मर्दों के साथ नजा़यज़ संबंध हैं। उसने केवल उसके ट्रांसपोर्ट बिज़नेस को हथियाने के लिये ही उससे शादी की है। वह अपने निग्रो ब्वाय फ्रेंड डेविड के साथ मिलकर उसका मर्डर करवाना चाहती है। और फिर , एक रात उसने मेरी बिरंडा के त्किये के नीचे लोडिड रिवाल्वर देखी। वह सन्नाटे में आ गया। उसने अगले दिन कोर्ट में तलाक के लिये एप्लीकेशन दे दी। मैरी उसे तलाक नहीं देना चाहती थी। पता नहीं क्यों कोर्ट उसकी अपेक्षा मैरी की दलीलों को ज़्यादा महत्त्व दे रहा था। आज पूरे सात साल हो गये केस चलते । उसने आंखें बंद कर लीं। वकील कह रहा था कि अगली पेशी में वह आजा़द हो जायेगा। ‘

वह आगे पढ़ने लगा -‘ पापा, सत श्री अकाल। पापा आई लव यू।‘

‘आई लव यू टू सन। सब्र का पैमाना आंखों से छलक पड़ा।‘

‘ पापा, इस बार स्कूल में बैस्ट आल राउंड स्टूडेंट सिलेक्ट हुआ हूं। प्रिंसिपल मैम कह रही थी कि इस बार अपने पापा को जरुर लाना। ‘ पापा, आप आओगे न ! पापा,आई डोंट वांट टू सी यू मोर इन पिक्चर्स। प्लीज़ पापा ए कम सून। पापा आपको आपके बर्थ डे पर ग्रीटिंग भेज रहा हूं। काइंडली पापा जरुर आना। आई मिस यू बैडली पापा। आपका बेटा। संदीप सिंह।‘

,यस बेटा, मैं जरुर आउॅंगा। सदा के लिये मेरे बेटे। सदा के लिये। फिर कभी तुझे अपनी छाती से अलग नहीं करुंगा। वह फूट - फूट कर बच्चों की तरह रोने लगा। ‘

सुबह हो रही थी। सामने रोशनदान से आती हुई सूरज की किरणें कमरे के प्रत्येक भाग को आलोकित करने लगीं।


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