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Piyush Goel

Classics

4  

Piyush Goel

Classics

गायत्री माता की महिमा

गायत्री माता की महिमा

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यह बात तब की है जब प्राणियों के दुष्कर्म बढ़ गए थे । प्राणियों के इसी दुष्कर्म के परिणाम स्वरूप देवराज इंद्र ने धरती पर जल की वर्षा को रोक दिया था  । इस बात पर समस्त ऋषि - मुनि भयभीत हो उठे क्योंकि बिना जल के कोई भी जीवित नहीं रह सकता तब वह सभी आपस में विचार करने लगे कि क्या करें ? तब उन्होंने यह निश्चय किया कि वह सभी महर्षि गौतम के पास जाएंगे और उनसे साहिता मांगेंगे क्योंकि मात्र और मात्र महा ऋषि गौतम ही है जो ऐसी स्थिति में उनकी सहायता कर सकते हैं । महर्षि गौतम पर भगवती गायत्री की विशेष कृपा है । भगवती गायत्री के आशीर्वाद से ही महा ऋषि गौतम हमारी सहायता करेंगे ।

इस प्रकार विचार कर वह समस्त ऋषि महर्षि गौतम के आश्रम में जा पहुंचे । कोई पूर्व से , कोई उत्तर से , कोई पश्चिम से तो कोई दक्षिण से महा ऋषि की क्षरण में आता इसी प्रकार महा ऋषि गौतम का आश्रम ऋषियो से भर गया । समस्त ऋषियो को देखकर महर्षि गौतम ने उन ऋषियों से अति विनम्र वाणी में ऋषियों के आने का कारण पूछा तब समस्त ऋषियों ने अपना दुख महर्षि गौतम के सम्मुख प्रकट करा । समस्त घटनाक्रम सुनकर महा ऋषि गौतम ने उन ऋषियो से कहा - " मुनिवरों ! यह तो मेरा सौभाग्य है कि ऋषि मेरे आश्रम पर आए हैं । मैं आप लोगों के दर्शन मात्र से तृप्त तृप्त हो गया । यदि संसार में किसी को देवताओं के दर्शन करने हो तो वह मात्र ऋषियो के दर्शन करले इससे देवताओं के दर्शन जितना पुण्य प्राप्त हो जाता है फिर मैं तो आपका दास हूं । आपके लिए कुछ करना तो मेरे लिए अत्यंत ही सौभाग्य की बात होगी हे विप्र वरो ! आप यहां विश्राम करिए मैं अभी भगवती गायत्री की आराधना करें आपके लिए कोई प्रबंध करता हूं "।

इस प्रकार कहकर महा ऋषि गौतम देवी भगवती गायत्री की शरण में चले गए और वहां पर वह देवी की आराधना करते हुए कहने लगे - " हे वेदमाता ! मैं तुम्हें नमन करता हूं । तुमसे वेद उत्पन्न हुए हैं इसलिए तुम्हें वेदमाता भी कहा जाता है फिर देवी मैं तो तुम्हारा दास हूं । मैं क्या तुम्हारी स्तुति गाऊंगा ? मैं तो मात्र तुम्हारा आशीष पाना चाहता हूं । हे देवी ! कृपया कर मुझ पर आप पसंद हो । हे माता रानी ! कृपया कर अपने दर्शन मुझे प्रदान करें । हे देवी भगवती गायत्री ! कृपया कर अपने दर्शन मुझे दे । माता अपने दर्शन मुझे देदे । भगवती भुवनेश्वरी कृपया कर अपने दर्शन मुझे प्रदान करें । मां अपने दर्शन मुझे प्रदान करें " । महाऋषि गैतम की स्तुति से देवी भगवती गायत्री प्रसन्न हो उठी और उन्होंने महर्षि गौतम को दर्शन दिए व उन्हें आशीर्वाद दिया और एक पात्र प्रदान करा जो इच्छाओं को पूरा करने वाला था जो भी उस पात्र से मांगा जाए वह पात्र अवश्य देगा । जिस प्रकार कल्पवृक्ष हर मांग पूर्ण करता है उसी प्रकार वह पात्र भी हो हर मांग पूर्ण करेगा ।

राजन ! उसी पात्र से महा ऋषि गौतम ने हर किसी का भरण - पोषण करा । स्त्रियों को आभूषण दिए व बालको को खिलोने । 

इस प्रकार भगवती गायत्री की कृपा से ऋषी गौतम ने उन ऋषियो को इंद्र कोप से बचाया ।



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