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Kapil Shastri

Inspirational

2.1  

Kapil Shastri

Inspirational

हौसलों की बुनियाद

हौसलों की बुनियाद

2 mins
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कोचिंग संचालिका राधिका जी में बैठे बैठे अपने तीस साल पुराने स्कूल के साथियों के साथ बने व्हाट्सएप्प ग्रुप पर चैट कर रहीं थी और पुरानी बातों के जीवन्त चित्रण पढ़ मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

ग्रुप एडमिन सुनील जो अब प्रसिद्द बिल्डर था दुबई में बैठे बैठे ही बता रहा था कि "मुझे तो फ़ैल होने का अंदेशा रहता ही था इसलिए मैं पहले से ही जूनियर्स से दोस्ती कर लेता था,इसलिए आज तक मेरे मित्रों का दायरा बहुत विस्तृत है। टीचर्स तो आये दिन मेरा जुलुस निकालते ही रहते थे और याद है वो चपरासी विष्णु !

"अरे वाह, तुम्हें तो चपरासी का नाम भी याद है !" जयपुर से बैठे बैठे मंजूषा ने आश्चर्य व्यक्त किया।

"क्यों नहीं याद होगा, साले ने शिकायत करके बहुत पिटवाया है, हर चोट उभर आई है, हर ज़ख्म हरा है, पिताजी की दुकान भी स्कूल के पास ही थी, आये दिन बुलावे आते रहते थे, वो भी हाथ धोकर मेरी धुलाई के लिए तैयार ही रहते थे। पिक्चर देखने जाते थे तो परिहार सर और भाटी सर हॉल में से कान पकड़कर गाय बेल की तरह खीचते हुए ले आते थे फिर धुनाई करते थे। मेरी छवि इतनी धूमिल थी कि कोई भी लड़की मुझसे बात नहीं करती थी।"

"घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं "गीत लगता था मुझपे ही लिखा गया था।"

पूरा ग्रुप लोल लोल के ठहाकों से गूँज उठा।

तभी डोर बेल बजी, दरवाज़ा खोला तो सामने एक पच्चीस वर्षीय नौजवान निमंत्रण पत्र हाथ में लिए खड़ा था उसने प्रणाम किया और बोला "पहचाना मैडम, मैं दीपक आपका पहला और इकलौता स्टूडेंट था। इंजिनीरिंग करने के बाद पिछले दो साल से सर्विस में हूँ और इस दस तारीख को मेरी शादी है, आपको ज़रूर से आना है।" राधिका को याद आया, "ये सामने की झुग्गी बस्ती में रहने वाला लड़का था जिसके माता पिता कपड़े प्रेस किया करते थे और इसके भविष्य को लेकर बड़ी उम्मीद रखते थे लेकिन ये उनसे नाराज़ ही रहता था। मैंने इसे समझाया था कि "अपने आसपास देखो कितने माँ बाप अपने बच्चों को हाइस्कूल करा पाते हैं, तुम्हें उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए, उसके बाद इसके हौसले की बुनियाद पक्की हो गयी और ये आज भी मेरे प्रति कृतज्ञ है।


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