अमर प्रेम
अमर प्रेम
कार्तिक चेन्नई दूरदर्शन में एक निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।यहीं पर जेनि निर्माता का काम करती है।हमेशा कार्यक्रम के लिए दोनो लोग दौरे पर बाहर गांव जाते हैं। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं। दोनों के बीच प्रेम खिल गया।कार्तिक हिंदू धर्म से संबंधित है। जेनि ईसाई धर्म से ताल्लुक रखती हैं।दोनों शादी के लिए,अपने मातापिता से अनुमति मांगी।लेकिन यहाँ तूफान उनके जीवन में खड़ा हो गया।
कार्तिक के पिता ने अपनि बहन की बेटी से कार्तिक की शादी करने की वादा किया था ।इसी तरह जेनी के घर पर भीसु के साथ जेनी की शादी करने की मजबूर कर दिया। अपना माता पिता के मर्ज़ी से अपने शादी कर लिया।कार्तिक और जेनी दोनों अपने माता-पिता के वास्ते अपने पवित्र प्रेम को त्याग दिया क्योंकि वह अपने माता-पिता को नाराज करना नहीं चाहता थे।
कार्तिक को चेन्नई से दिल्ली दूरदर्शन को स्थानांतरित कर दिया।वो दिल्ली चला गया।अपने बेटे गौतम के साथ।गौतम दिल्ली कॉलेज में अबपढ़ रहा है।नैंसी , गौतम के साथ दिल्ली में पढ़ रही एक लड़की, गौतम से दोस्ती करती है और दोनों मिलनसार हैं क्योंकि वे तमिल हैं।दोनों एक ही वर्ग में पड़ रहे हैं।तमिल भाषा से दोस्ती बढ़ती है।
वो दिन आता है जब कार्तिक की पत्नी की मृत्यु हुई ।कार्तिक बहुत दुखी है। गौतम फिर पूछता है? क्यों पिताजी? क्या माँ की याद अधिक आती है?
क्या आप दुखी हैं? जब कार्तिक अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना के बारे में बताता है।अरे नहीं! हम बहुत मिलनसार और एक-दूसरे के करीब थे।
वह अस्थिर निशान अभी भी मेरी दिल पर है।उसने पर्स में एक खूबसूरत युवा की तस्वीर दिखाई। "क्या आप जानते हैं कि यह महिला कहां है, पिताजी?" "दुनिया के किसी भी कोने में हो सकती या नहीं। मैं नहीं जानता "अफसोस के साथ कार्तिक ने बताए गौतम से।
गौतम ने फोटो को देखा और कहा, "पास्ट इज पास्ट पा।चिंता मत करोमैं हूँ न!" नैंसी की माँ ने गौतम को घर लाने के लिए बहुत बार कह दिया। गौतम को देखना चाहती थी ।चूंकि दोनों तमिल हैं, मेरी मां आपको बहुत लंबे समय से बुलाती है तुम्हें देखने के लिए कल मेरे घर आ जाओ।मैं तुझे घर लेजाऊँगी", यह कहकर मुस्कुराती है नैंसी। गौतम नैंसी की माँ को देखकर दंग रह गया। अगले दिन नैंसी और गौतम कैंटीन में मिलते हैं।फिर गौतम, "मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।"फिर वह अपने पिता के पुराने प्यार के बारे में नैंसी को बताता है और गौतम ने अपने पिताजी की प्रेमिका को फोटो में दिखाता है।
नैंसी "क्या यह मेरी माँ की युवा फोटो थी ?मेरे घर पे है देखी हूँ।"आपको कैसे मिली? वह पूछती है गौतम से?गौतम ने फिर समझा रहा है। गौतम की आंखों में आंसू आ जाते हैं" जब वह कहता है कि हमारे दोनों माता पिता ने अपना प्रेम को कुर्बान कर दिया है।"
"आज तक मेरे पिता तुम्हारी माँ को नहीं भूल पाए हैं।"गौतम ने शालीनता से कहा।
"मुझे अपनी मां की नब्ज देख ना चाहिए ", नैंसी ने कहा।नैंसी ने पूछा कि उस रात माँ और बेटी दोनों जब बिस्तर पर थे?
"क्या आपने कभी किसी के साथ प्रेम संबंध बनाया है?"
माँ चुप है।" माँ मैं पूछती हूँ? ज़वाब दो ? "इतना सुनते ही माँ की आँखों में आँसू आ गए।
"माँ रो मत!" बेटी कहती है कि गले लगाओ और आराम करो।
" आपको किसी से प्यार हुआ है!"
"वैसे मैं आपको बता दूं, बेटी।नहीं! पहले प्यार को कभी भूला नहीं जा सकता।" मां कहती हैनैंसी से,फ़ूट फ़ूट कर रोती हैं।
अगले दिन कॉलेज में, गौतम और नैंसी मिलते हैं।उस समय नैंसी कहती है "मम्मी का दिल प्यार के लिए तरस ता है।मैंने जान लिया। माम् की नब्ज को भी देख चुकी हूँ।"वे दोनों इस बारे में बात करते हैं कि वे आगे क्या कर सकते हैं।वैलेंटाइन डे में हम एक काम करें,उस दिन मेरी माँ का जन्मदिन है।
इस वेलेंटाइन डे में रात के खाने के लिए अपने पिताजी को लेकर मेरे घर आजाओ।फिर क्या होता हमें देखें।दोनों विचार से सहमत हैं।
"नैंसी की माँ के जन्मदिन है, वेलेंटाइन डे में साथ साथ।हम दोनों को अपने घर पर नैंसी डिनर के लिए बुला रही है ।मेरे सहेली है हमें ज़रूर जाना चाहिए।"गौतम ने पिता से कहा।कार्तिक भी सहमत हैं।
नैंसी अपनी मम्मी को बताती है" मैं ने गौतम और उनके पिता को जन्म दिन के अवसर पर बुलाया है । मैं उन्हें रात के खाने के लिए घर ले आ रही हूँ।"
वेलेंटाइन डे आ गया।कार्तिक और गौतम मेरी का घर पहुंच गए ।कॉलिंग बेल को बजाई । दरवाजा खोलती है नैंसी।"अन्दर आईये अंकल" बुलाती है।
कार्तिक खुश हुए।गौतम ने पिता जी को अपनी सहेली की माँ से मिलवाया । मेरे पिता हैं कार्तिक, इतने में नैंसी अपनी माम् को कार्तिक के पिताजी
को परिचय करवाती है।नैंसी की माँ और गौतम के बाप दोनों चुप हैं।ताजुब है,बोलने में भी असमर्थ हैं।गौतम कहटा है कि "मेरे पिता दूरदर्शन में काम करते हैं।"
"यह मेरी मां है", नैंसी कहती है। गौतम के डैड और मेरी की मॉम एक दूसरे को देख रहे हैं।तुम दोनों बात करो। मैं गौतम को घर के आसपास दिखाती हूँ। बेटी और बेटा अपनी मां बाप की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।कार्तिक कहता हैं कि "मैंने फिर कभी मिलने के बारे में नहीं सोचा था । " जेनी कहती हैं कि "मुझे भी पता नहीं था ।यही है तक़दीर,ख़ुदा का आशीर्वाद।पूर्व प्रेमियों ने वेलेंटाइन डे पर जोड़ा गया है।यही है नसीब।ईश्वरीय प्रेम दो आत्माओं के बारे में है, बात करना और आध्यात्मिक रूप से बोलना।कार्थक और जेनी मंत्रमुग्ध हैं।यह देवत्व है।यह है दिव्य प्रेम।कितना पुराना है लेकिन क्या है? अगर इतने बच्चे पैदा हो जाएं तो क्या होगा? क्या मन बदल जाएगा? क्या युवा प्रेम बदलता है?वेलेंटाइन डे अपने चरम सीमा पर मनाया जाता है।लेकिन प्रेमियों की दुनिया में । प्यार कभी असफल नहीं होता।टी वी में तब यह गाना दिखाई देता है
संजीव कुमार एवं शर्मिला टैगोर का
अमर प्रेम गीत मौसम खेल से
दिल ढूंढता है
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन -
बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन...