Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

धिक्कार

धिक्कार

2 mins
2.2K


बाबू जी कुछ रुपये दे दो। मेरा पोता बहुत बीमार है। अस्पताल जाना है। एक भी पैसा नहीं है मेरे पास।

 एक बुजुर्ग रिक्शे वाले व्यक्ति ने पार्किंग में खड़ी कार को स्टार्ट करते हुए सुरेश से गिड़गिड़ाते हुए कहा ।

''अरे जाओ कहाँ से चले आते हैं पता नहीं !''सुरेश ने उस बुजुर्ग को धकियाते हुए कहा और गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ गया ।जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ी उसके नीचे भाग कर अचानक सुरेश का सात वर्षीय पुत्र रोहित आ गया। सुरेश ने एकदम ब्रेक लगाये लेकिन रोहित एक तरफ़ गिरकर अचेत हो गया।

''अरे यह क्या किया बाबूजी ?'' कहते हुए उस बुजुर्ग व्यक्ति ने रोहित को सँभाला। सुरेश बेटे की हालत देखकर बेहोश हो गया। सुरेश की पत्नि बाहर आकर दहाड़ मारकर रोने लगी। बुजुर्ग ने आव देखा न ताव बच्चे को गोदी में उठाया और सड़क पार बने हुए अस्पताल की ओर भाग गया। डाक्टर ने एकदम रोहित को एडमिट कर लिया। पीछे -पीछे सुरेश और सुनन्दा भी पहुँच गये ।

''अच्छा हुआ समय पर एडमिट करा दिया अब बच्चा ठीक है !'' डाक्टर ने बाहर आकर कहा तो सुरेश और सुनन्दा की जान में जान आई ।

सुरेश अस्पताल में चारों ओर उस व्रद्ध व्यक्ति को देख रहा था जिसने आज उसके घर के चिराग को बुझने से बचा लिया परंतु कहीं दिखाई नहीं दिया। खुद को बहुत गरीब और कमजोर सा महसूस कर रहा था सुरेश ।

''धिक्कार है मुझपर मैं उसकी सहायता भी चन्द कागज के टुकड़ों से न कर सका और उसने तो मेरी दुनिया ही बचा दी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational