न जाने क्यों "दौलत" की खातिर "इंसान" इतना "बदल" गया है..!!
न जाने क्यों "दौलत" की खातिर "इंसान" इतना "बदल" गया है..!!
न जाने क्यों "दौलत" की खातिर "इंसान" इतना "बदल" गया है..!!
"दौलत" के इस "बाज़ार" में अक्सर "इंसान" को "बदलते" हुवे ( रिश्तो में विश्वास घात ) "देखा" है हमने..!!
"सच" को बड़े ही "ईमानदारी" से "झूठ" में "तब्दील" होते हुवे "देखा" है हमने..!!
"ईमानदारी" को बड़ी ही शिदत्त" से "बेईमान" होते हुवे "देखा" है हमने..!!
"वफ़ा" को बड़े ही "खूबसूरती" से "बेवफा" होते हुवे "देखा" है हमने..!!
मुहब्बत" में बड़े ही "प्यार" से "नफरत" का "ज़हर" घोलते हुवे "देखा" है हमने..!!
"खुशियो" को बड़े ही खूबसूरत "अंदाज़" से "गम" में "बदलते" हुवे "देखा" है हमने..!!
"रिश्तो" में विश्वास " को बड़े ही "प्यार" से "अविश्वास" में "तब्दील" होते हुवे "देखा" है हमने..!!
"यारो" दो "पल" की "ज़िन्दगी" है क्यों इन सब "उलझनों" में "उलझा" रहता है "इंसान"..?
"हमें" हमेशा "खुश" रहना चाहिए और खुशिया "बाटनी" चाहिए तभी "ज़िन्दगी" खूबसूरत "बन" सकती है..."दिक्कते" चाहे जीतनी भी आये "वो" भी हमारी "खुशमिजाजी" देख "मुस्कुराते" हुवे "वापस" लौट जाएँगी...!!!