मेघ
मेघ
मेघ, बारिश, वर्षा कई नाम हैं तुम्हारे। कुछ के लिए तुम प्रियतम की याद बनकर आते हो, तो कुछ के लिए दुःख के बादल बन कर, पर मुझपर तुम्हारी बूंदों का असर बहुत ही सुखद होता है, वो मेरे अन्तर मन तक ख़ुशी बनकर भर जाता है। मुझे लगता है मैं ज़रूर पिछले जन्म में मोर रही होंगी, जो घिरते बादलों को देखते ही मन मेरा नाच उठता है। रिमझिम गिरती बूंदें एक संगीत जैसा जादू करती है।
बूंदों के इस रिश्ते की एक कहानी आपको सुनाती हूँ। बात उस समय की है जब मैं मुंबई में थी। और यहाँ बारिश से लोगो की ज्यादा कुछ बनती सी नहीं दिखती। मुंबई एक भागता हुआ शहर है, और यहाँ की बारिश उस दौड़ को एक विराम देने की कोशिश करती है, तो कहाँ इस शहर या यहाँ के लोगो को बारिश पसंद आने वाली।
ऐसी ही एक बरसात की सुबह मेरी काम वाली बड़बड़ाती हुई घर में दाखिल हुई। उसके चेहरे पर गुस्से और झुंझुलाहट दोनों के ही मिश्रित भाव थे।
मैंने उससे पूछा " क्या हुआ कमला! बड़ी परेशान दिख रही है? कुछ है तो बता कहीं मैं तेरे काम आ सकूँ "
उसने कहा "अरे कुछ नहीं दीदी ! बस इस बारिश से परेशान हूँ। ये देवता कभी हम गरिबों का सोचते ही नहीं बस बरसते ही चले जाते हैं। अब दीदी क्या बताऊँ पिछले साल की बरसात में जो हुआ उसे सोच कर ही दिल दहल जाता है। भगवान को सताने को एक हम ग़रीब ही मिले हैं, जो इतनी बारिश किये जाते हैं ?"
"क्या हुआ बता तो ?" मैंने कहा।
"पता है दीदी, पिछले साल सावन का ही महीना था। एक दिन अचानक बहुत ज़ोर की बारिश होने लगी। और समंदर भी पूरी उफान पर था। ऐसा लग रहा था आज दोनो मिलकर सब कुछ तहस-नहस कर देंगे। अचानक रात के करीब १२ बजे हमारे इलाके में पानी भरना शरू हो गया। और एक एक कर सारे घर डूब गए। हमने किसी तरह कुछ ज़रुरी सामान ले कर रेलवे प्लेटफॉर्म पर शरण ली। " कमला सॉंस लेने के लिए थोड़ा रुकी, फिर बोलना शुरू किया " हमने ४ दिन वही काटे। वो तो भला हो गणपती बप्पा का, लोग बहुत अच्छे थे। सब ने बहुत मदद की। नहीं तो पता नहीं क्या होता ।"
"अरे।! दीदी उस समय ना कोई बड़ा ना कोई छोटा। सब मिल बाँट कर काम करते और रहते। कभी कभी सोचती हूँ बुरा होकर भी अच्छे थे वो ४ दिन। अमीर - ग़रीब बड़े- छोटे सब का फर्क मिटा दिया। "
"इस बरसात ने धो दिया था सारे फ़र्क को , और सब को एक सूत्र में बांध दिया था।"
कमला की बातें सुन कर मुझे अपने सबसे परम मित्र मेघ और उसकी बूंदों से थोड़ा और इश्क हो गया ।
इस बार तुम एक नया एहसास लाये थे "समानता का एहसास।"