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आनंद उषा बोरकर

Others

5.0  

आनंद उषा बोरकर

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कश्मकश

कश्मकश

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"अरे अमन तुम आ गये मैं तुम्हारा हि इंतजार कर रही थी चलो जल्दी से हाथ पैंर धो लो। मैं खाना लगा देती हूँ।"

"रानी मैं खाना खाकर आया हूँ।"

'तो एक फोन कर के बता देते मैं इंतजार तो नहीं करती तुम्हारा" रानी ने तुम्हारा पर ज़ोर देते हुए कहा।

"वैसे कब करती हो, कल तो नहीं किया था।"

"क्योकि कल मैं ऑफ़िस से थकी हारी आई थी इसलिए जल्दी खाना खाकर सो गयी थी और तुम्हारे भी तो आने जाने का कोई टाईम फिक्स नहीं हैं कभी 10 बजे आते हो तो कभी रात के 12 बजे"

"तो क्या करूँ मैं, मेरा काम ही कुछ ऐसा है। कभी कभी ज्यादा काम होने के कारण ओवर टाईम करना पड़ता हैं।"

"कम से कम बता ही देते मैं कमला बाई को तुम्हारा खाना बनाने मना कर देती।"

"अब मैं तुम्हें एक एक बात बताऊँ है ना, कि कितने बजे आना है..अच्छा तरीका है जासूसी का।" इतना कहकर अमन फ्रेश होने चले जाता है।


अमन और रानी एक ही छत के नीचे एक ही पलंग पर सो रहे थे पर पलंग के बीच में एक दीवार थी जो अदृश्य थी। वह दीवार थी धोखे कि नाकामियों कि झगड़ो कि जिस कारण एक ही छत के नीचे रहते हुए दोनो अजनबी बन गये थे। यह दीवार किसी बोर्डर कि दीवार से कम नहीं थी जिसके एक तरफ इंडिया था तो दूसरी तरफ पाकिस्तान।

कभी कभी पति पत्नी साथ साथ रहकर भी साथ नहीं रहते ठीक उस प्रकार जिस प्रकार दरवाज़े कि कुण्डी और लटकन तभी साथ आते है जब दरवाज़ा बंद करना हो।

अमन छत पर लगे पंखे को गोल गोल घूमता हुआ देख रहा था और देखते ही देखते अपने बीते हुए कल के बारे में सोचने लगता है।


"पापा मैं रानी से शादी नहीं कर सकता मैं अंकिता से प्यार करता हूँ।"

"देखो बेटा...शादी तो करनी पड़ेगी वो भी उससे जिससे मैं चाहूँगा, किसी दूसरी जात वाली लड़की से नही। यदि मेरी जायदाद में अपना हिस्सा चाहते हो तो वही करना जो मैं कहूँ समझे।"

"पर पापा सुनिए तो....."

पर वर कुछ नहीं, आखिर समाज में भी हमारी कोई इज़्ज़त है, अब बस तुम शादी कि तैयारी करो।


अमन चुप था अपने पिता कि बातें सुनकर क्योंकि उसे अपने बिज़नेस कि शुरुआत करने के लिए पैसों कि जरुरत थी और वह उसे तभी मिलते जब वह रानी से शादी करता। एक तरफ उसका प्यार था तो दूसरी तरफ उसका सपना और अमन ने अपना सपना चुना। अमन के अनुसार उसे प्यार शादी के बाद दोबारा भी रानी से हो सकता था पर यदि उसका सपना टूट जाता तो कभी पूरा नहीं हो पाता। शादी के बाद अमन को अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए पैसे भी मिल गये पर एक ही साल में उसके बिज़नेस ने अपनी कमर तोड़ दी और उसके प्यार कि तरह उसका बिज़नेस भी खत्म हो गया, वह ऐसे मिट गया जैसे उसका कोई नामो निशान ही नहीं था। बिज़नेस ठप होने के साथ उसके पिता जी भी परलोक सिधार गये माता जी तो बचपन में ही सिधार गयी थी। नहीं उसे रानी से दूसरा प्यार हुआ नहीं दोबारा बिज़नेस शुरु हो पाया। और एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करने लगा। आँफिस में बॉस कि चक चक, बिज़नेस में मिली हार और जिन्दगी में अंकिता की कमी का सारा गुस्सा घर पर रानी पर निकलता। वह रानी को बताना चाहता था कि उसने पैसों के लिए उससे शादी कि थी और वह आज भी अंकिता से प्यार करता है, पर नहीं बता पा रहा था क्योंकि वह एक बंधन में बंधा हुआ था जिसे शादी का बंधन कहते है। तभी बिजली चले गयी और पंखा बंद हो गया इसी के साथ अमन अपने अतीत कि यादों से बाहर आ गया।


रानी उठती है और मोमबत्ती जला देती है और दोबारा लेट जाती है। मोमबत्ती की लौ को देखते हुए उसे याद आता है कि संजय उसका कितना ख्याल रखता है। संजय रानी के आँफिस में ही काम करता है और शादीशुदा होने के बावजूद वह उससे प्यार करता है। रानी भी संजय से प्यार करती है पर बस यही बात वह अमन को नहीं बता पा रही थी जिस प्यार कि जरुरत उसे अमन से थी वह प्यार उसे अमन नहीं दे पा रहा था। वह रोज रोज के झगड़े से तंग आ गयी थी और वह अमन को तलाक देना चाहती थी पर कुछ जंजीरो ने उसे बांध कर रखा था। वह जंजीरे थी समाज कि जंजीरे जिसमें समाज में बने रहने के कारण वह अपनी ख़ुशियों को गला घोट रही थी। समाज कि नज़रों मे गिरने कि वजह से वह रोज अमन को धोखा दे रही थीं और खुद अपनी ही नज़रों में गीर रही थी। तभी लाईट आ जाती है और कमरे में उजाला हो जाता है। रानी मोमबत्ती बूझा देती है। कमरे में तो उजाला था पर न जाने कब इनकी जिन्दगी में उजाला होगा। कभी कभी हमारी मजबूरियाँ हमारी कमजोरियाँ बन जाती है और वह मजबूरियाँ जिन्दगी भर बनी रहती है इसलिए बेहतर यही है वक्त रहते उन मज़बूरियों को दूर कर दिया जाए वरना वह जिन्दगी भर बनी रहती है।


रात बीत चुकी थी और सूरज आसमान में टहल रहा था। रात की सारी बातों को भूलते हुए रानी अमन के लिए चाय और नाश्ता बनाती है। अमन नाश्ता पानी करे बीना कुछ कहे अपने ऑफ़िस के लिए रवाना हो जाता है। आज रानी कि ऑफ़िस कि छूटटी थी इसलिए वह घर पर ही थी। उसने सोचा उसे घर कि सफाई कर लेना चाहिए। रानी घर कि सफाई कर रही थी तभी उसे अमन के दराज से एक एलबम मिलता है। वह एलबम अमन और अंकिता कि फोटो से भरा हुआ था । रानी उस एलबम कि फोटो को देखकर समझ जाती है कि यह वही लड़की है जिससे अमन प्यार करता था। रानी उसी वक्त संजय को फोन करती है और कॉफी हाउस में उसे मिलने बुलाती है। 


रानी और संजय कॉफी में बैठे हुए थे। रानी जबसे आई थी तब से रोए जा रही थी और संजय उसे सहानुभूती दे रहा था।

"मैं तो पहले ही कहता था कि तुम्हारा पति तुमसे प्यार नहीं करता। देख लिया वो आज भी अपनी पुरानी गलफ्रेंड से प्यार करता है।"

रानी संजय की बातों का कुछ जवाब नहीं दे रही थी।

"मैं कहता हूँ तुम आज ही छोड़ दो अपने पति को और मेरे साथ चलो।"

रानी अभी भी चुप थी।

"देखो जितना प्यार मैं तुमसे करता हूं उतना तुम्हारा पति कभी नहीं करेगा।" इतना कहकर संजय रानी का हाथ अपने हाथ में ले लेता है।

तभी उस कॉफी हाउस मैं अमन आ जाता है वह दूर से ही यह पूरा मंजर देख रहा था वह रानी से दो तीन कुर्सी दूर पीछे खड़ा था। अमन जानता था इसमें सब उसकी ही ग़लती है वही रानी को जिस प्यार कि जरूरत उसे थी वह नहीं दे पाया था। अमन रानी को बिना कुछ कहे वहां से चले जाता है।


जब अमन घर पहुंचा तो उसने देखा ज़मीन पर उसकी और अंकिता कि फोटो बिखरी पड़ी थी। अमन समझ गया रानी को उसके और अंकिता के बारे में सब कुछ पता चल गया 10 बज गये थे पर अभी तक रानी नहीं आयी थी। अमन समझ गया रानी ने उसे अब हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया है।

अमन सिगरेट के लम्बे लम्बे कश ले रहा था तभी किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी जब उसने दरवाज़ा खोला तो देखा दरवाज़े पर रानी थी। उसने उसे अंदर बूलाया। रानी चुप चाप अंदर आयी। दोनों के बीच खामोशी बनी हुई थी। दोनो एक दूसरे से बात करना चाहते थे पर बस यह नहीं पता था शुरू कैसे करे। खामोशी को तोड़ते हुए रानी ने कहा 


"आपने खाना खा लिया ?"

"नही"

"मैं निकाल देती हूँ आप हाथ धो लीजिए।"

रानी एक पलेट में खाना निकाल के ले आती है ।

एक पलेट को देखकर अमन कहता हैं 

"तुम क्या बाहर से खाकर आयी हो?"

"नही"

"फिर?"

"मैंने सोचा हम दोनों 1 साल से साथ में है पर आज तक साथ खाना नहीं खाया इसलिए सोचा आज साथ में खा लेते है, मैं खा सकती हूँ ना आपके साथ?"

अमन रानी की यह बात सुनकर दंग रह गया। वह समझ नहीं पा रहा था रानी को हुआ क्या है?

'हाँ क्यो नहीं" अमन ने थोड़ा रुककर कहा 

रानी अमन के साथ खाना खाने बैठ जाती है।

"रानी तुम जैसे अपनी जिन्दगी जीना चाहती हो जी सकती हो, मैं तुम्हें कभी नहीं रोकूगा।" अमन ने रुंधे हुए गले से कहा 

"सच में ?" रानी ने कहा

"हां क्यों नहीं..."

"फिर बाद में आप मना तो नहीं करेंगे?"

"नहीं मैं कभी नहीं करूँगा।"

रानी ने थोड़ा रुककर कहा "मैं आपके साथ अपनी पूरी जिन्दगी बिताना चाहती हूं । 

"क्या?" अमन ने चौंककर कहा

"पर क्यों?"

"वो इसलिए जो पति अपनी पत्नी को किसी और मर्द के साथ देखकर भी कुछ नहीं बोले और तब भी उसका सम्मान करे तो वह औरत कितनी ख़ुशनसीब होगी।"

"तुम्हें कैसे पता मैने तुम्हें देख लिया था?"

"जब संजय मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ था उस वक्त चाय के कप के पास उसका चश्मा रखा था। उसमे आप साफ साफ दिख रहे थे और आपकी आँखो में आँसू थे और जब मैने संजय कि आँखो में देखा तो उसकी आँखों में सिवाए वासना के कुछ और नहीं था। मैं समझ गयी मेरे लिए क्या ठीक है। मैं उसी वक्त वहां से चले गयी। मैं सीधे वहां से अंकिता के घर गयी जब मैं वहाँ गयी तो पता चला की अंकिता ने शादी कर ली है और वह अपनी लाइफ में बहुत खुश है उसकी तो आपसे 1 साल से बात नहीं हुई है।"

इतना कहकर रानी अपने हाथ में खाने का निवाला लेती है और अमन कि तरफ बढ़ाते हुए कहती है "मुझे पता है जो प्यार आप अंकिता से करते थे वह कभी मुझसे नहीं कर पाएंगे पर मैं हमेशा आपके साथ आपके पास रहना चाहती हूँ।"


जब अमन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो रानी अपना हाथ नीचे रखने लगती है। तभी अमन अपने हाथ से रानी का निवाले से भरा हाथ अपने मुँह कि और ले जाते हुए कहता है

"मैं तुमसे अंकिता जितना नहीं उससे कही ज्यादा प्यार करुँगा।" इतना कहकर वह रानी के हाथ से खाना खा लेता है और उसे भी खिलाने लगता है। 5 साल के अंदर ही अमन लोन लेकर अपना बिज़नेस फिर से शुरू कर देता है और वह अच्छी ख़ासी तरक्की करने लगता है और हां उसे दोबारा प्यार भी हो जाता है रानी से। और अब दोनों एक दूसरे को खुद से ज्यादा समझते है।


पति और पत्नी दीये और बाती कि तरह होते है दोनों का अस्तित्व एक दूसरे के बिना असम्मभव है। कभी कभी जिन्दगी की परेशानियों कि तरह हवा उसकी लौ को बुझाने कि कोशिश करेगी। उस वक्त हमें खुद लौ को नहीं बुझाना है बल्कि हवा के गुज़र जाने को इंतजार करना है एक बुरे वक्त कि तरह। 


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