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मनिया

मनिया

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मनिया जब पांच साल की थी तभी उसकी मां कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में आ गई।जब पता चला तो बहुत देर हो चुकी थी ,मनिया को इस दुनिया में अकेला छोड़ कर चली गई । मनिया अभी छोटी थी उसके पिता ने उसकी देखभाल के लिए दूसरी शादी कर ली। मनिया को भी अपनी दूसरी मां मे अपनी मां की छवि लगी पर कमला को तो मनिया फूटी आंख ना भाती थी।

जब तक मनिया के पिता रामजस घर पर रहते तब तक वह प्यार से बोलती और प्यार करती पर जैसे ही काम पर जाते वह उसे मारती पिटती धीरे धीरे मनिया उनसे डरने लगी। हमेशा धमका के रखती कि अगर अपने पिता से कुछ कहा तो वह उसे मारेगी।

मनिया अपने घर पर कम सामने वाले घर रहने वाली काकी के पास चली जाती। कमला भी खुश रहती कि चलो दिनभर की बला टली।

काकी के बच्चे बाहर रहते थे गाँव मे काकी अकेले ही रहती थी।वह काकी मनिया के लिए "बरगद की छाव" थी जो मनिया को प्यार, दुलार खाना सब देती थी जो उसे अपने परिवार से नहीं मिला।

रामजस अपनी बेटी को बहुत प्यार करता पर वह कभी ये जान ना पाया कि कमला उसके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है क्योंकि उसके सामने बड़ा प्यार दिखाती।

एक दिन मनिया काकी के घर खेल रही थी तभी उसके पिता उसे लेने आये, तो देखा मनिया बहुत खुश होकर उनके साथ खेल रही है पर इतना खुश उसे अपने घर नहीं देखा।

काकी ने रामजस को देखा उसके पास आकर कहा, तुम यही सोच रहे हो मनिया इतनी खुश यहा क्यूँ है ?

रामजस ने बड़ी हैरानी से देखा।

बेटा बच्चे वही ज्सादा रहते है जहा उन्हे प्यार और दूलार मिले जो तेरी दूसरी पत्नी ने कभी दिया ही नहीं। वह तो बेचारी प्रताड़ित करती रहती।मेरे घर आकर रोती और पूछती "मेरी माँ कहा है?" क्यो मुझे अपने साथ नहीं ले गई क्या बताऊ उस बच्ची से की उसकी माँ लौट कर नहीं आने वाली।

आज रामजस को सच्चाई का भान हुआ उसने जब कमला को घर से निकालने लगा, कमला गिड़गिड़ाने लगी तब उस मनिया ने ही उसे रोका आज कमला को अपने गलती का एहसास हो चूका था। आज पहली बार दिल से अपनाया था और आज पहली बार अपने आचल की छावं दी थी।


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