Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Hrishita Sharma

Children Stories Inspirational classics

4.7  

Hrishita Sharma

Children Stories Inspirational classics

सोफा कवर वाली

सोफा कवर वाली

4 mins
329


नये ज़माने के चलन के हिसाब से और खासकर सोनल की जिद्द के चलते मैंने ने नये सोफे खरीद लिए थे।

दिवाली पर खरीदारी की भागमभाग में नये सोफे की खुशी ही अलग थी। इस बार की दिवाली ज्यादा खुशियों वाली लग रही थी। मिडिल क्लास फैमिली के लिए सोफे किसी बहुत कीमती सामान से कम नहीं थे।

उसका हल्का रंग जहां देखने वालों के मन को भा रहा था वहीं मुझे एक नयी टेंशन सता रही थी, उस हल्के रंग के चमचमाते सोफे पर धूल चढ़ने की टेंशन।  

अब रोज घर में यही बातें होती रहती थीं कि सोफे के कवर कहां से लिए जाएं?

पड़ोसियों से सलाह-मशवरा करने पर बाज़ार जाकर कवर लाना तय हुआ।

सोनल को लेकर मैं चल पड़ी बाज़ार की ओर। बहुत सी दुकानें घूमीं लेकिन बात नहीं बनी कहीं पसन्द के कवर नहीं मिलते तो कहीं भाव आसमान छू रहे होते।

आखिर मन मारकर बाद में कवर लेने की बात तय हुई।

एक बार फिर लोगों की सलाह पर मैंने सोफे को सुरक्षित रखने के लिए उसे चादर से ढक दिया और इंतज़ार करने लगी किसी फेरीवाले का जो सोफाकवर बेचता हो।

यूं तो फेरीवालों की आवाज आए दिन सुनाई देती थी पर दो‌ महीने बीत चुके थे न तो फेरीवाला आया और न ही आए सोफे के कवर।

एक रोज किसी की आवाज सुनकर सोनल बाहर निकली तो‌ देखा एक औरत-आदमी कालीन बेच रहे थे, पूछने पर पता चला कि वो सोफा कवर भी बेचते हैं तो सोनल की खुशी का ठिकाना न रहा।

मैं भी खुश थी कि अब सोफे ढांक कर भी नहीं रखने पड़ेंगे और कवर कि वजह से साफ भी रहेंगे।

सोफा कवर वाली के पास‌ केवल तीन प्रकार के कवर थे जो उतने खास भी नहीं थे लेकिन दाम में भी कम थे।

"मैं न बाहर जा रही हूं इसलिए इतने कम दाम में दे रही हूं, ले लो न भाभी सुबह का टाइम है बोनी हो जाएगी

कवर के रंग ज्यादा जंचे नहीं थे पर सोफा कवर वाली की बातों से मैं इस कदर प्रभावित हो गयी कि ढेर सारे कवर खरीद लिए।

सोफा कवर वाली भी सुबह-सुबह हुई इस अच्छी बोनी से बहुत खुश थी।

मैंने जब सबको वह कवर दिखाए तो वह किसी को भी पसंद न आए सबने कहा कि तुम्हें मूर्ख बनाकर सस्ती चीज दे दी है।

सबकी बातें अब मन में घर करने लगी थी और इस वजह से मन भी उदास हो गया मुझे भी यह लगने लगा कि उस सोफा कवर वाली ने मुझे मूर्ख बनाया है।

एक पल के लिए दिमाग कह रहा था कि धोखा मिला है पर दिल को विश्वास नहीं हो रहा था कि इतना अच्छा बोलने वाली औरत मुझे धोखा दे गयी है। 

एक बार फिर सोफे ढांक दिए गए।

सोफे को यूं देख मुझे पल-पल वो औरत और उसकी बातें याद आती रहती। कुछ महीनों बाद एक रोज फिर उसके कानों को वही आवाज पड़ोस से सुनाई दी 

लेकिन जब तक बाहर जाकर देखा सोफा कवर वाली जा चुकी थी।

घर के लोगों ने एक बार फिर कहना शुरू कर दिया था कि अब वो इस ओर नहीं आएगी।

सोफे को बिना कवर के और कवर को बिना सोफे के रहे एक साल बीतने को था। एक बार फिर दिवाली के दिन करीब आ रहे थे। 

अब भी सोफे के उन कवर को देखकर मुझे उस सोफा कवर वाली की याद आ जाती थी।

एक रोज अचानक सुबह घर के बाहर से किसी के भाभी कहकर पुकारने की आवाज आयी।

बाहर वही सोफा कवर वाली खड़ी थी, मुझे देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी।

"आओ भाभी नये कवर ले लो…. उसकी बात को बीच में ही काटकर मैंने ने अपनी बात कह दी कि, कैसे उनसे खरीदे कवर यूं ही पड़े हुए हैं।"

सोफा कवर वाली एक पल के लिए ठहरकर बोली- "तो लाओ वो कवर नये कवर से बदल लो।"

एक पल के लिए मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ 

उसने आगे कहा- "अगर नये ही रखें हैं तो बदल लो मुझे भी यह सुनकर बुरा लगा कि आपने उन कवर का इस्तेमाल भी नहीं किया" 

मैंने सभी कवर नये कवर से बदल लिए और साथ-साथ बदल गई सबकी सोच अब सब समझ गये थे कि दुकान नहीं दिल बड़े होने चाहिए।

सोफा कवर वाली मुस्कुराते हुए नये कवर और विश्वास की एक नई सीख दे कर जा चुकी थी और मैं अपने विश्वास की जीत के आनंद में उसे जाता देख मुस्कुरा रही थी।

अपनी कहानी के माध्यम से मैं यह कहना चाहती हूं कि हमें कभी इन छोटे व्यापारियों से भी सामान खरीदना चाहिए ।


Rate this content
Log in