Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Indraj meena

Drama

5.0  

Indraj meena

Drama

एक कहानी ऐसी भी

एक कहानी ऐसी भी

11 mins
649


"पापा, मैं रोहन से शादी नहीं कर सकती" नीलिमा ने गहरी सांस लेकर अपने पापा से कहा।


रोहन और नीलिमा की सगाई हुऐ लगभग 3 महीने हो चुके थे। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था उन दोनों के बीच में। दोनों ने कभी किसी बात की शिकायत तक नहीं की थी। एक दूसरे से दोनों काफी खुश भी थे। इससे अच्छी बात थी कि दोनों के परिवार पहले से ही एक दूसरे से परिचित थे।


“क्यों बेटी, क्या कमी है रोहन में, पहले तो तुम्हें रोहन बहुत पसंद था। अब अचानक से क्या हो गया?" नीलिमा के पापा ने एकदम चौंकते हुए लड़खड़ाती सी आवाज में नीलिमा से कहा।


“पापा, मैं बस इतना कह सकती हूँ कि मैं रोहन के साथ पूरी लाइफ नहीं गुजार सकती। आप तो जानते हो ना रोहन को। घर में अकेला है और उसके ऊपर कितनी जिम्मेदारी है। उसको अभी अपनी दोनों बहनों की शादी करनी है, वह कैसे मुझे खुश रख पाएगा”


“लेकिन बेटी, जब रोहन के साथ हमने रिश्ता तय किया था तब उसने ये सारी बातें भी बताई। उसने अपने परिवार से लेकर अपनी हर बात सभी से शेयर की थी। तब तो तुम्हें उनकी ये सब बातें बहुत पसंद आई। अब तुम्हें क्या हो गया और रही बात जिम्मेदारी की वो तो हर किसी को किसी ना किसी रूप में निभानी पड़ती है।"


“नहीं पापा, आप नहीं समझोगे। मैं आपकी लाडली अकेली बेटी रही हूँ और आपने मुझे एक राजकुमारी की तरह पाला है। आजतक किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। मैं जानती हूँ कि रोहन अच्छा लड़का है और उसके पास अच्छी जॉब भी है लेकिन पापा उसकी जिम्मेदारी भी देखो। प्यार ही सब कुछ नहीं होता है जीवन में। कुछ पैसा भी जरूरी होता है। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से रोहन की बाद में लाइफ खराब हो।" नीलिमा ने सब कुछ एक ही सांस में कहकर अपना निर्णय सुना दिया।


लेकिन अब सवाल यह था कि जिस समाज में रोहन और नीलिमा रह रहे थे वहां पर सगाई का टूटना बहुत बड़ी बात मानी जाती है। ऐसी खबरे आग कि तरह फैलती है। जब तक दोनों पक्ष अपनी बात कह पाते उससे पहले ही लोगों के बीच इस घटना का पोस्टमार्टम हो चुका होता है। जिसका खामियाजा दोनों परिवार ही भुगतते है।


नीलिमा के पापा एक सख्त मिजाज के व्यक्ति थे। उनको बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि कोई किसी भी कारण से उन पर उंगली उठाए और नीलिमा के इस अप्रत्याशित फैसले ने तो उनको गहरी चिंता में डाल दिया। आखिर नीलिमा और उसके पापा ने एक प्लानिंग के तहत् सारा दोष रोहन पर ही डालने का निर्णय लिया।


उधर रोहन अपनी ही दुनिया में मस्त था। उसको आभास भी नहीं था कि उसकी लाइफ कुछ दिनों बाद बदलने वाली है। मिलनसार और हंसमुख स्वभाव का रोहन कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि जिस नीलिमा के साथ उसकी सगाई हुई है वो महज़ कुछ समय का साथ ही है।


कुछ दिनों बाद रोहन किसी वजह से अपनी होने वाली ससुराल में गया। रात में डिनर करने के बाद वह गहरी नींद में सो गया था। सुबह के 6 बजे थे कि उसको पास वाले कमरे में से कुछ खुसर पुसर सुनाई दी।


 “देखो जी, ये नेहा मुझे बिल्कुल भी अच्छी लड़की नहीं लगी। पता नहीं क्यों ये हमारी लड़की का पीछा ही नहीं छोड़ती। आपको पता है ना कि पिछली बार नीलिमा उसके साथ बिना बताए 6 दिन के लिए गायब हो गई। नेहा हमारी नीलिमा की जिंदगी बर्बाद करके छोड़ेगी।"


 “तुम चिंता मत करो, मैं रोहन को बता दूंगा, वह नीलिमा को समझा लेगा।" नीलिमा के पापा ने एक गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया। रोहन बड़े ध्यान से ये सब बाते सुन रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे ये खुसर पुसर ऊंची आवाज में रोहन को ही सुनाने के लिए की गई हो।


तभी रोहन को किसी के उसके पास चलकर आने की आवाज आती है, " बेटा रोहन, चाय लो"।


सभी लोग चाय पीने लग जाते है तथा नीलिमा का पापा मौका देखकर रोहन को समझने लग जाता है कि नीलिमा को किसी तरह मना लेना कि वो नेहा का साथ छोड़ दे लेकिन ध्यान देना कि उसको अहसास भी नहीं होना चाहिए कि उसके पापा ने ही ये सब करने को कहा था।


सुबह के 10 बजे रोहन वहां से जाने की अनुमति लेकर स्टेशन पहुंच जाता है और वहां से ट्रेन पकड़कर दिल्ली आ जाता है। अगले ही दिन कनॉट प्लेस पर बैठा रोहन नीलिमा का इंतजार कर रहा था। कनॉट प्लेस दिल्ली का दिल माना जाता है। तभी सामने से उसको नीलिमा आती हुई दिखाई दी। नीलिमा ने सफेद कलर का टॉप और स्काई ब्लू कलर की जींस पहन रखी थी।


“हाय रोहन, हाऊ आर यू?”


“आई एम फाइन, एंड यू?" रोहन ने कहा


“आई एम आलसो फाइन" नीलिमा ने जबाव दिया


दोनों वहां पर ढेर सारी बाते करने लगे। सितम्बर का पहला दिन था। आसमान में बादल छाए हुए थे जो सूरज के साथ लुका छिपी खेल रहे थे।


इसी बीच रोहन ने मौका देखकर नीलिमा से पूछ ही लिया, " नीलिमा, जब आपके घरवाले नेहा को पसंद नहीं करते तो आप उसके साथ क्यों रहती हो। मैं भी चाहूँगा कि यदि वो अच्छी लड़की नहीं है तो आपको आपके परेंट्स की बात मान लेनी चाहिए। शायद मेरी भी यही इच्छा हो। "


इतने में ही नीलिमा ने रोहन को घूरकर देखा और जोर से चिल्लाई, "तुम होते कौन हो मेरी लाइफ में रोक टोक करने वाले। मैं कहीं भी जाऊ, कुछ भी करूं और किसी के साथ रहूँ वो मेरी आजादी है। वैसे भी मेरी आपसे सगाई हुई है। शादी के बाद पता नहीं क्या-क्या प्रतिबंध लगाया जाएगा। कौन से जमाने के इंसान हो तुम"


"नीलिमा, मेरा मतलब यह नहीं था। आपके पापा ने ही मुझसे कहा था ये सब वरना मैं आपको भला क्यों ऐसा कहूँगा। आपके पापा दुखी थे तो मैंने कहा दिया। आई एम सॉरी, आपको बुरा लगा हो।" रोहन ने धीरे से कहा।


इतना कहकर रोहन वहां से उठकर सीधा अपने रूम के लिए निकल पड़ता है। वह पहली बार नीलिमा को इतने गुस्से में देख रहा था। उसके समझ नहीं आ रहा था कि उसने उसके पापा की बात मानकर गलती की है या नहीं। शाम होने को जा रही थी लेकिन रोहन का मन अभी भी घबराया जा रहा था। अचानक उसके फोन की रिंगटोन बजने लगती है। रोहन ने देखा कि नीलिमा के पापा का फोन था। उसने तुरंत ही फोन उठाया,


"नमस्ते पापा"


" नमस्ते बेटा, आज आपकी नीलिमा से कुछ बात हुई थी क्या?" दूसरी तरफ से आवाज आई।


"हां पापा, मैंने तो आपने जैसा कहा उसके अनुसार नीलिमा को नेहा के साथ रहने को मना किया लेकिन वह गुस्सा हो गई"


"तुम्हें पता है कि नहीं, नीलिमा लगातार रोए जा रही है। मैं तुम्हें कुएं में गिरने की कहूँगा तो क्या तुम कुएं में गिर जाओगे?" दूसरी तरफ इस तरह के जवाब को सुनकर रोहन हक्काबक्का रह गया। उसको विश्वास भी नहीं हो रहा था कि ये सब अचानक से क्या होता जा रहा है। अब धीरे धीरे उसका धैर्य जवाब देने लग गया।


“पापा, यदि आप लोगों का व्यवहार इसी तरह का है तो मुझे नहीं रहना आप लोगों के साथ। एक तरफ आप कहते हो कि ये करो तो दूसरी तरफ आपकी बेटी इसके विपरित ही चलती है। फिर उसके बाद आप उसको कहने कि बजाय मुझे ही डांट रहे हो"


रोहन के इतना बोलते ही दूसरी तरफ से तुरंत कॉल डिसकनेक्ट हो गया।


रोहन अभी नीलिमा की नाराज़गी से उबरा ही नहीं था कि तुरंत उस पर एक वार और हो चुका था। रोहन अब जोर जोर से रोए जा रहा था। तभी रोहन के जीजा जी का कॉल आ गया।


“रोहन, तुमने नीलिमा के पापा से कुछ खटपट की है क्या? वो कह रहा है कि बड़ा बदतमीज लड़का है और रिश्ता तोड़ने की बात कर रहा है। उसने आप दोनों के बीच जो बातचीत हुई उसकी रिकॉर्डिंग भी मुझे सुनाई है"


“नहीं जीजा जी, वो मुझसे गुस्से में निकल गया। आप खुद सोचो, मैं कितना खुश था। जो गलतफहमियां हुई है आपस में उनको मैं सुलझा लूंगा" इतना कहकर रोहन ने फोन रख दिया


उसको पूरी रात नींद नहीं आई। सुबह होने तक वह यही सोचता रहा था कि आखिर उसकी गलती क्या थी? और क्यों उसको उकसा कर उसकी बातों को रिकॉर्ड किया जा रहा था फिर भी उसने निश्चय किया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह अपने रिश्ते को बचाकर रहेगा।


रोहन अब एक नई सुबह की आस लिए ऑफिस निकल चुका था। वह मेट्रो से उतर ही रहा था कि फिर से उसके फोन पर नीलिमा के पापा की कॉल आ रही थी। रोहन ने सोचा कि शायद सब कुछ ठीक हो गया होगा। उसने तुरंत कॉल पिकअप किया।


"नमस्ते पापा, सॉरी पापा, कल गुस्से में आकर शायद कुछ ज्यादा ही बहस हो गई। मुझे इस तरह से बात करनी नहीं चाहिए... रोहन अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया कि दूसरी तरफ से आवाज आई


"देखो रोहन, एक बार रिश्ते में गांठ पड़ जाती है तो कितना भी जोड़ों लेकिन उसका चिन्ह हमेंशा रहता है। भला इसी में है कि तुम मेरी बेटी से रिश्ता खत्म कर लो। और हां, रिश्ता खत्म करने के लिए तुम्हें मेंरे घर आना पड़ेगा। मेंरे पास रिकॉर्डिंग हैं जिसमें तुमने साफ कहा था कि तुम्हे ये रिश्ता मंजूर नहीं है।"


दोनों के बीच लगभग 10 मिनट तक बातचीत होती रही। रोहन पूरे समय बातचीत के दौरान रोता रहा लेकिन उनकी बातचीत जल्दी ही रिश्ता खत्म करने पर ही बंद हुई। रोहन खान मार्केट मेट्रो स्टेशन के गेट न . 4 पर बैठ गया तथा काफी देर तक रोता रहा। वह भूल भी गया था कि वह सबसे बिजी स्टेशन पर बैठा हुआ है और उसके ऑफिस का रास्ता भी तो यही से जाता है, सभी आने जाने वाले लोगों की निगाह उस पर ही थी। लेकिन रोहन बेसुध होकर लगातार रोए जा रहा था। काफी देर बाद उसने अपने आप को संभाला और ऑफिस की बजाए वह सीधे अपने घर आ गया।


धीरे धीरे समय व्यतीत होता गया। रोहन सोच रहा था कि धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा लेकिन 3 महीने बाद नीलिमा के पापा ने केस की धमकी देकर रिश्ता खत्म ही करवा लिया। यह समय रोहन और उसकी फैमिली के लिए एक भयानक स्वप्न जैसा था। समाज में लोगों ने काफी बातें बनाई। किसी ने रोहन पर आरोप लगाया कि दहेज की बात पर रिश्ता खत्म हुआ है वहीं दूसरी तरफ किसी ने लड़की के चरित्र पर ही सवाल उठा दिया।


रोहन का धीरे धीरे गाँव जाना कम होता गया। वह नहीं चाहता था कि सगाई टूटने की वजह लोगों को बताई जाए। रोहन की लाइफ वापिस से पटरी पर आने लगी और एक दिन सूचना मिली कि नीलिमा की शादी हो रही है। रोहन को नीलिमा के ही एक रिश्तेदार ने बताया कि नीलिमा के कई जगह पर रिश्ते तय होते होते रह जाते थे और अंत में जाकर अब नीलिमा की मर्जी के बिना यह शादी हो रही है। इसके कुछ दिनों बाद फिर से खबर आई कि नीलिमा अपने ससुराल में एडजस्ट नहीं हो पाई और अंतत: अब वह अकेली ही रह रही है।


वहीं दूसरी तरफ रोहन की मुलाकात प्रिया से होती है। एक छोटी सी मुलाकात धीरे धीरे प्यार में बदल जाती है। प्रिया भी पेशे से स्टेट सर्विस में बड़ी पोस्ट पर आसीन थी। अतत: यह प्यार शादी के बंधन तक पहुंच जाता है।


रोहन की शादी को एक वर्ष पूरा हो चुका था। रोहन ने धीरे धीरे नौकरी के साथ साथ लेखनी को भी अपना कैरियर बना लिया। आज रोहन की पहली किताब लॉन्च होने जा रही थी। असेम्बली हाल पूरी तरह सज चुका था वहीं प्रेस वालों की भीड़ भी लगी हुई थी। रोहन पर्दे की तरफ खड़ा खड़ा अपने अतीत को याद कर रहा था।


कैसे वह इस घटना से पूरी तरह टूट कर जहां आत्महत्या तक करने कि सोच रहा था। वहीं आज वह नीलिमा को कोसने की बजाय धन्यवाद देना चाहता था। नीलिमा का व्यक्तित्व रोहन से अलग था, रोहन भी समझ चुका था कि नीलिमा गलत नहीं थी। हर व्यक्ति का अपना चरित्र होता है और सबको स्वतंत्रता है कि वो अपनी लाइफ कैसे जिए। हालांकि उसका इस तरह से सगाई तोड़ना गलत था। नीलिमा यदि रोहन को एक बार भी ये सब कह देती तो शायद इतना बड़ा बवाल नहीं मचा होता और रोहन भी खुशी खुशी मान जाता। नीलिमा की परवरिश उससे एकदम अलग माहौल में हुई थी वो शादी भी कर लेते तो हो सकता था कि दोनों की लाइफ ही खराब हो जाती। वहीं दूसरी तरफ प्रिया ने रोहन का हर मुसीबत में साथ दिया। जिसकी वजह से आज रोहन एक नए मुकाम को हासिल करने जा रहा था।


वह ये सब सोचकर ही रहा था कि सहसा भीड़ में से एक पत्रकार निकल कर रोहन के पीछे आ खड़ी होती है।


"सर, मेंरे एक प्रश्न का जवाब चाहिए? "


रोहन पीछे मुड़कर जैसे ही उस पत्रकार की तरफ देखता है तो वह चौंक जाता है। नीलिमा एक पत्रकार के रूप में उसके सामने खड़ी थी। हाथ में कैमरा पकड़े एक असिस्टेंट भी उसके साथ खड़ा था।


नीलिमा ने रोहन की तरफ बाईं आंख दबाई, " सर, कहाँ खो गए? पहले मेंरे प्रश्न को तो सुन लीजिए"


"हां हां बताओ आपका प्रश्न?" रोहन ने विस्मित होकर कहा।


"तो झेलो मेंरा पहला और अंतिम तीर, आपकी सगाई टूटने के एक साल बाद आपके पास यदि नीलिमा आकर आपसे सब कुछ भूलकर शादी करने को कहती तो क्या आप उसका हाथ थाम लेते?"


रोहन समझ चुका था कि ये सवाल क्यों पूछा गया। उसने उसकी तरफ मुस्करा कर कहा, "यदि नीलिमा भागकर शादी करने की बजाय यह कहती कि मैं आपके परिवार के साथ रहना चाहती हूँ तो शायद परिस्थितियां कुछ भिन्न होती"


नीलिमा रोहन के उत्तर को सुनकर असमंजस में पड़ जाती है कि आखिर रोहन क्या कहना चाहता है और परिस्थितियां कैसे भिन्न हो जाती। वह वहां से रोहन का इंटरव्यू लेकर सीधे ऑफिस पहुंच जाती है तथा टीवी पर रोहन कि नई किताब की समीक्षा करने में व्यस्त हो जाती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama