डर
डर
एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बहुत ताकतवर था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे। कोई भी उसके सामने आने की हिम्मत नहीं करता।
पर वह शेर मुर्गे की आवाज़ से बहुत डरता। जब सुबह सुबह मुर्गा बांग देता तो वह शेर बहुत डर जाता और अपनी गुफा से बहार ही नहीं निकलता।
एक बार उसने एक बहुत विशाल हाथी को देखा। हाथी ने शेर से पूछा क्या हुआ जंगल के राजा तुम कुछ डरे हुए लग रहे हो। शेर ने अपना दुःख उस हाथी के साथ बाँटने की सोची।
शेर ने हाथी से पूछा तुम इतने विशाल हो ? क्या कोई ऐसी चीज़ है जो तुम्हें डराती है।
हाथी ने कहा ” क्या बताऊँ शेर महाराज आपको जब कोई मक्खी मेरे कान के पास आती है और उसकी जो भिन्न भिन्न की आवाज़ होती है मुझे उससे बहुत डर लगता है। मुझे लगता है वह मक्खी मेरे कान में घुस जाएगी और मैं दर्द की वजह से पागल हो जाऊँगा, शेर अब समझ गया चाहे कोई बाहर से कितना भी विशाल दिखे पर सबको कुछ न कुछ डर ज़रूर होता है। और वह डर जीवन की ख़ुशी को काम कर देता है।
नैतिक :दुनिया में हर इंसान का कोई न कोई डर ज़रूर होता है। वह डर जीवन को कमज़ोर कर देता है। और ज़्यादातर डर बेकार के होते हैं। हमें अपने डर से खुद ही ऊपर उठना होगा। तभी हम जीवन का आनंद ले पायंगे और इससे अच्छे से जी पाएंगे ।