कमाई
कमाई
मुठ्ठी में रखे नोट उसने रसोईघर में आटा गुंधती पत्नी के ऊपर फेक दिए," ले पकड़ आज दिन भर बस इतनी ही कमाई हुई है ।
" यह क्या मेरे ऊपर क्यों फेक रहे हो जितनी भी हुई संभाल लो," ऐसे लक्ष्मी का अनादर नहीं करते भगवान ने चाहा तो अच्छे दिन भी आयेगे..."
" हमारे कभी अच्छे दिन नही आयेगे सुना तूने। "
पति ने झल्लाते हुए अपनी भड़ास निकाली
"कुछ और काम करना होगा इस दुकान की कमाई से घर का खर्च भी नहीं ढंग से चलता। "
फटाफट रसोई का काम खत्म कर पति के पास आकर बैठी
नन्दिनी प्यार से बोली इस तरह गुस्सा करने से क्या फायदा फेंके नोट नन्दिनी ने संभाले और वापस उसके हाथ में थमा दिए , मैं तुम्हारा हाथ बटाऊं काम में? घर का काम खत्म कर मैं भी दुकान पर आ जाऊंगी ।
तुम्हारी मदद हो जायेगी |"
"तुम्हे दुकान पर आने की जरूरत नहीं तुम घर के काम ही करों " !
रमेश को बहुत गुस्सा आ रहा था दिन भर दुकान में बैठे बैठे उसकी कमर अकड़ गयी थी , उस पर दो चार ग्राहक ही आने से आमदनी लगातार कम हो रही थी, उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था क्या करे।
अगले दिन नन्दिनी खाना देने के बहाने रमेश की दुकान पर जा पंहुची वहां वो नदारद था। कस्टमर देख रहे थे खड़े हुए दुकान तो खुली थी पर मालिक गायब !!
नन्दिनी ने सभी को समान दिया तब तक रमेश भी आ गया ,
" तुम कहां थे कस्टमर खड़े थे मुझे जरूरी कार्य से जाना पड़ा यही बाजार में, अच्छा हुआ तुम आ गयी "
" देखो कितना समान बिक गया यह देखो कमाई ।"
रमेश अवाक था नन्दिनी ने दुकान पर पैर रखते ही सारा काम कर दिया जब मैं दूसरे काम में था ।
रमेश मुस्कुरा कर बोला अच्छा जी तो फिर ठीक है लक्ष्मी
जी , कल से तुम भी घर के काम जल्दी खत्म कर मेरे साथ ही आ जाना।
"दोनों मिलकर काम करेंगे तो कमाई भी बढ़ेग।|"
नन्दिनी हंसने लगी बोली, " देर से ही सही मेरी बात तो मानी "।
दोनों की खिलखिलाहट वातावरण में महक उठी।