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Manchikanti Smitha

Drama

5.0  

Manchikanti Smitha

Drama

एक सुनामी

एक सुनामी

3 mins
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गोपाल को चेन्नाई मे बडी नौकरी लगी। वह अपनी पत्नी रुक्मिणी व दादी माँ को लेकर चेन्नई आया।। उसने अपने लिए मकान खरीदा। मकान समुद्र के किनारे होने के कारण वहाँ का दृश्य बडा सुहावना व मनोहर था। समुद्र की ठंडी लहरें मानो संगीत सुना रही हो। उससें उठने वाली ठंडी हवा मानों हमारी सारी थकान को मिटाकर हममें नया उत्साह भर रही है ऐसा प्रतित होता था। मन अक्सर उदास होने पर अपने घर की छत पर बैठकर अपनी पत्नी व दादी के साथ चाय पीता समुद्र से उठने वाली लहरों का संगीत सुनता व ठंडी हवा का मजा लेकर अपने मन को उत्साहित करता था।

इस प्रकार दिन आराम से बीत रहे थे। अचानक दादी का स्वास्थ्य बिगड गया। खाँस-खाँस कर वह सुहावने वातावरण में रुकावट व बाधा डाल रही थी। दादी की खाँसने की खर- खर आवाज से रुक्मिणी तंग हो चुकी थी। वह अपने बच्चों को भी दादी से दूर रखती थी। रुक्मिणी ने गोपाल को बताया कि वह अपनी दादी माँ को वृद्धाश्रम भेजे, लेकिन गोपाल नही माना। इस प्रकार दादी और रुक्मिणी की चीक चीक से गोपाल परेशान हो चूका था। गोपाल दादी को अपने से अलग भी नहीं कर सकता था। क्योंकि बचपन में ही गोपाल के माता-पिता की मृत्यु के कारण वह अपनी दादी के साथ ही रहता था और वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।। एक दिन गोपाल को अपने काम से बाहर गाँव जाना पडा। उसने रुक्मिणी को समझाया कि गाँव से आने के बाद इस विषय पर बात करेगा। रुक्मिणी ने दादी को अपने घर के आउट हाऊस मे रखा था।वह दादी की खाँसी की आवाज अपने बच्चों पर पडने नहीं देना चाहती थी। गोपाल के शहर से बाहर जाने के दो दिन बाद अचानक चेन्नई में खलबली मच गयी। वर्षा नेविकराल रुप धारण कर लिया था। यातायात बंद हो गया, खाने पिने की चीजों के लिए भी कठिनाई हो गई। पेपर, सब्जी, दूध आदि बंद हो चूके थे। चारों ओर कोलाहल मच गया, अचानक बिजली बंद हो गई। बच्चे भूख से रो रहे थे।रुक्मिणी अपने बच्चों के लिए खाना बनाने की सोच कर रसोई में आ रही थी कि अचानक उसका पैर फिसल गया और उसके पैर में मोच आ गई। रुक्मिणी दर्द के मारे रोने लगी।, बाहर से वह कुछ मंगा भी नहीं सकती थी। कोई दूसरा रास्ता न पाकर रुक्मिणी दादी को बुलाकर पकाने को कहती है और दादी को बताती है कि उसके पैर में मोच आ गई। दादी अपने पूराने घरेलू नुस्खों से उसके दर्द को कम करती है और घर में जो खाने की चीजें थी उससे नये नये पकवान भी बनाकर बच्चों और रुक्मिणी को स्वादिष्ट व रुचिकर खाना बनाकर उनकी देखभाल करने लगी। कुछ समय बाद वातावरण शांत हो जाता है और वातावरण में धीरे धीरे प्रसन्ता फैलने लगती है। गोपाल अपने काम से घर लौटने पर देखता है कि दादी माँ हाल में बैठकर टीवी देख रही थी और रुक्मिणी रसोई में खाना बना रही थी। यह दृश्य देखकर वह बहुत प्रसन्न होता है। रात का खाना खाकर जब रुक्मिणी व गोपाल टेरस क ेलान मे बैठकर लहरों से उठने संगीत का आनंद ले रहाथा तब रुक्मिणी ने गोपाल को सारी घटना बताती है कि किस प्रकार दादी के कारण उसकी समस्या दूर हो गई।ऐसे में गोपाल अपने मन ही मन लैला सुनामी का धन्यवाद करता है कि लैला सुनामी के कारण जो गुथी रुक्मिणी व दादी के बीच उलझी हुई थी वह सुनामी के कारण सुलझ गई।


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