उगते सूरज को सलाम
उगते सूरज को सलाम
खचाखच भरे पंचायत भवन में ज्यों ही गाँव की मुखिया अल्लो देवी का नाम पुकारा गया पूरा भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा ।
"मुखिया जी के निरंतर प्रयास से ही हमारे गाँव का चयन निर्मल गाँव के लिए हुआ है। हम सभी आभारी हैं मुखिया जी के। "शिशुपाल गाँव के जाने माने व्यक्ति ने खड़े होकर जब ज़ोर से यह कहा तो पुनः तालियाँ बज उठीं ।
अल्लो देवी मंद मंद मुस्करा रहीं थीं। आत्मविश्वास से लबरेज उनका मुखमण्डल सूरज के मानिंद चमक रहा था।
हाथ जोड़कर सबका अभिनंदन किया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गयीं।
"अल्लो देवी जिंदाबाद !"के नारे से पूरा गाँव गूँज उठा।
सम्मान समारोह जब पूरा हो गया तो अल्लो देवी को ज़रा भी आश्चर्य नहीं हुआ। यह सफलता उनको रातों रात नहीं मिली वरना खुद को कर्म की भट्टी में जला और आत्मविश्वास के अखंडित खज़ाने की बदौलत हासिल हुई।
अब से लगभग सोलह साल पहले ब्याह कर आई थी अल्लो देवी इस गाँव में। तीन साल में तीन बच्चों की माँ भी बन गयीं।
हंसी खुशी से जिंदगी बसर हो रही थी मगर अचानक एक दिन उनके पति की साँप द्वारा काटे जाने से मौत हो गयी।
अल्लो की तो जैसे दुनियां ही उजड़ गयी। तीन बच्चों और घर की जिम्मेदारी। परिवार वालों ने तो गर्दिश के दिनों में पल्ला ही झाड़ लिया।
ज़मीन हथियाने के लिए कितना परेशान किया गया अल्लो को मगर उसने हिम्मत नहीं हारी।
खुद खेती करने का निर्णय लिया।
गाँव वालों और घरवालो ने क्या क्या लांछन नहीं लगाये लेकिन उन्होने कभी खुद को कमजोर नहीं होने दिया।
तीनों बच्चों का पास के शहर में दाखिला दिला दिया और खुद ने खेती और घर की जिम्मेदारी संभाली
धीरे धीरे गांव वाले उसकी मेहनत और लगन के कायल हो गए। चुनाव में निर्विरोध ग्राम प्रधान चुन लिया गया।
अल्लो ने गाँव का नक्शा ही बदल दिया मेहनत से।
"भाभी घर चलिए ।"देवर राजेश ने सम्मान से कहा।
सुनकर अल्लो की तंद्रा भंग हुई।
यह वही राजेश है जिसने गांव और घर से अल्लो को भगाने के लिए क्या क्या षड्यंत्र नहीं रचे, मगर आज जब अल्लो कामयाबी के शिखर पर है तो आगे आकर लोग उनसे रिश्ते नाते जोड़ रहे हैं ।