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Savita Singh

Others Tragedy

5.0  

Savita Singh

Others Tragedy

सात फेरे

सात फेरे

5 mins
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ये कहानी सिर्फ़ कल्पना मात्र नहीं सच्ची कहानी पर आधारित है जगह नाम बदले हुए हैं !

सात फेरे , ये वचन नहीं निभाती सिर्फ औरतें, पुरुष कुछ कहते नहीं तो दुनिया की नज़रों में वो ही अत्याचारी होते हैं, कोई नहीं कहता औरतें भी कुछ ऐसी होती हैं जो पति के जीवन को नरक बना देती हैं, मैं एक औरत होकर ये कहानी सामने ला रही हूँ की शायद औरतों पर केवल अत्याचार लिखने वालों को कुछ समझ आये !

था वो एक सच्चा प्यारा सुन्दर स्मार्ट किसी हीरो से कम नहीं और रहता भी था वैसे ही ,उसने अपनी शादी की पसंद माँ पर छोड़ दी माँ बेचारी भी क्या करती एक अच्छी पढ़ी लिखी लड़की का रिश्ता आया स्वीकार कर लिया, बिना साथ रहे कोई स्वाभाव कैसे समझ सकता है !

छोटी जगह पर रहनेवाली पर दिमाग़ से बिलकुल हाई फाई अति महत्वाकांक्षी !

शादी के एक हफ़्ते में ही रंग सामने आने लगे, दोनों घूमने फिरने और फिल्म देखने निकले उसके बाद लवली (लड़की का नाम था )ने कहा पार्क चलते हैं, नितेश ने हामी भर दी वहाँ लवली ने तरह तरह से रोमांटिक पोज़ बना कर तस्वीरें खिंचवानी चाही नितेश ने मना कर दिया की छोटा शहर है बहुत से जानने वाले आस पास होंगे मैं ये ड्रामा नहीं कर सकता, घर आने पर उसने पूरी महाभारत कर डाली रोना खाना पीना छोड़ देना ,आखिर नितेश ने ही उसे मना कर खिलाया !

ये तो मामूली सी घटना थी वो जब तक सबके साथ रही किसी न किसी से मामूली बातों पर उलझना और झगड़ना, सब परेशान सबसे दुखी नितेश की माँ होती क्योंकि शादी तो उन्होंने ही तय की थी ! इस सब के बावज़ूद नितेश बहुत प्यार करता पत्नी को, कभी कोई शिकायत नहीं करता यहाँ तक की वो नई गाड़ी लाया और पहले माँ को आगे बैठा कर चलाया तो भी झगड़ा किया उसने !

नितेश की पोस्टिंग दिल्ली हो गई वो एक प्राइवेट फर्म में एरिया मैनेजर था अब प्रोमोट होके जोनल मैनेजर हो गया ! दिल्ली जा कर उसकी महत्वकांक्षाओं को और हवा मिल गई दोस्तों के साथ तमाम किटी पार्टी शॉपिंग काम करनेवाले और ड्राइवर सब मिले ही थे, घर में वो कम ही दिखती इस बीच बच्चे भी हो चुके थे ,कभी कभी ड्रिंक भी करती बच्चों के सामने कलह न हो इसलिए नितेश शान्त ही रहता एक तो बार बार सुसाइड की धमकियाँ देती, उसका बड़ा भाई ख़ुद को आग लगा लिया था और ये लोग दिल्ली में ही थे तो छोटे भाई ने सुसाईड कर लिया पता चला की जेनेटिक सीनोफ्रेज़िया है (ये एक तरह की बीमारी है जिसमें मरने या मार देने की सनक सवार होती है ) इससे नितेश डरा भी रहता की कहीं कुछ कर न ले पहले इस चीज़ के बारे में पता नहीं था दूसरे वो प्यार भी बहुत ज्यादा करता उससे !

उसकी मनमानियां बढ़ती रहीं ,नितेश की पोस्टिंग फिर मुम्बई हो गई ए जी एम् के पद पर उड़ान और बढ़ गई इसी बीच नितेश की माँ भी नहीं रही और कम्पनी सरकारी मानक पर खरी नहीं उतरी बंद हो गई वो बेरोज़गार भी हो गया, घर वापस आया लेकिन लवली ने ज़िद पकड़ी की लखनऊ रहेंगे बच्चों को पढ़ायेंगे मान ली बात किराये का घर लेकर ले गया लखनऊ ,मानसिक रूप से परेशान रहने लगा बिज़नेस शुरू किया एक साल रहा वहाँ लेकिन बड़े बड़े ठेकेदारों के बीच बहुत कम काम मिलता तो वो अपने शहर में काम करने आ गया लेकिन वो जाने को तैयार नहीं हुई ,वहाँ उसका काम अच्छा चल निकला और लखनऊ में वो मस्त किटी पार्टी ,योगा क्लासेस ,परसनैलिटी डेवलोपमेन्ट कम्प्यूटर क्लास कुछ छूटा नहीं ,चाहे जितने पैसे दे वो उसके लिए कम ही होते ,नितेश बहुत परेशान रहने लगा लेकिन एक शब्द किसी ने नहीं सुना की उसने पत्नी के ख़िलाफ़ कहा हो और लवली हर जगह पति की बुराइयाँ करती, जब वो लखनऊ आता तो इतना झगड़ती की हद हो जाती ! फिर भी जाने कितना प्यार करता उसको की हर नखरे उठाता उसके ,लवली के घर में न रहने से बच्चे भी गलत राह पकड़ लिए गनीमत था की बेटी सही थी पढ़ने में भी अच्छी !

उसकी डिमाण्ड बढ़ती गई और नितेश टूटता गया जाने ये प्यार था या सात फेरों का बंधन जो जबान से उफ्फ भी न किया लेकिन, इसका नतीजा सामने आने लगा पहले डायबटीज़ हुई फिर उसे जानलेवा बिमारी ने जकड़ लिया ,जाने कैसी पत्नी थी की उसी के सामने सबसे कहे, क्या फ़ायदा दवा करने का दो तीन महीने से ज्यादा बचेगें नहीं, लेकिन अब घरवालों के बर्दाश्त की सीमा पार हो गई पहले किसी ने कुछ नहीं कहा क्योंकि नितेश ही कुछ नहीं कहता ,सबने डाँट कर उसे हटाया की इस तरह दर्द में तड़पते उसकी जान जाये और दवा नहीं होगी ये कैसे हो सकता है, घरवालों ने ट्रीटमेंट शुरू करवाया दो महीने में अच्छा दिखने लगा वो ,लेकिन वो औरत की सेवा कौन करे उससे झगड़ा करके घर से चली गई पी जी में रहने लगी बाकी लोग सुधार देखकर चले ही गए थे सबके बाल बच्चे थे !!

उसके खाने के भी लाले पड़ गए फिर गिरने लगी तबियत ,मानसिक रूप से भी टुटा हुआ ,दो महीने बाद लवली वापस आई !लेकिन किसी तरह एक साल रहा नितेश और आखिरी साँस तक पत्नी का नाम लेता रहा ,ये जाने प्यार था या सात फेरों का वचन जो उसने निभाया !

आज को उसकी पत्नी और बच्चे उसी की जान दे कर कमाये गए घर दो दो और पैसों पर मस्त हैं !लेकिन एक हँसता मुस्कुराता सबका मन जीत लेने वाला इंसान सात फेरों की बली चढ़ गया !!


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