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Jai Prakash Pandey

Comedy

4.7  

Jai Prakash Pandey

Comedy

रजाई उत्सव की स्मृति

रजाई उत्सव की स्मृति

3 mins
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        जाड़े का मौसम है, हर बात में ठंड.... हर याद में ठंड और हर बातचीत की भूमिका में ठंड की बातें और बातों - बातों में ये रजाई उत्सव ..... वाह रजाई उत्सव ... हाय रजाई उत्सव ... महासुख का राज रजाई। 

      सबकी अपनी-अपनी ठंड है और ठंड दूर करने के लिए सबकी अलग अपने तरीके की रजाई होती है। संसार का मायाजाल मकड़ी के जाल की भांति है जो जीव इसमें एक बार फंस जाता है वह निकल नहीं पाता है ऐसी ही रजाई की माया है। एक बार काफी ठंड पड़ी हम लोग गांव में थे गांव में ठंड के उपलक्ष्य में रजाई महोत्सव मनाने का प्लान बना। कंपकपाती ठंड में जो रजाई के महासुख में फंस गया वो गया काम से। ठंड सबको लगती है और ठंड का इलाज रजाई से बढ़िया और कुछ नहीं है। रजाई में ठंड दूर करने के अलावा अतिरिक्त संभावनाएं छुपी रहती हैं। रजाई में चिंतन-मनन होता है, योजनाएं बनतीं हैं, रजाई के अंदर फेसबुक घुस जाती है, मोबाइल से बातें होतीं हैं, जाड़े पर बहस होती है, जाड़े की चर्चा से मोबाइल गर्म होता है ,रजाई सब सुनती है कई बड़े बड़े काम रजाई के अंदर हो जाते हैं ,रजाई की महिमा अपरंपार है । दफ्तर में बड़े बाबू के पास जाओ तो रजाई ओढ़े कुकरते हुए शुरू में कूं कूं करता है फिर धीरे-धीरे बोल देता है जाड़ा इतना ज्यादा है कि पेन की स्याही बर्फ बन गई है जब पिघलेगी तब काम चालू होगा। रजाई उत्सव में गांव भर के युवा लोग रात में खुले आसमान तले रजाई ओढ़कर रात भर जागते हुए गपशप करते हैं जिसको नींद आ जाती है उसे दूसरे दिन गांव भर के लोगों को खाना खिलाना पड़ता है। 

      

       मैदान के बीच में अलाव जला दिया जाता है सब रजाई के अंदर हो जाते हैं, रजाई में खुसफुसाहट सी होने लगी है। रात के गहराने से ओस गिर रही है सब अपनी अपनी रजाई ओढ़ कर गपशप करने लगे हैं। अलाव के चारों तरफ गंगू दौड़ रहा है उसके पास रजाई नहीं है। सबको रजाई के अंदर गक्कड भर्ता खाने के लिए दिया गया।

खाने के बाद आधे घंटे घंटे की चुप्पी। कई को लगा कि कोई न कोई सो गया होगा। गंगू ने सबकी रजाई में झांक झांक देखा। कुछ लोग ठंड से कांप रहे थे रजाई उत्सव का आनंद ले रहे थे। सुबह चार बजे सबको अपनी रजाई लेकर दौड़ लगानी थी। हमने सुबह चार बजे रजाई उठा कर दौड़ लगाने के लिए तैयार हुए ही ही थे कि भूकंप आ गया धरती हिलने लगी। लोग रजाई छोड़ भागने लगे। ठंड ज्यादा थी गंगू अचानक गिरा, और मर गया। तभी से गांव में रजाई उत्सव की प्रथा बंद हो गई।



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