पायल का पहला प्यार
पायल का पहला प्यार
अपनी बॉलकनी में खड़ी पायल सामने बने पार्क में लोगों को देखकर अपना टाइम पास कर रही थी। उसके कॉलेज के एग्जाम खत्म हो गए थे। दिन बीत ही नहीं रहा था। वो कान में हैडफोन लगाए गानों में मस्त थी। उसने नीचे देखा, एक बहुत ही आकर्षक युवक उसकी तरफ कुछ इशारे कर रहा है उसे देखकर। वो शरमा के अंदर चली गयी।
उसकी माँ ने चिल्ला के कहा- अरे पायल सुबह से इधर-उधर फुदक रही है, कुछ काम नहीं है इस लड़की को, कितनी देर से कोई डोरबेल बजा रहा है, तुझे सुनाई नहीं देता क्या ! अरे, इस कमबख्त मोबाइल को तो कान पर से उतार, सारा दिन बस गाने ही सुनती रहती है, जा बॉलकनी में जाकर देख कौन घण्टी बजा रहा है।
पायल ने कान से हैडफोन उतारा। भाग के बॉलकनी से नीचे झांका वो ही युवक अभी तक खड़ा था।
उसे देखकर उसने आवाज़ लगाई- मेम, क्या आपके यहाँ किराए पर रूम खाली है।
उसकी आवाज़ सुनकर ना जाने क्यों पायल के दिल की धड़कन जोर से बढ़ गयी। आज से पहले उसके साथ कभी ऐसा नही हुआ था। उसने अपने आप को संभाला और दौड़कर माँ को बताया-
"माँ कोई लड़का किराए के लिए पूछ रहा है।"
"उसे रोक के रख, कितने महीने से कोई किरायेदार नहीं मिल रहा। एक ये ही तो सहारा है हमारा। किराए के पैसे से ही तो इस घर का खर्चा चलाती हूँ मैं। तुम्हारी पढ़ाई, तुम्हारे छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा सब इसी के सहारे है। तुम्हारे पिताजी हमें अचानक छोड़कर चले गए। शुक्र है उन्होंने एक मकान बनवा लिया। कम से कम ज़िन्दगी तो कट रही है। आजकल की महंगाई में कितना मुश्किल होता है अकेले दो बच्चों की परवरिश करना।
जा उस लड़के को ऊपर बुला ला। बात कर के फाइनल कर देती हूँ।"
पायल ने बॉलकनी से आवाज़ लगाई-
"सुनिए, माँ बुला रही है, आप ऊपर आ जाये ..."
"आंटी जी मैं अनिकेत, यहाँ दिल्ली में जॉब लगी है रूम मिलेगा रहने को..."
"बेटा कमरा तो खाली है पर तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ। हम शरीफ लोग हैं। तुम पीते तो नहीं हो और तुम्हारे दोस्तों का आना-जाना तो नहीं लगा रहेगा। हमें सीधा-साधा किराएदार चाहिए..."
"नहीं आंटी, मुझे कोई पीने का शौक नहीं है और रही दोस्तों की बात तो मुझे तो जॉब से टाइम ही नहीं मिलता कि दोस्तों को घर बुलाऊँ..."
"ठीक है बेटा तुम कल से रहने आ जाओ..."
"आंटी, यहां कोई आसपास खाने की जगह है क्या ?" ,अनिकेत ने कहा।
"अरे बेटा, तुम चिंता मत करो। मैं टिफिन का काम भी करती हूँ पर 2000 रुपये अलग से लगेंगे..."
"ठीक है आंटी, मैं तैयार हूँ.."
अनिकेत कुछ एडवांस देकर चला गया।
"अरे पायल, जा कमरा साफ कर दे..."
जी माँ, अभी जाती हँ।"
पायल कमरा साफ करने में जुट गई पर उसकी आँखों के सामने अनिकेत का ही चेहरा घूम रहा था।
अगले दिन अनिकेत अपना सामान लेकर रहने आ गया। पायल किसी ना किसी बहाने से उसके कमरे में जाने की कोशिश करती पर अनिकेत उसकी तरफ देखता भी नहीं था। वो तो बस तैयार होकर सुबह ही ऑफिस के लिए निकल जाता और देर रात वापस आता।
छुट्टी वाले दिन भी वो अपने कमरे में ही आराम करता। पायल जब उसको खाना देने आती तो बाहर से ही टिफिन ले लेता।
पायल को उसका ये व्यवाहर कुछ अटपटा लगता था लेकिन वो मन ही मन अनिकेत को पसंद करने लगी थी।
लगभग 6 महीने बीत गए पायल की माँ को भी अनिकेत अच्छा लगता था। वो भी चाहती थी कि अनिकेत का रिश्ता उसकी बेटी पायल से हो जाये तो उसकी जिम्मेदारी पूरी हो। एक दिन अनिकेत रविवार के दिन घर पर ही था। पायल की माँ ने हिचकिचाते हुए अनिकेत से पूछा-
"बेटा तुम्हारे घर में कौन-कौन है..?"
आंटी, 2 साल पहले मेरी जिंदगी एकदम बदल गयी। हम सब कार से एक शादी से लौट कर आ रहे थे। रात के अंधेरे में एक भयानक एक्सीडेंट हुआ जिसमें मेरे माता-पिता, मेरी पत्नी की मौत हो गयी। भगवान का शुक्र है कि मेरी 5 साल की बेटी और मैं इस दुर्घटना में बच गए, पर हम दोनों एकदम अनाथ हो गए। मैंने तो किसी तरह अपने को संभाल लिया पर मेरी बेटी आज भी उस सदमे से नहीं उभर पाई।"
इतना कहते-कहते अनिकेत की आँखों में आँसू आ गए।
"पर बेटा तुम्हारी बेटी कहाँ है ...?"
आंटी, वो अपने नाना-नानी के साथ रहती है। क्या करूँ, उसको संभालू या फिर जॉब करूँ।
"बेटा बुरा ना मानो तो एक बात बोलूँ , तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते ..."
पायल की माँ ने अनिकेत से कहा।
"आंटी, क्या कोई लड़की मेरी बेटी को प्यार दे पाएगी ?"
पायल की माँ ने अनिकेत से कहा-
"बेटा, एक बात कहना चाहती हूँ, अगर तुम इज़ाज़त दो तो..."
"हाँ, आंटी बोलिये.."
"मेरी बेटी पायल से शादी करोगे ? अगर तुम चाहो तो तुम मेरी बेटी से शादी कर के यहाँ रह सकते हो। मैं तुम्हारी मासूम बेटी को बहुत ही प्यार से पालूँगी। मेरी एक बेटी विदा होगी लेकिन दूसरी बेटी मेरी सूनी गोद भर देगी।"
तभी पास खड़ी पायल बोल पड़ी-
"जी अनिकेत जी मैं भी आपसे शादी करने को तैयार हूँ। आपकी बेटी को एक नहीं दो-दो माँ का प्यार मिलेगा।" ये पायल का पहला प्यार था जो उसे अनिकेत की ओर खींचे जा रहा था।
पायल की बात सुनकर अनिकेत भावुक हो गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बेटी को अपनाने को कोई आगे आएगा।
"आंटी मैं पायल से शादी करने को तैयार हूँ पर मैं एक ही शर्त पर यहाँ रहूँगा।"
"कैसी शर्त बेटा ...?", पायल की माँ ने पूछा।
"आंटी, आपको इस किरायेदार से किराया हर महीने लेना होगा और आपके हाथ का खाना भी मुझे मिलना चाहिए।"
अनिकेत की बात सुनकर पायल और उसकी माँ ख़ुशी से हँसने लगे।
पायल और अनिकेत का विवाह साधारण तरीके से हुआ। अब घर में पायल के साथ-साथ एक छोटी सी प्यारी गुड़िया पूरे घर में रौनक लगा कर रखती थी। पायल का पहला प्यार आज उसके लिए जीवन का कभी ना भूलने वाला प्यार हो गया था।