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उत्साह #12/12/2019

उत्साह #12/12/2019

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आज भी मैं अपनी पढ़ाई का सोचती हूं तो, मुझे मेरी वो प्यारी सहेली पिंकी की याद आ जाती है। ये सन् 1966 की बात है मै रोज़ाना उसके घर खेलने जाती थी। उस दिन भी मैं उसके घर गई तो आंटी बाहर धूप में बैठी मिल गईं , मुझे देखते ही बोलीं "वैदेही बेटी आज तो तुम्हारी सहेली नहीं खेल पाएगी", मैने बड़े आश्चर्य से उनकी और देखा

"क्यों?"

"आज हमने उसका नाम स्कूल में लिखा दिया।"

मैं ये तो जानती थी कि पढ़ाई के लिए स्कूल में नाम लिखा कर दाखिला कराया जाता है,क्योंकि मेरे पापा हाई स्कूल में टीचर थे ।

मैं मुंह लटका कर घर आ गई, मैंने सोच लिया शाम को पापा से पूछुंगी, "मेरा स्कूल में कब दाखिला करवाने वाले हैं”। उस समय लड़कियों की पढ़ाई पर इतना ज़ोर नहीं देते थे, मम्मी मुझे उस वक़्त घर में देखकर बोलीं "आज हमारी वैदेही उदास क्यों है?" मैंने मम्मी को सब बताया कि आज पिंकी को स्कूल में दाखिला करा दिया है । मम्मी ने कहा 'क्या हमारी गुड़िया रानी भी पढ़ना चाहती है?"

मैं ख़ुश हो गई और झट से मम्मी से लिपट गई, शाम को पापा आए तो मम्मी ने सब बताया, मैं बहुत उत्साहित थी बचपन बड़ा मज़ेदार होता है ख़ूब सारे सपने संजो लिए,

दिन भर पिंकी के घर के चक्कर लगाती रही वो कब स्कूल से आएगी और मैं उससे स्कूल की सब बातें पूछुंगी, तूने क्या-क्या किया मै बहुत उत्साह से भरी हुई थी।

पापा ने शाम को मुझे बुला कर कहा कि तुम स्कूल जाना चाहती हो, मैंने जल्दी से हां कर दिया पापा ने कहा कल पिंकी की मम्मी से स्कूल में एडमिशन की बात करुंगा वो तुम्हारा दाख़िला करवा देंगी ठीक है

मै झट दौड़ कर आंटी को बता आई, आंटी ने हंस कर कहा मै स्कूल से फार्म ले आऊंगी।

अब मेरी रात बस सपनों में पता नहीं क्या सोचती रही मुझे आज छप्पन की हो गई हूँ मगर मेरा स्कूल का पहला दिन आज भी तरोताज़ा है।



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