Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Rajeet Pandya

Inspirational

2.4  

Rajeet Pandya

Inspirational

स्लीपर क्लास

स्लीपर क्लास

3 mins
7.8K


“माँ हमारा डिब्बा कौन सा है?” बगल में बैठे बच्चें ने बड़ी उत्सुकता से अपनी माँ से पूछा। माँ ने बड़े प्यार से बच्चें के बालों में हाथ फ़ेरते हुए कहा “ S- 1“

मेरा ध्यान किताब पढ़ने में कम और उस बच्चें की नटखट बातों में ज़्यादा था। बच्चा कभी अपने बैग से खिलौने निकालने की ज़िद करता तो कभी प्लेटफार्म के किनारे झुक कर ट्रेन का इंतजार करता। मैंने अपने बैग से चॉकलेट निकाल कर बच्चे की तरफ़ इशारा किया। चॉकलेट देख कर बच्चें का चेहरा खिल उठा , फिर उसने अपनी माँ की तरफ़ देखा ओर उनकी रज़ामंदी का इंतज़ार करने लगा। माँ के एक इशारे पर उस बच्चे ने झट से चॉकलेट मेरे हाथ से छिन ली। उसकी माँ ने मुस्कुरा कर मुझे धन्यवाद कहा। 

कुछ देर बाद ट्रेन प्लेटफार्म पर लग चुकी थी। लेकिन ट्रेन के कोच के दरवाज़े अंदर से लॉक थे। मैंने अपना टिकट चेक किया “ सीट-12,कोच- B-4, अरे वाह B-4 तो ठीक मेरे सामने है।” छोटी-छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढना मैने अपनी माँ से सिखा था। चाहे सब्जी वाले से फ़्री में धनिया-मिर्च लेना या फिर घर के दूध की मलाई से घी निकालना, माँ के लिए ये सब ठीक उतनी ही ख़ुशी की बात होती थी जैसे किसी साइंटिस्ट के लिए मंगल ग्रह पे अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग पर होती है। 

“माँ हमारे डिब्बे की खिड़कियों में काँच नहीं लगे है। लेकिन पास वाले B४ डिब्बे में काँच क्यूँ लगे है?” बच्चें ने अपनी माँ से पूछा। 

“बेटा उस डिब्बे में ए॰सी॰ लगा हुआ है इसलिए उस डिब्बे में काँच की खिड़कियाँ है।”

“माँ ये ए॰सी॰ डिब्बा कैसा होता है?” बच्चे ने अगला सवाल किया। 

“तुम बहुत शैतान हो गए हो। इतने सवाल तो तुम्हारे पापा भी नहीं पूछते। “ माँ ने झुंझला के कहा। 

मैने अपनी किताब बंद कर के बैग में रख दी और उस बच्चे को पास बुला कर कहा “ बेटा ए॰सी॰ एक ऐसी मशीन होती है जो ठंडी- ठंडी हवा देता है और पूरा डिब्बा ठंडा हो जाता है। ए॰सी॰ कोच में सभी के लिए सोने के लिए कम्बल, तकिया और चादर होती है। “

बच्चे ने तुरंत अपनी माँ की तरफ़ देखा और सवाल किया।

” माँ क्या हम भी बैठ सकते हैं ए॰सी॰ डिब्बे में?”

माँ- “ तुम इतनी बदमाशी करते हो। तुम्हें ए॰सी॰ डिब्बे में बैठने नहीं मिलेगा।” माँ ने बड़ी चतुराई से अपनी आर्थिक कमज़ोरियों को छुपा लिया। 

कुछ देर बाद.....

टी॰सी॰- “मैडम टिकट”

टी॰सी॰ - “ मैडम आपकी सीट तो B-4 में है। आप S-1 में क्या कर रही है ?” टी॰सी॰ ने टिकट चेक करते हुए मुझ से बोला। “ मैंने अपना टिकट इक्स्चेंज किया है।” मैंने टी॰सी॰ से कहा। टी॰सी॰ मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराया और चला गया। 

ट्रेन की बढ़ती रफ़्तार के साथ मैं भी तेज़ी से अपनी माँ के साथ बिताए लमहों को याद करने लगी। माँ की एक बात मेरे ज़हन में बार - बार उतर आती है “ बेटी ख़ुशियों को कभी बड़ी- छोटी , काम- ज़्यादा के तराज़ू में मत तौलना। ख़ुशियाँ सिर्फ़ ख़ुशियाँ होती है। इन्हें जितना बाँटोगे उस से कही ज़्यादा तुम्हारे पास लौट के आएँगी।”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational