हमसफर
हमसफर
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तरसते रहते हैं
दिनरात मेरे जज़्बात यूँही,
हर शाम होती है
ख्वाबो मे मुलाकात यूँही।
तेरे चले जाने से मानो
जन्नत लुट गई हमारी,
हम अपने आपसे ही
होते हैं बरबाद यूँही।
तेरी तस्वीर देखना
अब मेरा जुनून हो गया,
मैं आइने में तुझसे
करता रहता हूँ बा यूँही।
अरे! कभी तो मेरे रुबरु हो,
ऐ मेरे हमसफर,
तड़पती रहती है ये निगाहे
मेरी दिनरात यूँही।
खुश हो जाता है ज़माना
अब हमें दर्द में पाके,
तेरी एक हँसी ने ज़िन्दा रखा है आजतक यूँही।