Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Chandresh Chhatlani

Drama

5.0  

Chandresh Chhatlani

Drama

निर्भर आज़ादी

निर्भर आज़ादी

2 mins
670


देश के स्वाधीनता दिवस पर एक नेता अपने भाषण के बाद कबूतरों को खुले आसमान में छोड़ रहा था। 

उसने एक सफ़ेद कबूतर उठाया और उसे आकाश में उड़ा दिया, श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट से मंच गूँज उठा, तभी आसमान में विपरीत दिशा से एक काला कबूतर उड़ता हुआ आया, उसके पैर से एक कागज़ लटका हुआ था, जिस पर लिखा था ‘अंग्रेजी शिक्षा’। काले कबूतर को देख तालियाँ और अधिक ज़ोर से बज उठीं।

नेता ने उसे नज़रंदाज़ कर एक और सफ़ेद कबूतर को आसमान में उड़ाया, लेकिन फिर एक और काला कबूतर उड़ता हुआ आया, उसके भी पैर से कागज़ लटका था, उस पर ‘विदेशी खान-पान’ लिखा था।

नेता ने संयत रहकर तीसरा कबूतर भी आकाश की तरफ छोड़ा, सामने से फिर एक और काला कबूतर आया, जिसके पैरों से बंधे कागज़ पर ‘विदेशी वेशभूषा’ लिखा था।

नेता परेशान हो उठा, तभी दो काले कबूतर और उड़ते हुए आ गये, एक के पैरों से लटके कागज पर लिखा था, ‘विदेशी चिकित्सा’ और दूसरे के ‘विदेशी तकनीक’।

वहां खड़े कुछ लोग उस व्यक्ति को ढूँढने चले गये जो काले कबूतर उड़ा रहा था, नेता कुछ सोच रहा था।

इतने में बहुत से काले कबूतर उड़ते हुए दिखाई देने लगे, उनके पैरों से लटके कागजों पर अलग-अलग समस्याएं लिखी थीं- ‘आर्थिक गुलामी’, ‘न्याय में देरी’, ‘बालश्रम’, ‘आतंकवाद’, ‘लिंग-भेद’, ‘महंगाई’, ‘भ्रष्टाचार’, ‘देश का बंटवारा’, ‘अकर्मण्यता’ और ‘धर्म-जाति वाद’।

आसमान उन काले कबूतरों से ढक सा गया।

नेता ने एक बड़े कागज़ पर कुछ लिखकर, दो अपेक्षाकृत दुर्बल सफ़ेद कबूतरों के पैरों से लटकाया और उन्हें उड़ा दिया, दोनों कबूतर एक साथ काले कबूतरों के नीचे उड़ने लगे, सभी दर्शकों ने सिर उठा कर देखा, कागज पर लिखा था- ‘कबूतर उड़ाने की आज़ादी’।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama