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Mukta Sahay

Children Stories

5.0  

Mukta Sahay

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बेटी-बेटी में फ़र्क़ क्यों

बेटी-बेटी में फ़र्क़ क्यों

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रीमा और सीमा सगी बहनें हैं । दोनो के ही दो बच्चे हैं, बड़ी बेटियाँ है और छोटे बेटे। सभी बच्चों में दो साल का अंतर है। रीमा की बेटी मानसी अभी बारहवीं पास करके कालेज के पहले साल में है और गीता की बेटी निकिता दसवी करके ग्यारहवीं में है। रीमा का बेटा नवीं में और सीमा का सातवीं में। दोनो बहने एक ही शहर में रहती हैं तो मिलना भी जल्दी जल्दी होता है और बच्चों को भी मज़ा आता है।आज जब सीमा रीमा के घर आई तो मानसी के लिए एक रिश्ता ले कर आई। दोनो पति-पत्नी लड़के के तारीफ़ों के पुल बांधे जा रहे थे। रीमा और उसके पति ने तो अब तक मानसी के शादी की सोंची ही नहीं थी तो थोड़े असमंजस में थे उनकी बातों को सुन कर।रीमा सकुचती सी कहती है की मानसी तो अभी तो अठारह की ही हुई है। इतनी जल्दी क्या है।अभी तो पढ़ाई ही कर रही है। रीमा के पती ने भी रीमा की बातों से सहमती जताई।किंतु सीमा और उसके पति के ज़बरजस्त ज़ोर के आगे लड़के और उसके परिवार से मिलने को मान गए। लड़का एक सरकारी कम्पनी में टेकनिशीयन पद पर कार्यरत था और मानसी से उम्र में छः साल बड़ा था।

लड़के से मिलने के बाद रीमा और उसके पति को रिश्ता बिल्कुल ही पसंद नहीं आया और रिश्ते के लिए मना कर दिया। ये बात सीमा और उसके पति को पसंद नहीं आई। इन लोगों ने रीमा और उसके पति को खूब खरी खोटी सुनाई और आना जाना भी कम कर दिया। अब तीज त्योहार ही मिलना होता इन सभी का।

समय अपनी तेज़ी से चलता रहा। मानसी ने कालेज पूरा कर लिया और अब वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गई थी उधर सीमा की बेटी निकिता भी बारहवी करके कालेज जाने लगी थी। अब भी दोनो परिवारों के बीच मेलजोल पहले जैसे नहीं हुए थे। लेकिन जब भी सीमा रीमा से मिलती मानसी के शादी की बात ज़रूर छेड़ती और कुछ ना कुछ ज़रूर सुना देती थी रीमा को। मानसी को ये सब अच्छा नहीं लगता पर संस्कार अच्छे थे तो बड़ों के बीच नहीं पड़ती थी।हाँ अपनी माँ को ज़रूर कहा की जब में निकिता के जितनी थी तब मासी रिश्ता ले कर आई और नाराज़ हो गई , अभी निकिता के

लिए लड़का क्यों नहीं ढूँढती ! रीमा उसे चुप रहने को कहती और कहती की सभी की अपनी सोंच , अपनी ज़िंदगी है।

दोनो बहनों के बीच रिश्ते भी धीरे धीरे सुधर गए। सीमा फिर मानसी की शादी की चिंता करने लगी।रीमा और मानसी अब उसकी इन बातों पर चुप ही रह जटे ये सोंच कर की फिर कही मनमुटाव ना हो जाए। इसी बीच रीमा की नज़र में एक अच्छा लड़का आया मल्टीनेशनल कम्पनी में कम्प्यूटर इंजीनीयर है लेकिन उम्र में मानसी से साल भर छोटा था। रीमा को लड़का बहुत पसंद था सो कुछ झिझक के साथ उसने निकिता के लिए वह रिश्ता सीमा को बताया। पहले भी इन बातों पर घटना हुई थी इसलिए रीमा थोड़ी डरी सी थी को कहीं सीमा कोई बवाल ना मचा दे। सीमा ने इस रिश्ते को देखने के लिए ख़ुशी ख़ुशी हामी भर दी। थोड़े दिनो बाद सीमा जब रीमा के घर आई तो रीमा ने उससे लड़के के बारे में पूछा। इसपर मुँह बनते हुए सीमा ने जवाब दिया की लड़का और परिवार तो ठीक है पर लड़के का पैकेज बहुत कम है, सिर्फ़ पाँच लाख । अब इतने में मेरी निकिता का क्या होगा। मानसी की बात और है , वह किफ़ायत , कमी में पली बढ़ी है, वह इतने में निभा लेगी। मेरी निकिता के लिए तो मैं आई॰आई॰टी॰ का इंजीनियर ही लाऊँगी।वैसे भी उम्र ही क्या है अभी तो बाइसवाँ पूरा किया है।

सीमा की ये बात रीमा को बिल्कुल पसंद नहीं आई और आज पहली बार उसने अपनी बहन को कुछ कड़ा जवाब दिया। अभी सीमा ने अपनी बात ख़त्म भी नहीं करी थी की रीमा ने कहा , ये क्या बात हुई सीमा ।जब मानसी अठारह की लगी थी तब तुम और मेहमान बाबु मानसी के लिए रिश्ता लाए थे और हाँ पैकेज भी नहीं देखा था। हमारे मना करने पर भी ज़ोर देकर बात शुरू करवाई और जब हमें रिश्ता पसंद नहीं आया तो तुम लोग सालों नाराज़ रहे, ताने सुनाते रहे। अब निकिता के लिए सारे मापदंड बदल गए। बुरा ना मानो तो सीमा एक बात कहूँ , इसे ही कहते हैं अपने पराए का फ़र्क़। ये फ़र्क़ मैंने तो कभी ना रखा लेकिन तुमने हमेशा इसे निभाया। एक और बात एक माँ हो कर भी तुमने मेरी बिटिया को छोटी उम्र में ब्याहने की सोंची , मुझे समझ नहीं आता है एक महिला,एक माँ किसी दूसरी महिला या बेटी के लिया ऐसा कैसे सोच सकती है। अच्छा इन बातों को यहीं विराम लगते हैं। सारे बच्चे अपने हैं और उनके माता-पिता उनके लिए अच्छा ही सोंचेंगे और करेंगे। ये लो तुम्हारे पसंद के गरमागरम पकोड़े और चाय।

खैर ये तो तय है की सीमा को आज पकोड़े में स्वाद नहीं आया होगा पर रीमा ने आज सुकून की चाय पी होगी। इस घटना से एक सवाल ज़रूर उठा की ऐसा फ़र्क़ क्यों।अपने लिए अलग सोच और दूसरों के लिए अलग।



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