Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

दादी का खटोला

दादी का खटोला

3 mins
507


पुनीत मंदिर के पास रहने वाले गरीब लोगों को खाना खिला कर लौटा था। आज उसकी दादी की पहली बरसी थी। उसे दादी की बहुत याद आ रही थी।

दादी के साथ पुनीत का गहरा संबंध था। वह उसे पुत्तन कह कर पुकारती थीं।‌ दादी के साथ उसकी बहुत सारी यादें जुड़ी हुई थीं। इनमें जो सबसे प्यारी याद थी वह थी दादी के खटोले में लेट कर उनसे कहानी सुनना। 

वह रोज़ रात खाना खाने के बाद दादी के खटोले पर लेट जाता था। दादी उसे रोज़ एक कहानी सुनाती थीं। वह कहानी के पात्रों के साथ खुद का जुड़ाव महसूस करता था। 

दरअसल दादी बहुत ही बुद्धिमान थीं। वह‌ उन्हीं घटनाओं को बड़ी होशियारी से कहानी में बदल देती थीं जो पुनीत के साथ उस समय घटी होती थीं। पर वह कहानी में कुछ ऐसा ज़रूर डालती थीं जिससे पुनीत को सबक मिल सके।

ऐसी ही एक घटना को कहानी में ढाल कर दादी ने उसे सच बोलने की सीख दी थी। पुनीत अभी तीसरी कक्षा में था। शनिवार को स्कूल से लौटने के बाद उसने बस्ता रखा तो सोमवार की सुबह ही उसकी याद आई। पर वह भूल गया था कि आज गणित का टेस्ट है। जब उसे याद आया तो वह परेशान हो गया। उसे कुछ सूझा नहीं कि स्कूल ना जाने का क्या बहाना करे। माँ ने भी उसे तैयार कर स्कूल भेज दिया।

दोपहर को वह घर आया। चुपचाप बस्ता रखा। कपड़े बदले और बिना नखरे के जो बना था खाकर आराम करने लगा। उसकी माँ को बात कुछ अजीब लगी। पर उन्हें लगा शायद थक गया होगा। दादी उस समय कहीं बाहर गई हुई थीं। 

रात को रोज़ की तरह खाना खाकर वह दादी के पास खटोले पर जाकर लेट गया। दादी ने उसे कहानी सुनाई। 

एक लड़का था। वह घर से तो स्कूल के लिए निकला था। पर स्कूल ना जाकर इधर उधर घूमता रहा। उस लड़के पर एक बदमाश की नज़र पड़ गई। वह उसे जबरदस्ती उठा कर ले जाने लगा। पर तभी एक अच्छा इंसान आया जिसने उसे बचा लिया। 

कहानी सुनकर पुनीत चुप हो गया। रोज़ की तरह उसने कोई सवाल नही किया। उसकी दादी ने कहा।

"पुत्तन अगर वह अच्छा इंसान ना आता तो क्या होता ?"

पुनीत अभी भी चुप था। दादी ने कहा।

"तुम स्कूल क्यों नहीं गए थे। इस तरह भटक रहे थे। तुम्हें भी कोई बदमाश पकड़ लेता तो ?"

पुनीत ने डरते हुए सारी बात बता दी। सब सुनकर दादी ने कहा।

"पुत्तन घरवालों और टीचर से सब कुछ सच बता देना चाहिए। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो हम कितना दुखी होते।"

तभी उसकी माँ ने भी उसके सर पर हाथ फेर कर कहा।

"पढ़ाई में लापरवाही ठीक नहीं है। झूठ बोलना तो और बुरा है। अब कभी ऐसा मत करना।"

बाद में जब पुनीत ने पूँछा कि दादी को सच कैसे पता चला तो उसकी माँ ने बताया कि दोपहर को जब वह बाहर गई थीं तब राशन वाले लाला ने बताया था कि तुम स्कूल के समय बाजार में घूम रहे थे।

पुनीत जब बड़ा हुआ तो उसे अपनी दादी की बुद्धिमत्ता पर गर्व हुआ। वह चाहतीं तो माँ से शिकायत कर उसे डांट पड़वातीं। बाबूजी से कह कर मार लगवातीं। पर उन्होंने कितनी अच्छी तरह से उसे सच बोलने का पाठ पढ़ा दिया।             


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract