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थैंक यू वैरी मच

थैंक यू वैरी मच

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वर्मा साहब और उनकी पत्नी घर के सामने सड़क पर चलने वाले लोगों को देख-देख कर लुत्फ उठाते हैं। राह चलते लोगों को रोक कर उनका नाम और काम पूछना उनकी आदत है। मिसेज वर्मा अपने मायके की शेखी बघारते नहीं थकतीं।

अवसर हो या न हो उन्हें मायके की बात जोड़ते देर नहीं लगती। आँखें नचाकर अपनी भाभियों के कीमती गहनों, कपड़ों, नौकरों, गाडि़यों की बातें करना उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। अपने घर में लाई किसी भी नई वस्तु के विषय में बढ़ाचढ़ा कर जब तक अड़ोसियों – पड़ोसियों को वे न सुना दें, तब तक उनका खाना हजम नहीं होता।साथ वाले घर में अरोड़ा साहब रहते हैं। एक रात उनके घर अविश्वसनीय घटना घटी। अचानक उनका ड्राइंग रूम धुएँ से भरा दिखाई दिया।

अरोड़ा साहब को जगाया। दोनों घबराकर कमरे से बाहर आँगन में निकल आये। फिर हिम्मत जुटाकर ड्राइंग रूम में झाँक कर देखा तो आग से दहकते हुए सोफे के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दिया। सबसे पहले उन्होंने बरामदे में लगे मेन स्विच को ऑफ किया और फिर सड़क पर चक्कर लगाते चौंकीदार को बुलाकर आग पर काबू पाया।

कार्निश पर रखी जलती मोमबत्ती दीवार पर सटे सोफे पर गिर जाने से डनलप की गद्दियों ने आग पकड़ ली थी। सोफा और जमीन पर बिछी दरी धीरे-धीरे सुलगते रहे।

कमरे की सभी खिड़कियाँ बन्द थीं। हवा न मिलने से किवाड़ों और पर्दो में आग नहीं लगी। शायद इसीलिए अरोड़ा दम्पत्ति की जान बच गई थी। कमरे में रखी हर चीज, दीवारें, छत सब कुछ चिकनाई भरे धुऍं से काली हो गई थी। पीड़ा से सब कुछ देखते और भगवान का धन्यवाद करते-करते सुबह हो गई थी।

चौकीदार से पता लगने पर आस-पास के लोग सहानुभूति जताने आ गये थे। मिसेज वर्मा धड़धड़ाती आईं और शिकायत भरे लहजे से बोलीं – ''अरे आपने हद कर दी, जब आग लगी तो किसी को बुलाया भी नहीं। कम से कम हमें तो आवाज दे देते।'' उनके सुर और हाव-भाव से स्पष्ट झलक रहा था कि वे तमाशे का कुछ ही अंश देख पाई हैं, पूरा तमाशा देखने से महरूम रह गयीं। मिसेज अरोड़ा ने बड़े धैर्य से जवाब दिया – ''जलते घर से लपटें नहीं उठ रही थीं, इसलिए किसी की नींद नहीं खराब की। केवल सोफा और दरी जली थी, जो चौकीदार ने बाहर निकलवा दिये थे।''

दोपहर साढ़े तीन बजे मिसेज वर्मा दोबारा आयीं और बोलीं - ''मैं तो यही पूछने आई थी कि आप लोगों ने खाना खा लिया था या नहीं।'' यह सुनकर मिसेज अरोड़ा के मुहँ में धुँआ सा भर गया। बड़ी मुश्किल से उसे निगलते हुए उन्होंने कहा- ''हमारे घर में शोक नहीं था जो खाना न खाते। अरोड़ा साहब के कुलींग के घर से दो बजे ही खाना आ गया था। आपने पूछा इसके लिए थैंक यू वैरी मच।


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