डॉक्टर डूलिटल - 1.15
डॉक्टर डूलिटल - 1.15
बन्दर डॉक्टर से बिदा लेते हैं।
बन्दर डॉक्टर के पास आए और उसे भोजन पर आमंत्रित किया। उन्होंने बहुत बढ़िया ‘फेयरवेल-पार्टी’ का आयोजन किया था: एपल्स, शहद, केले, खजूर, खुबानियाँ, संतरे, अनन्नास, अखरोट, किशमिश !
“डॉक्टर का स्वागत है !” वे चिल्लाए। “वह धरती का सबसे दयालु इन्सान है !”
फिर बन्दर भागते हुए जंगल के भीतर गए और वहाँ से लुढ़काते हुए एक बहुत बड़ा, भारी पत्थर लाए।
“ये पत्थर उस जगह पर खड़ा रहेगा, जहाँ डॉक्टर डूलिटल ने बीमार बन्दरों का इलाज किया था। ये दयालु डॉक्टर का स्मारक होगा।”
डॉक्टर ने अपनी हैट उतारी, उसने झुककर बन्दरों का अभिवादन किया और कहा:
“अलबिदा, प्यारे दोस्तों ! आपके प्यार के लिए धन्यवाद। मैं जल्दी ही फिर से आपके पास आऊँगा। तब तक मैं आपके पास मगरमच्छ को, तोते कारूदो को और बन्दरिया चीची को छोड़े जा रहा हूँ। उनका जन्म यहीं, अफ्रीका में ही, हुआ था – वे अफ्रीका में ही रह सकते हैं।
यहँ उनके भाई और बहनें रहते हैं। अलबिदा !”
“नहीं, नहीं !” मगरमच्छ, तोता और बन्दरिया चीची एक सुर में चिल्लाए। “हम अपने भाईयों और बहनों से प्यार करते हैं, मगर हम तुम से अलग नहीं हो सकते !”
“मेरा दिल भी तुम्हारे बिना नहीं लगेगा,” डॉक्टर ने कहा। “मगर तुम हमेशा थोड़े ही यहाँ रहोगे ! तीन-चार महीने बाद मैं यहाँ आऊँगा और तुमको वापस ले जाऊँगा।”
“अगर ऐसी बात है, तो हम रह जाएँगे,” जानवरों ने जवाब दिया। “मगर देखो, जल्दी से वापस आना।"
डॉक्टर ने दोस्ताना अंदाज़ में सबसे बिदा ली और फुर्तीली चाल से रास्ते पे जाने लगा। बन्दर उसे बिदा करने निकले। हर बन्दर ये चाहता था कि चाहे जो हो जाए, वह डॉक्टर डूलिटल से हाथ ज़रूर मिलाएगा ! और, चूँकि बन्दर बहुत सारे थे, तो वह शाम तक उससे हाथ मिलाते रहे। डॉक्टर का हाथ दर्द करने लगा
मगर शाम को बुरी घटना हुई।
जैसे ही डॉक्टर ने नदी पार की, उसने फिर से अपने आप को ख़तरनाक डाकू बर्मालेय के देश में पाया।
“सुनो !” बूम्बा फुसफुसाया, “धीरे बोलो ! वर्ना हमें फिर से क़ैद में डाल देंगे।”