बेचैनी
बेचैनी
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दोनों परिवारों में दोस्ती बहुत पुरानी या गहरी तो नहीं थी लेकिन वक़्त बीतने के साथ-साथ बढ़ती जा रही थी। महीने में कम से कम एक बार डिनर के बहाने मिलने के लिए एक दूसरे को अपने-अपने घर आमंत्रित कर ही लेते थे, इस बार दूसरे वाले ने किया था।
सुरक्षा के उद्देश्य से दोनों की ही बिल्डिंग में इस तरह का सिस्टम था कि जब तक मेज़बान खुद बाहर निकल कर नीचे मुख्य द्वार तक लेने ना आये तब तक कोई मेहमान भीतर नहीं आ सकता था। पहले दोस्त ने परिवार सहित बिल्डिंग के नीचे पहुँच कर फोन किया। बात ख़त्म भी ना हुई थी कि पत्नी बोल पड़ी।
- जी, वही मुझे लगा कि फिर उनका छोटा बच्चा भी तो बाहर सर्दी में खड़ा होगा, आप जल्दी जाइये।
और दोनों मुस्कुरा दिए।