निजी स्वार्थ
निजी स्वार्थ
हिमालय की ओर ऊपर मे एक बस ढलान पर जा रहा था, उसमे एक किसान अपनी पत्नी के साथ सफर कर रहा था! बस पर्वत पर आगे बढ़ रहा था! किसान ने कंडक्टर से विनती की, कि उसे बीच में अपने गांव के पास उतारा जाए, कंडक्टर ने आगे बढ़कर बेल बजाईं, किसान ख़ुश होते हुए बस से उतर कर कंडक्टर और ड्राइवर का आभार प्रकट किया!
बस चली आगे बढ़ी, वो किसान ने देखा! थोड़े आगे जाते समय लेंड सलायन्डिंग की वजह से एक बड़ा पत्थर नीचे की ओर बीच रास्ते में आकर बस से टकराया, बस खाई में गिर गई! उसमे सवार करीब 50 लोग अपनी जान खो दिया, किसान की पत्नी खुश हुई बोली की चलो अच्छा हुआ अपनी जान बच गई!
किसान रो रहा था, उसकी पत्नी ने बताया कि आप क्यों रो रहे हैं? अपनी जान बच गई है, हमे खुश होना चाहिए तब किसान ने कहा कि हम बीच रास्ते नहीं उतरते तो बस बहुत आगे निकल जाती 5 मिनट में बहुत दूर निकल जाती और ये हादसा नहीं होता! अपने निजी स्वार्थ के लिए हमे पैदल गांव जाना नहीं पड़े इस लिए बीच में बस रुकवाई! किसान बहुत दुखी हो गया उसने मरने वालों के लिए प्रभु से प्रार्थना की और उन्हे शांति मिले एसी मांग की!