कातिल
कातिल
शमशीर की धार पर चला लो मुझे
इतनी तौफीक रखता हूँ
रकीब कितना खफा सही
उसकी बज्म में नज़्म पढता हूँ
सिर्फ़ खुदा के आगे सजदा हूँ
मैं जूनून की हद तक जीता हूँ!!!
दीवान-ऐ-ख़ास सभी यहाँ पर
खुशामद नही दुआ सलाम करता हूँ
फिजा में थोड़ा रंज सही पर गम नही
ऐसा फतवा जारी करता हूँ
सिर्फ़ खुदा के आगे सजदा हूँ
मैं जूनून की हद तक जीता हूँ!!!!
इंतकाम इंतज़ार के तो सभी मारे है
मैं तो हालात को फना करता हूँ
झील में तो बाकी आशिक फिरते है
मैं तो दरिया को भी रूमानी रखता हूँ
सिर्फ़ खुदा के आगे सजदा हूँ
मैं जूनून की हद तक जीता हूँ!!!!!