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प्यार बेशुमार

प्यार बेशुमार

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माही की शादी रवि से हुए दस दिन हुए कि बराबर मे वर्मा जी के बेटे की सगाई मे जाना था ।माही गहरे काफी रंग की सुनहरे किनारी की साड़ी पहन कर आई तो उसकी सासू माँँ ने तुरंत बोल दिया ,ये क्या माही बेटा तुम अभी नयी दुल्हन हो ये रंग नही पहन कर जाना ,जाओ लाल , हरी या मेहरून साड़ी बदल आओ।

माही के चेहरे का रंग उड़ गया । उसने तो क्या क्या सोचा था कि सब तारीफ़ के पुल बाँधेगे। एक नजर रवि पर गयी शायद वो कुछ जवाब दे कि'' माही पर खिल रही है ये साड़ी ,बदलने की क्या जरूरत'' पर रवि ने कुछ नही कहा और चली गयी बदलने पर गुस्से से मुड खराब हो गया ।मेचिंग नेलपालिश ,गले का सेट ,चुडियाँ सब को मैच करने मे कितना समय लग गया था अब दोबारा ये सब बदलना ..तभी

रवि ने गले लगाकर कहा परी लग रही हो पर माँँ ये रंग कम पसंद करती है उन्दहे अपनी बहु सबसे सुंदर जो दिखानी है ,कोई नही माँ का मन रखने को पहन लो और प्यार के आगे गुस्सा भूल गयी माही ।

सगाई मे जाकर बस मुस्कुरा कर आ गयी। आते ही सासू माँ खुश हो कर बता रही थी कि सब माही की तारीफ़ कर रहे थे ,लाल साड़ी मे बहुत सुंदर लग रही थी अच्छा है वो काली सी साड़ी नही पहनी ,बात आई गयी हो गयी। एक दिन सब डिनर पर जा रहे थे। माही हरी साड़ी पर हरी बिंदी लगा आई,सासू माँ ने तुरंत कहा माही हरी बिंदी नही लाल लगा लो लाल या मेहरुन ही अच्छी लगती है।

आज तो माही ने कह दिया कि मम्मी जी ये ही फैशन है मैचिंग है ।पर सासू माँ ने अपने पर्स से लाल बिंदी निकाल कर दे दी

रवि ने इशारे से अपने कानो पर हाथ रख लिया माफी माँग ली ,जल्दी हटा भी दिये ताकि कोई देख ना ले ।माही को बुरा लगा मन मे सोचा की मुझे सारी कहने की बजाय क्या मम्मी जी को नही समझा सकते ,पर चुप रही। कभी मम्मी आर्टिफिशियल हार निकलवा देती ,और सोने का पहना देती।

रवि को माही ने ये बात बतायी तो रवि ने एक बात कह दी अरे माही मम्मी थोड़े पुराने ख्याल की है कोई बात नहीं बदलने को कह दिया तो माही समझ गयी कोई फायदा नही कहने का ...। माही की बातो का कभी कभी रवि माँ को समझा देता माँ माही के परिवार आजाद ख्यालो का रहा है जो माही करे करने दिया करो।

माँँ "कहती ले भला मै क्यों मना करूँगी। नयी दुल्हन पर चटक रंग ही जँचते है।इसलिये कह दिया "

माही हसँमुख थी, सबको खुश रखती थी ,सारा दिन रसोई मे लगी रहती ,नयी नयी सब्जी , नये नये नाश्ते बनाती , सब मेहमानो कि खातिर मे नाश्तो लाइन लगा देती। मेहमान तारीफ़ करते हुये जाते। सास ,ससुर खुशी से फूले ना समाते ।सूट पहनना मना था बस माही गरमी हो या सर्दी साड़ी पहने रहती ।

जब की साड़ी की आदत नही थी ।जबकि माही का घर आजकल के जमाने का था वहाँँ माही की बहने भाभी जींस सूट , सब पहनते थे। सासू माँ और सब माही से बहुत ज्यादा प्यार करने लगी थी।

एक दिन सासू माँ ने रवि से कहा ,'' रवि इससे तो साड़ी सभँलती नही ,बहुत बार सही करती रहती है । हमने तो शुरू से ही साड़ी पहनी कभी कोई परेशानी नही हुयी।जा माही को बाजार ले जा और दो तीन घर के लिये सूट ले आ। पर बाहर जायेगी तो साड़ी पहन लेगी।माही को यकिन नही हो रहा था।सात आठ महीने हो गये ।माही के लिये घरवालो का प्यार बढ़ता रहा ।रवि भी बहुत ध्यान रखता था।

नैनीताल जाने का प्रोग्राम बना ,सब तैयार थे जाने के लिये,सासूमाँ माही के पास आई और बोली माही रास्ते मे सूट ही पहन लेना । यहाँ कौन से रिश्तेदार हे हमारे और मुस्कुरा के चली गयी ।माही ,रवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा दिये। धीरे धीरे माही के प्यार ने परिवार वालो को अपना बना लिया था। समय बदलता गया ।बहू से बेटी की तरह पहनने ,घुमने की छूट मिल गयी ।प्यार और थोड़ा सा झुकना सब समय बदल देता है। गुस्सा बातें खराब करता है तो प्यार सब मनवा भी लेता है।

रवि के सहयोग और प्यार ने माही को सभाँला और माही के प्यार और व्यवहार ने सबके विचारो को बदल दिया। ऐसा बहुत लड़कियो के जीवन मे होता है।

समय बीतता है और ससुराल मे सब एक दुसरे को समझने लगते है।एक दुसरे के घर अलग खाना पीना , पहने का ढंग अलग होता है ।नये घर मे समझने मे दोनो को समय लगता है।एकदम से कुछ नही बदलता ,ना बहु की सोच ना ससुराल वालो की । कुछ ही दिनो मे प्यार समझ से उसुल बदल जाते है जो विचार शादी के समय थे ,वो बदलने लगते है दोनो तरफ के । बस एक दुसरे को समझिये

एक लड़के का किरदार भी अहम है क्यूंकि उसे नये घर आई लड़की को भी समझना है और अपने परिवार को भी ।प्यार और विश्वास से रिश्ते बदलते है अगर ये नही तो रिश्ते टूटते है।


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