Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dipesh Kumar

Abstract Tragedy Others

4.6  

Dipesh Kumar

Abstract Tragedy Others

जब सब थम सा गया(चौथा दिन)

जब सब थम सा गया(चौथा दिन)

4 mins
464


लॉक डाउन चौथा दिन

28.03.2020


प्रिय डायरी,   

     

रात मैं जल्दी सो गया था क्योंकि विषय की किताबें पढ़ना कहानी एवं उपन्यास से जटिल होता है। सुबह लगभग 5 बजे मेरी नींद खुली और इतनी शांति थी जैसे मानो सुबह होने में अभी समय हैं। शीघ्र ही मैं उठकर सुबह का माहौल देख रहा था न कोई शोर शराबा और सिर्फ शांति। सोचते सोचते मैं फिर खयालों में खो गया। फिर लगा की अरे अभी तो लॉक डाउन चल रहा हैं जिसमे न तो ट्रैन चलेगी न बस और अन्य कोई साधन। दरअसल मेरा घर स्टेशन के नज़दीक हैं और अक्सर ट्रेनों के आवागमन से मुझे ट्रेनों की आवाज़ सुनने की आदत बन गयी है, वो तो शुक्र हैं कि माल गाड़ी चल रही है, जिसकी आवाज़ थोड़ा सुकून दे देती हैं। मैं खिड़की की और देख कर बाहरी दुनिया के बारे में सोचकर अंदर अपने कमरे में आ गया। फिर मोबाइल उठा कर देखने लगा की कोरोना संक्रमण की क्या स्थिति है। उसी बीच खबर दिखा की प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश में लॉक डाउन किया है लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग पलायन करके पैदल ही अपने गृह राज्य की और बढ़ रहे थे, ये खबर बहुत ही चिंताजनक थी और किसी बड़ी अनहोनी का संकेत था। सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब एक दूसरे से अलग रहना लेकिन गरीबी और भूख से मरने से अच्छा इन लोगो ने अपने घर की तरफ जाने का निर्णय लिया वो भी पैदल। ये गंभीर हालत इस लिए थी क्योंकि डर सबको लग रहा था। इसलिए सब वापिस लौट रहे थे।

मैंने आंकड़े देखे तो इन राज्यों मैं अभी स्थिति कण्ट्रोल मैं है, लेकिन जब ये लोग पहुँचेंगे तो संक्रमण का स्तर क्या होगा, और जिन राज्यों और स्थान से ये गुजरेंगे वह संक्रमण को साथ लेकर चलेंगे। ये सब सोचकर मैं घबरा रहा था, की अब स्थिति क्या होने वाली हैं। 10 बजे पूजा पाठ करके मैं अपने पिताजी के साथ बात कर ही रहा था कि क्या कर रहे ये लोग इसका अंदाज़ इन लोगो को नही हैं। इसी बीच मेरी प्यारी गुड़िया नायरा और आरोही मेरे पास आ गयी और मनोरंजन करने लगी। जिससे मैं थोड़ी देर के लिए उनके साथ घुल मिल गया। फिर आरोही को लेकर मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया और मैं उसके साथ खेलने लगा। उसको खेलते देख मैं सोचने लगा की बचपन से अच्छा कोई समय नहीं होता हैं। इस बच्ची को क्या खबर इस दुनिया की बस खुश हैं ,और इसको देखकर मैं भी। बहुत देर तक खेलने के बाद वो मेरे पास ही सो गयी। फिर मैं भी कंप्यूटर पर स्कूल का कुछ काम करने लगा। लगभग 2 बजे मैंने काम किया और फिर कमरे में वापिस आ गया, इसी बीच मेरा छोटा भाई सावन मुझसे किसी विषय पर वार्तालाप करना चाहता था, जिसमे मैं और वो 30 मिनट तक चर्चा करते रहे। इस चर्चा के बाद मुझे बहुत ही सुकून मिला क्योंकि ये कोरोना से हट कर था। खैर अब धीरे धीरे मुझे कोरोना को भूल कर कुछ अच्छे कार्य करने थे क्योंकि कोरोना का कहर अभी चलेगा।  

मैं पढ़ने बैठ गया और शाम 5 बजे तक पढ़ा फिर जब प्यास लगी तो मैं किचन की तरफ बढ़ा। पानी पीने के बाद सीढ़ियों पर जाते समय मेरे पालतू कुत्ते रेम्बो ने मुझे देख कर चिल्लाने लगा। ये देख कर मैं उसके पास गया और उनको सहलाने लगा, वो भी बेचारा बहार जाने के लिए परेशान था तो मैं उससे अपने गेट के सामने घुमाने लगा। पुलिस की गाड़ियाँ गस्त लगा रही थी और दिन भर सिर्फ साईरन की आवाज़ सुनाई दे रही थी। शाम को आरती के बाद फलाहार करके मैं अपने कमरे में आ गया। फिर मोबाइल मैं कोरोना की ताज़ा जानकारी देखने लगा। देखकर हैरानी हो रही थी की संख्या बढ़ती जा रही है और अभी विश्व में सबसे ज्यादा अमेरिका में संक्रमित की संख्या हैं। मैंने सोचा की जो वर्तमान स्थिति में लोग पलायन कर रहे हैं कही संक्रमन ज्यादा न फैल जाये। मैंने फिर अपना ध्यान दूसरी ओर लगाया और अपने विषय की किताब पढ़ने लगा।10:30 बजे जीवन संगिनी जी का फ़ोन आया और पूरे दिन की घटना पूछने लगी और अपने घर जो की वाराणसी में हैं वहां की स्थिति बताने लगी। घर से दूर होने के कारण उनको ज्यादा चिंता हो रही थी। लेकिन फिर बातें खत्म करके मैं वापिस पढ़ने लग गया। वास्तविकता बताओ तो मेरा जरा सा भी मन पढ़ाई में इस समय मन नहीं लग रहा था। लेकिन 12:30 बजे मैं सो गया।


इस तरह लॉक डाउन का चौथा दिन भी समाप्त हो गया।

लेकिन कहानी अगले भाग में जारी है....


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract