धड़कती हमारी धड़कनें
धड़कती हमारी धड़कनें
रुकता,फिर चलता
ठिठकता, बहकता
उस रात कुछ यूँ ही उसका अंदाज़ था |
घटाओं में बहता
फ़िज़ाओं में रहता
उस रोज़ का वो शबाब
कुछ तो ख़ास था |
पर मैं अनजान इस राज़ से
करवटें बदलता
जानने को क़ायल
पलटता दिल की किताब था |
करीब आया वो मेरे
हाँ!
उस रात
जज़्बात का खुमार था
बाहों में भरकर मुझे
होंठो का जाम पिलाया
ख़ुद का कुछ भी नहीं बचा मेरे पास
बहता रग-रग में
अब तो..
वो ही मेरा लिहाफ़ था
धड़कती हमारी धड़कनें
उलझती साँसें
सिमटती ज़ुल्फ़ें
जैसे
दो नदियों के संगम पर उठती लहरें
और एक होने की चाहत में हम
'जवाबों से डरता अब हर सवाल था' |
उस रात बीता हर लम्हा
मोहब्बत का दीदार था |
हाँ !
वो प्यार था |