Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sajida Akram

Abstract

3.5  

Sajida Akram

Abstract

अभागा रामदीन

अभागा रामदीन

2 mins
267


रामदीन की गाँव में लुहार की दुकान थी ।अपनी दुकान में खेती - बाड़ी का सामान बना कर बेचता था। 

 पति- पत्नी 40 साल से इस गाँव में रह रहे थे उनके समाज के भी दस - बीस परिवार रहतें थे कुछ मुस्लिम परिवार भी थे , गाँव में बहुत ही भाईचारा था, दुख:सुख में हमेशा साथ रहतें थे।

 रामदीन का बेटा भी उस ही मौहल्ले में रहता था, रामदीन और इक़बाल खान दोनों में पुरानी दोस्ती थी अक्सर फुर्सत के समय चौपाल पर सब बैठक में साथ रहते थे । 

  उनके गाँव में भी "कोरोना " नाम की बीमारी ने दस्तक दी। बैठक में कुछ दिनों से रामदीन नहीं आ रहा था इधर सब लोग अपनी खेतों में फसलों कटवाने में लगे थे। गाँव में ज़्यादा चिकित्सा सुविधा नहीं थी।    

  गाँव में चर्चा थी कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने "लाक डाउन" करने का बोला है ।टीवी था नहीं गाँव में, कुछ दो- पांच क्लास पढ़े लोगों ने समझा दिया कोई बीमारी "कोरोना" चीन से आई है, सब डरे अब क्या होगा? 

 14 -15 दिन बाद इक़बाल खान के पास खेत पर उनका बेटा भागा- भागा आया... अब्बा, अब्बा वो रामदीन काका नहीं रहे इतना सुन ... इक़बाल खान जहाँ खड़े थे धम्म से बैठ गए।  

 उन्होंने कहा उसके बेटे को ख़बर की और गाँव के लोगों को बताया ?

हां अब्बा, मगर कोई भी उनके यहाँ जाने को तैयार नहीं, सब का कहना है "कोरोना" से मरा है ,हम नहीं जाऐंगे , छूत की बीमारी है ।

 मैं आपको बताने आया आप वहाँ सबसे बात करो, उनका दाहसंस्कार तो करना है ना।

इक़बाल खान गाँव के सरपंच थे जब उन्होंने लोगों से बात की और उसके बेटे को समझाया कि बाप को "मुखअग्नि " तो तुम्हें ही देना है बेटा। उसकाे मोक्ष तो तुम्हारे ही हाथों मिलेगा.... 

 मगर बेटे ने आने से मना कर दिया उसका कहना था मेरा परिवार है छोटे बच्चे हैं मैं नहीं आ सकता । गाँव के दूसरे लोग भी आने से मना कर चुके ,तो इक़बाल खान ने अपने समाज के लोगों की तरफ उम्मीद से देखा, आप सब क्या कहते हो हम ही दाहसंस्कार कर दे क्या? इक़बाल खान की बात सब मुस्लिम भाईयों ने मानी और " अभागे रामदीन " का दाहसंस्कार किया गया 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract