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Nandita Srivastava

Drama

5.0  

Nandita Srivastava

Drama

घूँघट

घूँघट

3 mins
535


आज हम यहाँ पर सुधा नामक नायिका की कहानी पढ़ेंगेI सुधा हमारे पति की बहन, हमारी सास की सौतेली बेटी और हम सब की जीजी। यह कहानी उन पर ही ताना-बाना बुनने की कोशिश की है। जीजी हमारी लिए तो हमारी माँ सऱीखी थीं, बहुत ही अधिक मानती हैं हमें। अब उनकी रूपरेखा के बारे में कहा जाएI लंबा-सा कद, छरहरी-सी काया, चंमपाइ-सा रंग और हमेशा माथे पर घूँघट, माथे पर बड़ी-सी बिंदिया, कान में सोने के कुंडल, नाक में चमकती हुई लौंग, कुल मिलाकर बहुत ही सुंदर दिखती हैं जीजी, पूरी भारतीयता की छवि हैं जीजी। जीजी का सबसे सुंदर लगता है उनका घूँघट, जब हवा चलती है और जीजी का चेहरा दिख जाता है, मन खुश हो जाता है पूरी तरह से, भारतीय नारी की छवि। जीजी से बैठ कर हम घंटो बात करते हैं।आज हम जीजी के अनुभव को ही यहाँ साझा करते हैं। जीजी की माँ यानि हमारे ससुर जी की पहली बीबी की दूसरी बेटी जब हुई तो वह स्वर्ग सिधार गईं और ससुर जी ने आननफानन में दूसरा विवाह किया जो कि समाज में होता ही हैI बाल गोपाल छोटे हैं। दूसरी बीबी यनि हमारी सासुमाता और ससुर की आयु में अंतर था। उनको लगा चलो हमारी बेटियों को संभाल लेगी पर वह माँ बन कर नहीं सौतेली माँ बन कर आयीं। हर समय बेटियों को डाँटना फटकारना, सारे घर का काम कराना यही सब चल रहा थाI पिता तक बात ही नहीं पहुँच पाती थी।

समय बीता, ऋतुएँ बदलीं, साल बदलें, बेटियाँ बड़ी हो गईं, फिर भी बेटियों ने पढ़ना लिखना नहीं छोड़ा। जीजी का विवाह ससुरजी ने १६ साल की आयु में ही कर दिया थाI जीजी १६ की आयु में ही ससुराल पहुँच गईं, घूँघट उसके ऊपर चादर भी डाल दिया गया काहे कि जीजी की शादी गाँव में हुयी थी। वहाँ भी जीजी को सुख नहीं मिलाI दो ननद और बहुत ही तेज सास, दिन भर काम धाम करो। दोनों ननदों की छीटाकसी सहो पर मुँह ना खोलो। फिर भी जीजी के ससुर जी बहुत ही बढ़िया मानव थे, तरह-तरह की किताबें ला कर देते और कहते बेटा खूब पढ़ाई करो नहीं तो कूप-मंडूक बनी रहोगी। अब जीजी दिनभर काम करतीं और रात में पढ़ाई भी करतीं। जीजा जी का किरदार यहाँ मजेदार नहीं था बस यहीं तक कि ६ संतानों की लाइन लगा दी पर जीजी का घूँघट पूरे मुँह से अब माथे तक आ गया। जीजी ने इतना सब झेलते हुए पढ़ाई नहीं छोड़ी, वकील ससुर की वजह सेI जीजी पढ़ने में बहुत बढ़िया थीं, हाईस्कूल, इंटर, बी ए, एम ए, सब में अव्वल रहीं और बीटी सी करके एक टीचर बन गईं, घूँघट और चादर ना हटा। जीजी की चार बेटियाँ और दो बेटे हुये पर एक बेटी मंदबुद्धि की है और जीजी के जीवन का अभिशाप बन गयी। जीजी बताते बताते रो पड़तीं हैं कि जब वह पेट में थी, डॉक्टर साहिबा ने कहा कि शिशु का विकास ठीक से नहीं हो रहा है। अबॉरशन करवा दो तो उस समय जीजी की सासुमाता अड़ गईं, 'नहीं यह नहीं होने देंगे'। आज उसी का परिणाम है कि ४० साल की लड़की ना हिलडुल सकती है ना अपना काम कर सकती है, सारा समय जीजी का सेवा में चला जाता हैI जीजी आज रिटायर्ड हैं और बेटी सेवा में लगी रहती हैंI हम उनको नमन करते हैं।


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