बवाल 'एक झंझावत कथा' पार्ट-5
बवाल 'एक झंझावत कथा' पार्ट-5
गौरी यानि पूजा गुड्डू को ईरा जी की पूरी कहानी सुनाती हैं। यह सुन गुड्डू कहता है- यह मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया पर मैं अब किसी को नही छोडूंगा जिन्होंने मुझे पापी बना दिया। तभी नीचे से कुछ टूटने की आवाज आयी। गौरी ने फौरन उस जाली में अपना बचपन का नाम ‘पूजा’ कोड डाला और जाल का दरबाजा खोल वो तुरंत नीचे उतर गयी।
वहाँ ईरा मैडम की बुरी हालत देख वह रो पड़ीं कि सामने ईरा मैडम इतनी कमज़ोर हालत में थीं मानों वह शरीर नहीं बल्कि कोई श्वांस लेता कंकाल पड़ा था। वह उनके पास गयीं। कुछ ही मिनट बीते कि पीछे से जगत और पत्रकार जी समेत पुलिस की पूरी टीम भी आ पहुँची और मिलकर खूफिया कैमरे लगाने में व्यस्त हो गये फिर सभी वहाँ छिप गये केवल पत्रकार नीचे पहुँचता है और सामने ईरा मैडम को बुरी हालत में लेटा देख वो रो पड़ता है और ईरा भी सामने पत्रकार को देखकर रो पड़ती हैं।
दोनों कुछ बोल पाते कि अचानक जाल ऊपर से बन्द हो जाता है। फिर, अचानक किसी के भारी कदमों की आवाज सुनाई देती है धम्म ! धम्म ! वह बोलता हुआ आ रहा है जय जय महाकाल। महाकाल की जय हो। वह दिखने में अघोरी भेषधारी पूरे शरीर पर भस्म मले और मात्र लंगोट पहने, बड़ी बड़ी जटाओं को हिलाता हुआ एक बाबा सामने आ खड़ा हुआ और बोला अब आयेगा खेला का असली मजा जय जय महाकाल। गौरी ने कहा,”कौन हो तुम ? वह बोला, ”तुम जैसी भटकी आत्माओं के लिये में एक अघोरी हूँ।” यह शब्द सुन पत्रकार और गौरी को सब याद आ गया कि फोन पर यही था। सब कुछ इसी ने ही किया। वह बोला, ”इस बवाली डी.एम ने मेरे भाई मुकुंद कुंद्रे को जेल भिजवा दिया। अरे ! अपनी दस साल की नातिन के साथ ही तो सोया। साला कोई वेश्या के साथ तो नहीं इस साली बवाली ने उसको जेल पहुंचाकर उसका जीवन ही बर्बाद कर दिया। बेचारा कितना माफी मांगा पर इस बवाली ने एक न सुनी। उसको जेल भिजवा दिया, खुद को रंगबाज समझ रही थी। इसको नहीं पता था कि उसका बदला लेने वाला मैं कपड़ा मंत्री उर्फ अघोरी भाई अभी जिंदा हूँ। तूने उसे सरकारी जेल में डलवाया और मैंने तुझे अपनी निजी जेल में, हा हा हा..।
गौरी ने कहा, ”तू वही मंत्री है ना जिसने पायरिया को एक गुलाम की ज़िंदगी दी ? तुझ जैसे नेता और मंत्री सचमुच किसी आतंकी से कम नहीं हैं.. अपने को अघोरी कहता है। अघोरी तुझ जैसे पापी नहीं होते समझे। इतना कहते ही गौरी ने दूर रखी पिस्तौल उठाने को जैसे ही हाथ बढ़ाया। तो उस ढ़ोगीं ने अपनी जटाओं को झटकते हुये अपने पांव से उस पिस्तौल को दबाते हुये कहा,” ओ ! लौंडिया चूहे मार दवा से शेर नहीं मरा करते। यह सुन गौरी बोली,”तूने ठीक कहा ढोगीं ! शेर नहीं मरा करते पर तू तो गीदड़ है। यह जवाब सुनकर वह जोर से चिल्लाया देख ! खामोश हो जा वरना.. गौरी ने कहा, ”वरना क्या” ? वह पूरी ताकत से चिल्लाकर बोला, ”मुझे गुस्सा नहीं सनक आती है समझी।” मैं कुछ समझ पाती कि एकाएक उसने अचानक पास की दीवाल से लटकती रस्सी को खींच दिया और एक बहुत बड़ा और चमचमाता ब्लैड बहुत तेजी से ब्रेंच पर लैटी ईरा जी के घुटनों पर गिरा और उनकी टांगें और धड़ दो भागों में बंट गया। ईरा जी इस महादर्द से बुरी तरह चीख उठीं। उस चीख से पूरा खंडहर थरथरा उठा। यह देख पत्रकार चिल्लाया ईरा मैडम। तभी उस ढ़ोगीं ने तिरंगा निकाला और बोला, ”इसकी मैं लंगोट लगाऊँगा वो भी तेरे सामने बवाली डी.एम.। अगर देश की शान प्यारी है तो अपनी बचीं हुई जाघों पर खड़ी हो जा जल्दी। इधर गौरी और पत्रकार को उस ढोंगी अघोरी के गुर्गों ने पकड़ रखा था। वो बस रो और चिल्ला रहे थे। जाल के ऊपर पुलिस और अघोरी के गुर्गों में मुठभेड़ चल रही थी जिसे पायरिया सम्भाल रहा था कि एक गोली पायरिया के छाती में लग कर आर पार हो जाती है। वह जाल से नीचे पूजा से चिल्ला कर कहता है पूजा तुम इस अघोरी के रूप में इस देश के गद्दार कपड़ा मंत्री को मत छोड़ना तूझे तेरे दोस्त गुड्डू की कसम है।
पूजा चिल्लाती है कोई एम्बुलेंस मँगाओ कोई है कहकर फूट फूट कर रो पड़ती है। जाल से गिरती गुड्डू के खून की बूंदें वह छूने के लिये तड़प उठती है पर खम्भे से बंधी होने के कारण कुछ नहीं कर पाती। ऊपर जाल से अंतिम श्वांस लेता हुआ गुड्डू कहता है मत रो पूजा यह खून नहीं इस गद्दार का नमक बह रहा है इसे बह जाने दो। तभी उसे एक और गोली लगती है वह चिल्लाता है पूजा और पूजा को एकटक देखते हुये उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। गुड्डू की चीख सुन पूजा समझ जाती है कि अब गुड्डू नहीं रहा। तभी वह अघोरी हाथ में तिरंगा जैसी चुनरी लिये जोर से हँसता हुआ कहता है कि इस तिरंगे को मैं लंगोट बनाकर तुम सब के सामने पहनूंगा दम हो तो रोक लो वरना अगर बवाली तू इस कटे धड़ से खड़ी होकर मना करे तो मैं मान जाऊंगा। कहकर तिरंगे चुनरी को मोड़ने लगता है।
यह देख गौरी को कुछ सूझा और वह बुलंद आवाज़ में राष्ट्रगान गाने लगी जन गण मन अधिनायक जय हो भारत भाग्य विधाता…। फिर, जैसे ही दर्द में तड़पती डी.एम. ईरा जी के कानों में राष्ट्रगान की आवाज़ पहुँची तो उन्हें याद आया कि स्कूल में टीचर कहते थे जब राष्ट्रगान हो रहा हो तो खड़ा हो जाना चाहिये अगर लेटे या बैठे रहोगे तो देश का अपमान होगा। देश का अपमान! देश का अपमान! ….। इधर पत्रकार और गौरी राष्ट्रगान गाने में लगे थे कि तभी डी.एम ईरा जी दर्द को पीते हुये उठने का प्रयास करने लगीं और एकाएक गिर पड़ीं। यह देख अघोरी हँस पड़ा कि तभी पत्रकार ईरा जी की तरफ देख के बोले,”ईरा जी! आई लव यू। पत्रकार के मुँह से यह शब्द सुनकर वो अंदर तक मानों तृप्त हो उठीं। उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वर्षों से प्यासी रेत पर बिन मौसम अचानक जोर की बरसात हो गयी थी। प्यार भरे शब्दों को सुनकर उनके अंदर की चेतना जाग उठी और वह हल्की मुस्कान के साथ हिम्मत करके अपनी दोनों जाँघों पर खड़ी हो गयीं और तिरंगे को सैल्यूट करते हुये पूरी हिम्मत बटोर के बोलीं,”भारत माता की जय। जय हिन्द। इतना कहकर वो गिर पड़ीं ..। तो पत्रकार चिल्लाया जय हो। यह देख ! अघोरी ने पत्रकार को उसी वक्त तुरन्त गोली मार दी। जमीन पर पड़ी डी.एम. ईरा और पत्रकार दोनों खिसक कर एक दूसरे के पास आने लगे तो अघोरी बोला,” तुम्हें मरने तो दूँगा पर प्यार में कतई नहीं…। देख ! सुन बवाली डी.एम ! मैंने तेरी इस तहखाने में कैदवाली सी.डी बनाकर इस पत्रकार को इसके फ्लैट पर भिजवायी थी पर देखो ! ये तुम्हें छुड़ाने तक नहीं आया और बोलता है आई लव यू।
धोखेबाज है ये। धोखेबाज। यह तो इस लड़की के साथ मज़े उड़ा रहा था। इससे पूछो यह तुझे बचाने क्यों नहीं आया..? पत्रकार ये सुनकर रो पड़ा और सोचने लगा कि मैंने तो फ्लैट छोड़ श्मशान में रहना शुरू कर दिया था। मुझे किसी सीडी की जानकारी नहीं…वो यह सोच ही रहा था कि ईरा जी आंसू भरीं सवालिया आँखों से पत्रकार की तरफ देखतीं हुईं धोखे के दर्द की नींद सो गयीं और वहीं पास ही ज़मीन पर पड़ा पत्रकार ने यह सोच कर तड़प उठा कि काश ! ईरा जी को दो पल की ज़िंदगी और मिल जाती तो मैं ईरा जी को सब सच बता देता। ये सब सोचते हुये वो भी ग्लानि से भरी दर्द की आख़री नींद सो गया। दोनों के मन की बात मन में ही दफ्न हो गयी।
तभी अचानक गौरी को याद आया ओह ! यह सब तो मेरी गल्ती है। वो दूसरी सीडी ! मैं देख लेती। ओह गॉड! वो तो वही सीडी थी जो मुझे पत्रकार जी के फ्लैट से मिली थी। काश ! मैं ही देख पाती और तभी एकाएक ऊपर जाल काट कर ढेरों पुलिस जवान नीचे कूदतें हैं और तभी गौरी उस भगदड़ में उस अघोरी के गुर्गे को ज़मीन पर गिरा देशी कट्टा उठाती है और भाग रहे अघोरी की दोनों टांगों में गोली मार देती है। फिर उसे घसीटते हुऐ उसी ब्रेंच पर लिटा देती है। मौत को सामने देख वह ढोंगी गिड़गिड़ाने लगता है और अपनी जान की भीख मांगने लगता है पर तभी जगत उसे धक्का मार कर उसी ब्रेंच पर धकेल देता है और सावन उसे पटक-पटक कर अधमरा कर देता है और तभी गुस्से से भरी डी.एम. गौरी संघाल पास की दीवार की रस्सी खींच देती है और वह पैना बड़ा ब्लैड उस अघोरी की गर्दन पर गिरता है और उसकी गर्दन धड़ से अलग हो जाती है। अब गौरी उस मुड़े तिरगें को खोलती है और सीने से लगा लेती है। फिर रोते हुये उसे पत्रकार और डी.एम. ईरा सिंघल को ओढ़ा कर उनको सैल्यूट करती है।
यह देख वहाँ खड़े सभी पुलिसकर्मी डी.एम. ईरा जी को सैल्यूट करते हैं और गौरी कहती है,”सत्यमेव जयते। ” फिर कुछ देर गौरी वहीं बैठी रहतीं है तो इंस्पेक्टर सावन कहता है प्लीज़ यहाँ से चलिये मैडम। वहाँ खड़े सभी पुलिसकर्मी कहतें हैं कि मैम ! हमने कुछ नहीं देखा। प्लीज़ आप जाइये हम सब संभाल लेगें। फिर सब लोग श्मशानघाट पहुंचते हैं जहाँ ईरा मैडम और पत्रकार जी का दाह संस्कार की तैयारी शुरू होती है। गौरी दूर खड़ी ईरा जी और पत्रकार को देखती है तभी कहती है सुनिये !एक ही चिता बनाइये दोनों को साथ -साथ फना होने दिया जाये। यह सुन सब हाँ में सिर हिलाते हुये दोनों मृतकों को एक साथ एक चिता पर साथ लिटा देते हैं।यह देख सावन कहता है मुखाग्नि मैं दूँगा। तो गौरी कहती है यह काम मुझे करने दो प्लीज़।फिर जैसे ही गौरी मुखाग्नि देने चलती है कि तभी डॉक्टर की टीम आकर कहती है रुकिए। गौरी हैरान होकर उनकी तरफ देखती है तो वह डॉक्टर कहते हैं कि ईरा मैडम अपने जीते जी अपने शरीर के महत्वपूर्ण नौ अंग और स्किन दान कर चुकी हैं। तो हमें हमारा काम करने दीजिये। यह कहते हुये डॉक्टरों की टीम ने ईरा जी के मृतक शरीर को चिता से हटा कर गाड़ी में रख लेते हैं और वह गाड़ियां तेजी से वहाँ से चली जातीं हैं। यह देख गौरी जमीन पर बैठ रो पड़ी। इधर पत्रकार की आत्मा दूर खड़ी रोती रही कि मेरी गलती कि न साथ जी सके, न साथ खुशी से मर सके और देखो बदकिस्मती का आलम कि न साथ जल सके। हे! ईश्वर तू मुझे कभी मुक्ति न देना। मैं तो बस अब भटकना चाहता हूँ। तभी सावन ने गौरी को उठाते हुये कहा, ”मैडम मत रो प्लीज़, यह भी कोई छोटी बात है जो आपने हिन्दी की कहावत को आज बदल दिया कि औरत औरत की दुश्मन नहीं बेहतरीन दोस्त भी साबित हो सकती है।
देखो ! आपने ईरा जी को न्याय दिलाया है। दोनों बात कर ही रहे थे कि पीछे से मीडिया ने आकर उन्हें घेर लिया कि मैडम सुना है कि उस मंत्री के मर्डर में आपका हाथ है। यह सुन गौरी कहती है हाँ उस राक्षस को मैंने ही मारा है। यह सुन वहाँ खड़े सब लोग सामने आकर एक साथ कहते हैं हाँ उस राक्षस को हम सबने मारा है। यह सुनकर मीडिया की भीड़ को चीरते हुये गौरी और सावन दूर जा खड़े होते हैं।
अब सभी जा चुके होते हैं और कुछ देर के लिये सब शांत हो जाता है। खामोश हो चुकी गौरी गाड़ी में जाकर बैठ जाती है तभी गौरी के मोबाइल पर कॉल आती है बहू प्लीज़ मुझे बचा लो। अब मैं तुझे कभी परेशान नहीं करुँगी। कोई पैसा नहीं मागूँगी। यह सुन गौरी कुछ बोलती कि गौरी का पति फोन पर कहता है,” डी.एम. होगी अपने लिए मेरी माँ को जेल पहुँचाया, साली मैं तुझे डिवोर्स दे दूंगा। गौरी कहती है,” कृपया आप कष्ट न करें। यह भी काम भी मैं खुद कर लूँगीं। वेट कीजिये मैं खुद आपको डिवोर्स दूंगी। गुड बॉय, वह कहता है तुझमें इतनी हिम्मत कहां से आ गयी रूक तू। गौरी बीच में ही कॉल डिस्कनेक्ट कर देती है।
यह सुन इंस्पेक्टर सावन कहता है वो मैंने आपका मोबाईल देख लिया था सो मैंने…..पर मैंने ठीक किया ना……गौरी ने कहा, ”हाँ, सावन आपने बिल्कुल ठीक किया, थैंक यू सो मच।” सावन ने कहा,” अरे ! नहीं मैम थैन्कयू बोलकर आप मुझे शर्मिन्दा न करें प्लीज़। मैं आपकी दिल से बहुत रिस्पेक्ट करता हूँ और हाँ मैम आपके पति और सास दोनों माँ बेटे ने मार पीट, शोषण सब कबूल कर लिया है। यह कॉल थाने से करवायी गयी कि आप उनकी गिड़गिड़ाती आवाज़ भी सुन सको।
मैम ! मुझे यह भी पता चला है कि आपने अपनी पूरी पढ़ाई बड़ी मुसीबत से मायके में रह कर की है। यह सब यातनाएं सहते हुये भी आप आज इतने बड़े और जिम्मेदार पद पर हैं और हर एक के दिल में भी हैं आज। मैम आज आप देश- दुनिया की नज़र में बुलंद हो गयीं। पता है कितना महान कार्य किया है आपने ? गौरी को चुप देख ! सावन ने कहा कि मैम आपने अपने पति को जेल क्यों नहीं भेजा आख़िर ? क्यों सब सहती रहीं ?
गौरी ने सावन की तरफ नम आँखों से एक टक देखा ! और कहा क्योंकि मैं अपने पति को दिल-ओ-जान से चाहती थी और यकीन था कि मैं एक दिन उनको बदल लूंगी। सब ठीक कर लूंगी। मेरी माँ हमेशा कहा करती थीं कि पति ही भगवान है उन्हें और उनके परिवार को खुश रखने की कोशिश करो। यह समाज तलाकशुदा को सम्मान नहीं देता मेरी बच्ची। मैं तेरा हँसता-खेलता परिवार चाहती हूँ। मैं कैसे माँ को समझाती कि वो लोग इंसान हैं ही नहीं जिनको समझाया जा सके। बस फिर चुपचाप किताबों को ही अपना परिवार बना लिया। हाँ, मैं उस समाज को बदलना चाहती हूँ जो हाउस वाइफ महिलाओं को बस अपनी ज़रूरत समझता रहा है जबकि हाउस वाइफ अनमोल है। मैंने हमेशा से यही चाहा था कि मैं एक बेहतरीन हाउस वाइफ साबित होऊँ अपने पति और बच्चों को यह जीवन समर्पित हो क्योंकि डी.एम. बनना फिर भी सरल है पर हाउस वाइफ बनना बहुत कठिन। मेरी नज़र में देश-दुनिया की प्रत्येक हाउस वाइफ सुपर हो रही हैं। मैं उन्हें दिल से सैल्यूट करतीं हूँ। अफसोस ! मैं जीवन में खुद को कहीं भी साबित न कर पायी। साव न! मैं अपनी माँ की आँखों में आँसू नहीं देख सकती थी बल्कि बस खामोशी से तैयारी में मन लगाया कि लोगों के लिये कुछ कर सकूं वरना ऊपरवाले को क्या जवाब दूंगी।
यह सब सुन सावन ने हाथ जोड़कर कहा, ”मैम आप सचमुच महान हो।” मैं आपको सैल्यूट करता हूँ। यह देख गौरी ने कहा प्लीज़ यह सैल्यूट मुझे मत करो और एक बात बताओ सावन ! क्या तुम्हें पता है वो श्याम भाई का क्या हुआ कि जिसकी बहन के पेट में लोहे के बेलचे आर- पार किये गये थे और उसने उन्हीं बेलचों से दोषियों को मार दिया था। सावन ने कहा,”वो लड़का उस समय मात्र तेरह वर्ष का था। अब पता नहीं कहाँ होगा ? कोई नहीं जानता ? यह सुन गौरी ने कहा,” उसे ले जाने वाले उसको एक और गुड्डू बना देंगें। सावन ने कहा,”कौन गुड्डू ?” गौरी ने कहा,” कुछ नहीं, वादा करो उस श्याम को ढूँढ़ने में मेरी मदद करोग।” …..सावन ने कहा,”बिल्कुल मैम”।
गौरी मन ही मन कहती है खुद की नज़रों में गिर गयीं हूँ। वह खुद से सवाल करती है, क्या यह हैं मेरे बहुत महान कार्य ? उस सांसद का छूना, गुड्डू का मरना, सीडी का ना देखना और ईरा जी का मरना। यह सब सोचते हुये वह मन ही मन आँसुओं को पीने लगती है और ग्लानि और पश्चाताप से भर जाती है।
फिर एकाएक, जगत आकर कहता है मैम ! अब तक यही खडे़ हैं आप लोग ? शाम होने को है चलिये गाड़ी में बैठिये। गौरी कहती है वहां क्या हो रहा है तो वह कहता है कि जनता और मीडिया की भारी भीड़ है। हमने उस ढ़ोंगी की बॉडी हिल्ले लगा दी है। न मिलेगी बॉडी न चलेगा केस। गौरी कहती है मैं सच बोल दूंगी जगत और चली जाऊंगी जेल। यह सुन जगत ने कहा, ” देखा जायेगा पर अभी यहां से चलते हैं। फिर, सावन और गौरी गाड़ी में बैठकर जैसे ही भिमारी में प्रवेश करतें हैं कि चौंक जाते हैं कि चारों तरफ ट्रक जल रहें हैं और वहाँ ऐसा बवाल मचा कि पूछो मत। गौरी अपनी गाड़ी के बोनट पर चढ़कर कहती है प्लीज़ ! शांत हो जाइये और कोई एक बोलो कि आख़िर हुआ क्या ? यह सुनकर कुछ शान्ति हो जाती है और कुछ लोग कहतें हैं कि हम लोगों ने पाँच ट्रक गौ माँस पकड़ा और इन नेताओं के कारण दो ट्रक गायों से भरे ट्रक आगे निकाल दिये गये।
अब वो कटेंगीं जाकर साले जिसका दूध पीते हैं उसी का माँस खातें हैं। वो ट्रक इतनी जल्दी में निकले कि हमारी एक छोटी बच्ची को लील गये।
यह सुनकर कुछ लोग आपस में लड़ने लगे कि कुछ हिन्दू अगर बेचें नहीं तो कुछ मुसलमान उन्हें काटे नहीं। बस फिर क्या था तभी देखते ही देखते वहाँ मार-पीट शुरू हो गयी। तब सावन ने हवाई फायर करते हुये कहा, ”रूको भाई यह बताओ दोषी कौन है ? तो भीड़ बोली दागी नेता। हम आम जनता बिना टीईटी के टीचर नहीं, बिना आईआईटी के इंजीनियर नहीं, बिना पीसीएस के आप डी.एम. नहीं और नेता के लिये बस वो दागी हो और माना हुआ परम अपराधी हो बस।
गौरी ने कहा, ”वो दूर उधर लोग किसे पीट रहे हैं ?” तो वहाँ खड़ी जनता बोली,”चोट्टा विभाग वाले।” गौरी बोली,”मतलब। ” यह सुनकर वह लोग बोले कि बिजली विभाग के लोग पिट रहे हैं क्योंकि मैडम जितना हमारे बिजली मीटर का एक महीने का बिल आता है उतना बिजली विभाग के कुछ लोगों के घर का सालभर का बिल होता है। घर में जुगाड़ से बिजली चोरी करते हैं और घर से बाहर निकल कर आम जनता को हड़काते फिरते हैं। इनकी भी ऐश और इनके रिश्तेदारों की भी। ये बिजली विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी कोई बिल नहीं देते। हमारा तो मकान दो महीने से बन्द पड़ा है फिर भी बिल आया बीस हज़ार रूपये। जबकि वह मीटर सालभर पहले कट भी चुका और पीडी भी करवा लिया था। कटे कनेक्शन का भी 80हज़ार बिल तो बताओ मैडम गुस्से में जनता कैसे चुप रहे। इन भ्रष्ट नेताओं के लिये हम जनता बस वोट देने की मशीनभर हैं और कुछ नहीं…।
गौरी ने कहा,” अगले महीने जिले में चुनाव है और अगर सभी दागी व्यक्ति चुनाव में खड़े होते हैं तो बस आप लोग काले रंग का बटन दबाओ 27% वोट निगेटिव मतलब किसी को भी वोट नहीं ये है इस बटन की ताकत। आप लोग अपने अधिकार का सही प्रयोग करो बस। अगर सत्ताईस परसेन्ट वोट निगेटिव पड़ जायें तो चुनाव में खड़े सब दागी नेता जेल में और राष्ट्रपति शासन और फिर कहना कि नेता भी पढ़ा लिखा और सज्जन चाहिये फिर कोर्ट भी आपको न्याय ज़रूर देगी।
अगले महीने तो गज़ब हो गया पूरे देश में ‘नोटा’ बटन काले रंग का क्रॉस बटन दबा और ज़बरदस्त निगेटिव वोटिंग हुई यानि मेरा वोट किसी को नहीं। बेरोज़गार लोग प्रदर्शन कर रहे थे कि जॉब नहीं तो वोट नहीं। महिलाएं कह रही थीं कि पहले दहेज़ मिटाओ फिर सुरक्षा बढ़ाओ तब हमारा वोट पाओ। वह टीवी पर देख रही थी कि देशभर में हर तरफ अपने हक और अधिकारों को लेकर बवाल दूसरे दिन गौरी को लोगों ने कहा, ”मैडम ! लालबाग स्टेडियम में एक सभा को सम्बोधित करें। ये बच्चों की सभा है।”
गौरी तैयार होकर जैसे ही बाहर निकलती है तो उसकी अस्पताल वाली गोद ली गयी बेटी मॉली उसका दुपट्टा पकड़ कर कहती है,”माँ, मत जाओ।” गौरी उसे गले लगा कर कहती हैं कि माँ जल्दी वापस आयेगी तब तक इन आंटी के साथ खेलो। फिर, उसकी आया उसे गोद में लेकर अंदर चली जाती है। गौरी मंच पर पहुँचती है तो उसे अपने सामने उसी सांसद का चेहरा दिखता है और उन्हें खुद से घिन आने लगती है पर खुद को सम्भालते हुये वह मंच पर खड़ी है और तभी उसे गुड्डू दिखता है और कहता है चलो मैं तुम्हें लेने आया हूँ तभी पति दिखता है जो हमेशा उसे जलील करते हुये दिख रहा है कि मेरी माँ पहले, तू बाद में समझी, माँ जो कहे मानो वरना अब डिवोर्स ही होगा फिर बेटी दिखती है जो बार-बार, बोल रही है कि ‘माँ’ मत जाओ। ज़िंदगी की रियल फिल्म के सभी दृश्य मानो उसके सामने चल रहे थे। इन बीते दिनों की कड़वी और जहरीली यादों ने गौरी के दिलो-ओ- दिमाग में बवाल मचा दिया और तभी गौरी अपना मानसिक संतुलन खोने लगती हैं। फिर तभी उस भीड़ में कोई गौरी की तरफ बंदूक से निशाना लगा देता है। उस बंदूक वाले को देखकर जगत दौड़कर मंच पर चढ़कर गौरी को खींच लेता है पर फिर भी गौरी के गोली लग जाती है और वह वही मंच पर गिर जाती है। तभी, बच्चों की भीड़ में बवाल मच जाता है और गोली मारने वाला पकड़ा जाता है तो सावन कहता है अरे ! तू ? तुम तो गौरी मैडम के पति हो ?
मंच पर बैठा जगत कहता है मैम आपको बहुत समस्यायें हल करनी है आप मत जाओ। फिर चारों तरफ देखते हुये चिल्लाता है प्लीज़ कोई ऐम्बूलेन्स मंगाओ ? पीछे से मंच पर ढ़ेर सारे बच्चे गौरी को चारों ओर से घेर लेते हैं।
वह आँख खोलती है तभी कोई कहता है कि गोली चलानेवाला मैडम का पति था। वो पकड़ा गया।” यह सुन गौरी कहती है, ”जगत तुम एक काम करना दहेज़ से खुद को और परिवार को दूर रखना।
जगत कहता है कि मैम,”आप ठीक हो जायेगीं।” गौरी कहती है, ”मेरी बेटी फिर से अनाथ हो गयी।” जगत कहता है, ”मैं पालूंगा ! मैडम आपकी प्यारी गुड़िया रानी को पर आपकी तरह उसे डी.एम. नहीं बनाऊंगा और यह बोलते हुये, वह फूट-फूट कर रो पड़ा। जगत को रोता देख ! डी.एम गौरी संघाल बोली, ”जगत तुम मेरी बेटी को अग्नि कहो या बिजली पर गुड़िया मत बोलो क्योंकि बेटी, बेटी होती है कोई खेलने वाली चीज़ ‘गुड़िया’ नहीं। और इतना कहते-कहते गौरी की आँख बन्द होने लगी। तभी भीड़ को चीरता हुआ सावन दौड़ता हुआ आया और बोला, ”मैडम, आपको कुछ नहीं होगा।” गौरी मुस्कुरायी और बोली,” हिन्दुस्तान में हर समस्या का हल है पर शर्त यह है कि वो समस्या अपनी न हो।” यह सुन सावन कहता है आपको कुछ नहीं होगा मैडम मैं समाज और देश के गद्दारों को बीच से चीर दूँगा कसम तिरगें की। यह सुन गौरी कँपकँपाते होंठ से कहती है नहीं सावन देश में कानून है न, आप बवाल नहीं सवाल करो। इंस्पेक्टर सावन कुछ समझ पाता कि उनकी आखें खुली रह गयीं और वह सदा के लिये दुनिया के बवाल से बहुत दूर चली गयीं। यह देख ! सावन उनकी आँखों को बन्द करके फूट-फूट के रो पड़ा और यह सब देख चारों तरफ से लोगों की भीड़ गौरी को एक नज़र देखने को बेकाबू हो गयी।
हंगामा मच गया था।