माँ/बेटा
माँ/बेटा
आज जब मोबाइल पर बेटे की खुशी भरी आवाज आई कि” माँ तुम्हारे बेटे ने अपनी ड्रीमजॉब पा ली है ।आज मैं बहुत खुश हूँ पता नहीं क्यूँ आज आँखों से खुशी के आँसू बहे जा रहें है ।समझ में नही आ रहा कि मै क्या करूँ ।मैरे पास कोई नहीं है इस समय ।मै किससे अपनी खुशी बाँटू ।तो सबसे पहले तुमको ही बता रहा हूँ ।माँ पता है मैने कितने सारे प्रतिभागियों से ऊपर निकल कर आया हूँ ।”
और माँ सोच रही थी यह वही बेटा है जो कल तक किसी साक्षात्कार में असफल होने पर कहता था कि “सबका हो जाता है और मै शार्टलिस्ट मे आने के बाद भी रह जाता हूँ।तब वो कितने ही प्यार से समझाती थी कि बेटा निराश ना हो तुम बस प्रयास करते रहो ।हो सकता है ईश्वर ने तुम्हारे लिये कुछ और ही अच्छा सोचा हो ।और आज की यह खबर वाकई में उसके इस विश्वास को पुख़्ता कर रही थी कि वाकई मे ईश्वर ने कुछ और अच्छा ही सोंचा था इसी लिये पहले सफलता नही मिल रही थी पर उसने हिम्मत नही हारी और आज यह मुक़ाम हासिल हुआ ।
अब माँ बेटे को उपर बढते हुये नीचे देख कर चलने की सीख देते हुये ईश्वर के आगे हाथ जोड़ कर बेटे की सफलता के लिये धन्यवाद दे रही थी ।