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Dwivedi Vipin

Drama Inspirational

2.0  

Dwivedi Vipin

Drama Inspirational

निडरता

निडरता

4 mins
7.4K


एक बार एक व्यवसायी पूरी तरह से कर्ज से डूब गया था और उसका व्यवसाय बंद होने के कगार पर था| वह बहुत चिंतित व निराश होकर एक बगीचे में बैठा था और सोच रहा था कि काश कोई उसकी कंपनी को बंद होने से बचा ले |

तभी एक बूढ़ा व्यक्ति वहां पर आया और बोला – आप बहुत चिंतित लग रहे है, कृपया अपनी समस्या मुझे बताइये शायद मैं आपकी मदद कर सकूं |

व्यवसायी ने अपनी समस्या उस बूढ़े व्यक्ति को बताई|

व्यवसायी की समस्या सुनकर बूढ़े व्यक्ति ने अपनी जेब से चेकबुक निकाली और एक चेक लिखकर व्यवसायी को दे दिया और कहा – तुम यह चेक रखो और ठीक एक वर्ष बाद हम यहाँ फिर मिलेंगे तो तुम मुझे यह पैसे वापस लौटा देना|

व्यवसायी ने चेक देखा तो उसकी आँखे फटी रह गयी – उसके हाथों में 50 लाख का चेक था जिस पर उस शहर के सबसे अमीर व्यक्ति जॉन रोकफेलर के साइन थे|

उस व्यवसायी को यह विश्वास नहीं हो पा रहा था कि वह बूढ़ा व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि उस शहर का सबसे अमीर व्यक्ति जॉन रोकफेलर था| उसने उस बूढ़े व्यक्ति को आस-पास देखा लेकिन वह व्यक्ति वहां से जा चुका था|

व्यवसायी बहुत खुश था कि अब उसकी सारी चिंताएं समाप्त हो गयी है और अब वह इन पैसों से अपने व्यवसाय को फिर से खड़ा कर देगा |

लेकिन उसने निर्णय किया कि वह उस चेक को तभी इस्तेमाल करेगा जब उसे इसकी बहुत अधिक आवश्यकता होगी और उसके पास कोई दूसरा उपाय नहीं होगा |

उस व्यवसायी की निराशा और चिंताएं दूर हो चुकी थी | अब वह निडर होकर अपने व्यवसाय को नए आत्मविश्वास के साथ चलाने लगा क्योंकि उसके पास 50 लाख रूपये का चेक था जो जरूरत पड़ने पर काम आ सकता था |

उसने कुछ ही महीनों में व्यापारियों के साथ अच्छे समझौते कर लिए जिससे धीरे धीरे उसका व्यवसाय फिर से अच्छा चलने लगा और उसने उस चेक का इस्तेमाल किये बिना ही अपना सारा कर्जा चुका दिया|

ठीक एक वर्ष बाद व्यवसायी वही चेक लेकर उस बगीचे में पहुंचा जहाँ पर एक वर्ष पहले वह बूढ़ा आदमी उससे मिला था |

वहां पर उसे वह बूढ़ा आदमी मिला, व्यवसायी ने चेक वापस करते हुए कहा – धन्यवाद आपका जो आपने बुरे वक्त में मेरी मदद की| आपके इस चेक ने मुझे इतनी हिम्मत दी कि मेरा व्यवसाय फिर से खड़ा हो गया और मुझे इस चेक का उपयोग करने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी |

वह अपनी बात पूरी करता तभी वहां पर पास ही के पागलखाने के कुछ कर्मचारी आ पहुंचे और उस बूढ़े आदमी को पकड़कर पागलखाने ले जाने लगे |

यह देखकर व्यवसायी ने कहा – यह आप क्या कर रहे है ? आप जानते है यह कौन है ? यह इस शहर के सबसे अमीर व्यक्ति जॉन रोकफेलर है |

पागलखाने के कर्मचारी ने कहा – यह तो एक पागल है जो खुद को जॉन रोकफेलर समझता है | यह हमेशा भागकर इस बगीचे में आ जाता है और लोगों से कहता है कि वह इस शहर का मशहूर व्यक्ति जॉन रोकफेलर है | हमें लगता है कि इसने आपको भी बेवकूफ बना दिया |

वह व्यवसायी पागलखाने के कर्मचारी की बाते सुनकर सुन्न हो गया | उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि वह व्यक्ति जॉन रोकफेलर नहीं था और एक वर्ष से जिस चेक के दम पर वह आराम से अपने व्यवसाय में जोखिमें उठा रहा था वह नकली था |

वह काफी देर सोचता रहा फिर उसे समझ में आया कि यह पैसा नहीं था जिसके दम पर उसने अपना व्यवसाय वापस खड़ा किया है बल्कि यह तो उसकी निडरता और आत्मविश्वास था जो उसके भीतर ही था |

“बिलीव इन यूअर सेल्फ “

“हमारे भीतर समस्त ब्रहांड की शक्ति निहित है जिसके बल पर हम कुछ भी कर सकते है लेकिन समस्या यह है कि हम कभी कभी नकारात्मकता, निराशा और डर के अन्धकार में इतना डूब जाते है कि हम भूल जाते है कि हमारे भीतर असीमित शक्ति है जो अंधकार को पल भर में दूर कर सकती है | जब हम आत्मविश्वास और निडरता का रास्ता चुनते है तो सारी रूकावटें अपने आप दूर हो जाती है |”


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