रंग बिरंगा देश
रंग बिरंगा देश
विनय का कज़िन संदीप जिसे सब सैंडी कहते थे लंदन से भारत आया हुआ था। वह अक्सर भारत और इंग्लैंड की तुलना करते हुए यहाँ की कमियां बताता रहता था। विनय को उसकी बातें सुनकर दुख लगता था।
विनय उसे बताना चाहता था कि भारत देश में भी बहुत खूबियां हैं। इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती इसकी विविधता में एकता हैं। यहाँ कई धर्म, जातियों के लोग रहते हैं। कई भाषाएं व बोलियां हैं। अलग अलग खान पान हैं।
अपनी बात समझाने का सबसे अच्छा मौका उसे गणतंत्र दिवस के रूप में मिला। वह दिल्ली में रहता था। उसने अपने पापा से कहा कि वह उसे और सैंडी को गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम दिखाने ले जाएं।
विनय के पापा उसे और सैंडी को गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम दिखाने ले गए। सबसे पहले तो सैंडी उस विशाल जनसमुदाय में अलग अलग वर्ग रूप रंग के लोगों को देखकर आश्चर्य में पड़ गया।
राजपथ पर हथियारों के प्रदर्शन के बाद जब विभिन्न राज्यों की संस्कृति दर्शाते हुए झांकियां निकलीं। अलग अलग रंगों की झांकियों को देख कर सैंडी के चेहरे पर उभरा अचरज विनय को खुश कर रहा था। उसके बाद स्कूली बच्चों ने देश की विविधता दिखाते हुए कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
राजपथ से विनय के पापा उन लोगों को एक जगह चल रहे फूड फेस्टिवल पर ले गए। यहाँ हर राज्य का विशेष भोजन था। उसे परोसने वाले अपने राज्य के परिधान में पारंपरिक तरीके से भोजन परोस रहे थे। हर राज्य के स्टॉल पर वहाँ का संगीत बज रहा था।
जब विनय सैंडी के साथ लौट रहा था तो उसने पूँछा।
"सैंडी क्या कहना है तुम्हारा भारत के बारे में ?"
"मैं तो आश्चर्य में हूँ। एक देश में इतने सारे रंग इतनी शताब्दियों से कैसे साथ हैं ?"
सैंडी का जवाब सुनकर विनय गर्व से फूल गया।