Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

चर्चा: मास्टर&मार्गारीटा 26.2

चर्चा: मास्टर&मार्गारीटा 26.2

7 mins
248


अध्याय - 26. 2


और अब जूडा क्या करेगा:

 जूडा कुछ देर अकेला खड़ा रहा, अपने भागते हुए विचारों को तरतीब में लाने की कोशिश करने लगा। इन विचारों में एक यह भी था कि उत्सव की दावत के समय अपनी अनुपस्थिति के बारे में वह अपने रिश्तेदारों को क्या कैफ़ियत देगा। जूडा खड़े-खड़े कोई बहाना सोचने लगा। मगर जैसा कि हमेशा होता है, परेशानी में वह कुछ सोच न पाया और उसके पैर उसे अपने आप गली से दूर ले चला,अब उसने अपना रास्ता बदल दिया। वह निचले शहर में जाने के बजाय वापस कैफ के महल की ओर चल पड़ा। जूडा को अब आसपास की चीज़ें देखने में कठिनाई हो रही थी। उत्सव शहर के अन्दर आ गया था। जूडा के चारों ओर हर घर में अब न केवल रोशनी जल चुकी थी, बल्कि प्रार्थना भी सुनाई देने लगी थी। देरी से घर जाने वाले अपने-अपने गधों को चाबुक मारकर चिल्लाते हुए आगे धकेल रहे थे। जूडा के पैर उसे लिये जा रहे थे, उसे पता ही नहीं चला कि कैसे उसके सामने से अन्तोनियो की काई लगी, ख़ौफ़नाक मीनारें तैरती चली गईं। उसने किले में तुरही की आवाज़ नहीं सुनी। रोम की मशाल वाली घुड़सवार टुकड़ी पर उसका ध्यान नहीं गया, जिसकी उत्तेजक रोशनी में रास्ता नहा गया था।  मीनार के पास से गुज़रते हुए जूडा ने मुड़कर देखा कि मन्दिर की डरावनी ऊँचाई पर दो पंचकोणीय दीप जल उठे हैं। मगर जूडा को वे भी धुँधले ही नज़र आए। उसे यूँ लगा जैसे येरूशलम के ऊपर दस अतिविशाल दीप जल उठे थे, जो येरूशलम पर सबसे ऊपर चमकते दीप –चाँद से प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। अब जूडा को किसी से कोई मतलब नहीं था। वह गेफसिमान की ओर बढ़ा जा रहा था। शहर को जल्द से जल्द पीछे छोड़ना चाहता था।

कभी-कभी उसे ऐसा महसूस होता, जैसे उसके आगे जाने वालों की पीठों और चेहरों के बीच फुदकती आकृति चली जा रही है, जो उसे अपनी ओर खींच रही है। मगर यह सिर्फ धोखा था। जूडा समझ रहा था, नीज़ा ने जानबूझकर उसे पीछे छोड़ा है। जूडा सूद वाली दुकानों के सामने से होकर भाग रहा था। आख़िर में वह गेफसिमान तक पहुँच ही गया। बेचैन होते हुए भी प्रवेश-द्वार पर उसे इंतज़ार करना ही पड़ा। शहर में ऊँटों का काफिला प्रवेश कर रहा था जिसके पीछे-पीछे था सीरियाई फ़ौजी गश्ती-दल जिसे मन ही मन जूडा ने गाली दी। मगर हर चीज़ का अन्त होता ही है। अशांत और बेचैन जूडा अब शहर की दीवार के बाहर था। दाईं ओर उसने एक छोटा-सा कब्रिस्तान देखा, उसके निकट कुछ भक्तजनों के धारियों वाले तम्बू थे। चाँद की रोशनी से नहाए धूल भरे रास्ते को पार करके जूडा केद्रोन झरने की ओर बढ़ा, ताकि उसे पार कर सके। जूडा के पैरों के नीचे पानी कलकल करता धीमे से बह रहा था। एक पत्थर से दूसरे पत्थर पर उछलते वह आखिर में गेफसिमान के दूसरे किनारे पर पहुँच गया। उसे यह देखकर खुशी हुई कि यहाँ बगीचों के ऊपर वाला रास्ता एकदम सुनसान है। दूर तेलियों के मुहल्ले के ध्वस्त द्वार दिखाई दे रहे थे। शहर के दमघोंटू वातावरण के बाद बसंती रात की महक जूडा को पागल बना दे रही थी। बगीचे से अकासिया और अन्य फूलों की महक आ रही थी।

प्रवेश-द्वार पर कोई पहरेदार नहीं था, वहाँ कोई था ही नहीं, कुछ क्षणों बाद ज़ैतून के वृक्षों की विशाल रहस्यमय छाया के नीचे जूडा दौड़ने लगा। रास्ता पहाड़ तक जाता था। तेज़-तेज़ साँस लेते हुए जूडा अँधेरे से उजाले में चाँद की रोशनी से बने कालीनों पर चलता ऊपर चढ़ने लगा, जो उसे नीज़ा के ईर्ष्यालु पति की दुकान में देखे कालीनों की याद दिला रहे थे। कुछ देर बाद जूडा के बाईं ओर मैदान में तेलियों का कोल्हू दिखाई दिया। वहाँ था पत्थर का अजस्त्र पहिया। कुछ बोरे भी रखे थे। सूर्यास्त तक सारे काम समाप्त हो चुके थे। उद्यान में कोई भी प्राणी नहीं था और जूडा के सिर के ऊपर पंछियों की चहचहाहट गूँज रही थी। जूडा का लक्ष्य निकट ही था। उसे मालूम था कि दाईं ओर अँधेरे में अभी उसे गुफा में बहते पानी की फुसफुसाहट सुनाई देगी। वैसा ही हुआ, उसने वह आवाज़ सुनी। ठण्डक महसूस हो रही थी। तब उसने अपनी चाल धीमी करते हुए हौले से आवाज़ दी, “नीज़ा!”

मगर नीज़ा के स्थान पर ज़ैतून के वृक्ष के मोटे तने से अलग होते हुए एक शक्तिशाली आदमी की आकृति प्रकट हुई। उसके हाथों में कुछ चमका और तत्क्षण बुझ गया। जूड़ा पीछे की ओर लड़खड़ाया और क्षीण आवाज़ में बोला, “आह!”

दूसरे आदमी ने उसका रास्ता रोका।

पहले वाले ने, जो सामने था, जूडा से पूछा, “अभी कितना मिला है? बोलो, अगर जान बचाना चाहते हो!”

जूडा के दिल में आशा जाग उठी और वह बदहवासी से चिल्लाया, “तीस टेट्राडाख्मा! तीस टेट्राडाख्मा! जो कुछ भी पाया, सब यही है। ये रही मुद्राएँ! ले लीजिए, मगर मेरी जान बख़्श दीजिए। ”


सामने वाले आदमी ने जूडा के हाथ से झटके से थैली छीन ली। उसी क्षण जूडा की पीठ के पीछे बिजली की गति से चाकू चमका जिसने उस प्रेमी की पसलियों पर वार किया। जूडा आगे की ओर लड़खड़ाया, और अपनी टेढ़ी-मेढ़ी उँगलियों वाले हाथ उसने ऊपर उठा दिए। सामने वाले व्यक्ति के चाकू ने जूडा को थाम लिया और उसकी मूठ जूडा के दिल में उतर गई।

 “नी... ज़ा... ,” अपनी ऊँची, साफ़, जवान आवाज़ के बदले जूडा के मुँह से इतने ही शब्द एक नीची, डरी, उलाहने भरी आवाज़ में निकले और आगे वह कुछ न बोल सका। उसका शरीर पृथ्वी पर इतनी शक्ति से गिरा, कि वह गूँज उठी।

अब रास्ते पर एक तीसरी आकृति दिखाई दी। यह तीसरा कोट और टोपी पहने था।

 “आलस मत करो,” तीसरे ने आज्ञा दी। हत्यारों ने फ़ौरन थैली के साथ वह कागज़ बाँध दिया, जो उन्हें तीसरे आदमी ने दिया था। वह सब एक चमड़े के टुकड़े में रखकर उस पर डोरी बाँध दी। दूसरे ने यह पैकेट अपनी कमीज़ में रख लिया। इसके बाद दोनों हत्यारे रास्ते से दूर हटकर चले गए और ज़ैतून के वृक्षों के बीच अंधेरा उन्हें खा गया। तीसरा, मृतक के पास उकडूँ बैठकर उसके चेहरे को देखता रहा। अंधेरे में वह चेहरा चूने की तरह सफ़ेद नज़र आ रहा था और बहुत सुन्दर लग रहा था। कुछ क्षणों पश्चात् रास्ते पर कोई भी जीवित व्यक्ति नहीं रहा। निर्जीव शरीर हाथ पसारे पड़ा रहा। बायाँ पैर चाँद की रोशनी में था, जिससे उसकी चप्पल का रहबन्द साफ़ दिखाई दे रहा था।

इस समय पूरा गेफ़सिमान उद्यान पंछियों के गीतों से गूँज उठा। जूडा को मारने वाले दोनों हत्यारे कहाँ लुप्त हो गए, किसी को नहीं मालूम। मगर तीसरे, टोपी वाले के मार्ग के बारे में हम जानते हैं रास्ता छोड़कर वह ज़ैतून के वृक्षों के झुरमुट से होता हुआ दक्षिण की ओर बढ़ा। प्रमुख द्वार से कुछ पहले वह उद्यान की दीवार फाँद गया, उसके दक्षिणी कोने में, जहाँ बड़े-बड़े पत्थर पड़े थे। शीघ्र ही वह केद्रोन के किनारे पहुँचा। फिर पानी में उतरकर कुछ देर तक चलता रहा, जब तक कि उसे दो घोड़ों के साथ एक आदमी नहीं दिखाई दिया। घोड़े भी प्रवाह में ही खड़े थे। पानी उनके पैर धोते हुए बह रहा था। साईस एक घोड़े पर बैठा और टोपी वाला उछलकर दूसरे पर बैठ गया और वे धीरे-धीरे प्रवाह में ही चलते रहे। घोड़ों के खुरों के नीचे पत्थरों के चरमराने की आवाज़ आ रही थी। फिर घुड़सवार पानी से बाहर आए, येरूशलम के किनारे पर आए और शहर की दीवार के साथ-साथ चलते रहे। यहाँ साईस अलग हो गया और घोड़े को एड़ लगाकर आँखों से ओझल हो गया। टोपी वाला घोड़ा रोक कर नीचे उतरा और उस निर्जन रास्ते पर उसने अपना कोट उतारा और उसे उलट दिया, कोट के नीचे से उसने एक चपटा, बिना परों वाला शिरस्त्राण निकाल कर पहन लिया। अब घोड़े पर उछल कर सवार हुआ, फौजी वेष में, कमर में तलवार लटकाए एक सैनिक। उसने रास खींची और फ़ौजी टुकड़ी का जोशीला घोड़ा तीर की तरह सवार को चिपकाए भागा। अब रास्ता थोड़ा सा ही था – घुड़सवार येरूशलम के दक्षिणी द्वार की ओर बढ़ रहा था।

प्रवेश द्वार की कमान पर मशालों की परेशान रोशनी नाच रही थी। बिजली की गति वाली दूसरी अंगरक्षक टुकड़ी के सिपाही पत्थर की बेंचों पर बैठे चौपड़ खेल रहे थे। तीर की तरह आते फ़ौजी को देखते ही वे अपनी-अपनी जगहों से उछल पड़े, फ़ौजी ने उनकी ओर हाथ हिलाया और शहर में घुस शहर त्यौहार की चकाचौंध में डूबा था। सभी खिड़कियों में रोशनी खेल रही थी। चारों ओर से प्रार्थनाएँ गूँज रही थीं। बाहर खुलती खिड़कियों में  देखते हुए घुड़सवार कभी-कभी लोगों को पकवानों से सजी खाने की मेज़ पर देख सकता था। पकवानों में था बकरी का माँस, शराब के प्याले और कड़वी घास वाली कुछ और चीज़ें। सीटी पर कोई शांत गीत गुनगुनाते हुए घुड़सवार धीमी चाल से निचले शहर की खाली सड़कों पर चलते-चलते अंतोनियो की मीनार की ओर बढ़ा, कभी मन्दिर के ऊपर के उन पंचकोणी दीपों की ओर देखते हुए, जैसे दुनिया में और कहीं नहीं थे, या फिर चाँद को देखते हुए, जो इन पंचकोणी दीपों के ऊपर लटक रहा था।

पिलात बड़ी उत्सुकता से जूडा की हत्या के विवरण का इंतज़ार कर रहा है। जब अफ्रानी उसे सूचित करता है कि वह जूडा को बचा नहीं सका और जूडा को मार डाला गया है। पिलात जानना चाहता है कि जूडा को कितने पैसे दिए गए थे और यह भी कि क्या वह पैसा कैफ़ को वापस लौटा दिया गया है। उसे यह बताया जाता है कि जूडा को तीस टेट्राडाख्मा मिले थे, यह भी बताया जाता है कि उसे कहाँ पर मारा गया होगा।।

 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller