लोक व्यवहार
लोक व्यवहार
उसकी मीठी बोली ने सबको उसका दीवाना बना दिया था, नाम था उसका महुआ। बचपन से लेकर आज तक सारे मोहल्ले वाले उसे बहुत पसंद करते, बहुत खुश मिज़ाज लड़की थी वह, आज उसके रूप और गुणों में चार चाँद और लग गए, आखिर उसने आई.ए.एस पास कर लिया और अपने ही शहर में वह कलेक्टर बन कर आ रही थी, माता पिता की खुशी का ठिकाना ना था लाल बत्ती वाली गाड़ी जब घर के सामने आकर रुकी तो, घर वालो के साथ मोहल्ले वाले भी उसके स्वागत में खड़े थे। गाड़ी से निकली महुआ, वही चिर परिचित मुस्कान लिए। घर के बड़े बुजर्गो के पैरों में झुक कर आशीर्वाद लिया तो उनकी आँखों से अश्रु धारा फूट पड़ी ",बेटा ये क्या कर रही हो।"
मुस्कुराते हुए उसने दादा दादी के आँखों के आँसू पोंछे और कहा -"आपके आशीर्वाद का ही फल है, जो मैंने आज ये मुकाम हासिल किया है।"
सभी उपस्थित लोगों से उसने आशीर्वाद लिया, मम्मी पापा बहुत खुश थे उसके सुन्दर लोक व्यवहार को देख उन्हें यकीन था आगे भी हमारी बेटी ज़रूर अपने कामों से और नाम कमा कर दिखाएगी।
अपने सुन्दर आचरण और व्यवहार से महुआ ने जल्द ही सबका दिल जीत लिया, सच ही है प्रेम व्यवहार इस जग में सबसे अच्छी रीत, जिसने प्रेम से जीता सबको, उसकी ही होती जहाँ में जीत।