नीचे नहीं देखना
नीचे नहीं देखना
जिंदगी है संघर्ष लगा ही रहेगा। पर हमें हर संघर्ष से लड़ कर अपनी मंजिल खुद बनानी पड़ती है। सफर लंबा हो या छोटा, इस जीवन के सफर में हमें ऐसी चीजों का भी सामना करना पड़ता है जिनसे हम बहुत डरते है।
हर इंसान के मन में एक डर बैठा रहता है जिससे वह हर रोज लड़ता है और उससे निकलने की कोशिश भी करता है, पर कहीं ना कहीं कमजोर पड़ जाता है। तभी यह डर हमारा पीछा नहीं छोड़ता।
अपनों को खोने का डर एक ऐसा डर है जिससे हर कोई डरा रहता है। यह ऐसा एहसास है कि हम कुछ सोच कर भी डर जाते है। अगर हमने अपनों को खो दिया तो हम कैसे जी पाएँगे? आगे क्या होगा? क्या हम खुश रह पाएँगे?
कई लोगों को ऐसे डर भी होते है जो उन्हें कई चीजों से लगता है। एक ऐसा डर मेरा भी है, जिससे मैं कभी बाहर नहीं निकल पाती। ऊँचाई का डर। हाँ! सही समझा आपने। मुझे ऊँचाई से डर लगता है। बहुत डर लगता है।
किसी ऊँची जगह पर जाकर मुझे कोई नीचे देखने के लिए कहे मेरी हिम्मत नहीं बनती। ऐसा लगता है मैं देखूँगी और गिर जाऊँगी। हालांकि मुझे पहाड़ों और ऊंची वादियां बहुत पसंद है। प्रकृति को देखना मेरा पसंदीदा शौक है। बस कोई मुझे नीचे देखने के लिए ना कहें।
यहाँ तक की मुझे ऊँचा-नीचा घूमने वाले झूले से भी बहुत डर लगता है।जब वह नीचे आता है उस समय सभी मस्ती करते है, चिल्लाते है, चारों तरफ देखते है, पर मैं बूत बनी दोनों हाथों से झूले को पकड़ी सामने देखती रहती हूँ। एक ही बार बैठा, फिर हिम्मत ही न कर पाई।
सपने में भी मैं ऊँचाई से नीचे नहीं देख पाती। इस हद तक यह डर मेरे अंदर समाया है। क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ है?