नसीहत
नसीहत
गुड मॉर्निंग टीचर .... सारे बच्चे एक स्वर में बोल पड़े
गुड मॉर्निंग ....गुड मॉर्निंग, सिट डाउन बच्चों
प्ले ग्रुप के छोटे छोटे बच्चे हंसते खिलखलाते बैठ गए ।
टीचर उनको बोलती है- अच्छा आज एक स्टोरी सुनोगे
यस टीचर .....
टीचर कहानी शुरू करती है ...
जंगल में खूब सारे हाथी शेर चीता भालू हिरण और न जाने कितने जीव जंतु रहते हैं।
उनमें एक चिंपू नाम का छोटा सा हाथी का बच्चा भी अपने परिवार के साथ रहता था। चिंपू बहुत शरारती और चंचल बच्चा था। अपनी मम्मी का कहना भी नहीं मानता था। हमेशा इधर उधर खेलता कूदता रहता था। कई बार बिना बताए दूर निकल जाता था तो उसकी मम्मी को बड़ी चिंता हो जाती थी।
मम्मी चिंपू ... चिंपू की आवाज लगाती ढूँढने निकल जाती थी। शैतान चिंपू अपनी मम्मी को आता देख कर पेड़ के पीछे कभी झाड़ियों के बीच छुप जाता था। ढूंढ ढूंढ कर आवाज़ लगा लगा कर उसकी मम्मी परेशान हो जाती थी तो चिंपू चुपके से निकल कर उन्हें चौंका देता था और खिलखिला कर हंस पड़ता था। उसकी मम्मी झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसे डांटती और डराती।
चिंपू को बोलती देखना बच्चू किसी दिन शेर आ जायेगा और तुझे पकड़ कर ले जाएगा। डर के मारे चिंपू अपनी मम्मी के गले लग जाता और बोलता.... नहीं मम्मी नहीं। मम्मी बोलती तो फिर मम्मी का कहना मानेगा ना, शैतानी तो नहीं करेगा ना ?
हाँ मम्मी मानूँगा ... और मम्मी हंस पड़ती और बोलती मेरा राजा बेटा।
एक दिन की बात है। मौसम ठीक नहीं था आसमान में बादल घिर आये थे अंधेरा छा गया था बारिश आने वाली थी लेकिन चंचल चिंपू कहाँ रुकने वाला था उसको तो बस खेलने की पड़ी थी। मम्मी की नजर बचा कर चुपके से निकल पड़ा खेलने। थोड़ी देर के बाद ही चिंपू की मम्मी को शेर की दहाड़ सुनाई पड़ी और वो कांप गई। उसको सबसे पहले अपने चिंपू का ही ध्यान आया और आवाज़ लगाई ..... चिंपू ..., ,ओ चिंपू कहाँ हो बेटा जल्दी से आओ मम्मी के पास। चिंपू का कोई उत्तर ना पाकर उसकी मम्मी घबरा गई और दौड़ पड़ी चिंपू को ढूंढने। उधर शेर की दहाड़ तेज़ होती जा रही थी इधर चिंपू की मम्मी की घबराहट बढ़ती जा रही थी।
थोड़ी दूर जाते ही जो दृश्य उसने देखा तो डर के मारे कलेजा कांप उठा। उन्होंने देखा शेर बिल्कुल चिंपू के सामने खड़ा है और डर के मारे चिंपू खामोश खड़ा है उससे तो चीखा भी नहीं जा रहा है। अब चिंपू की मम्मी ने साहस जुटाया और चिंघाड़ते हुए दौड़ पड़ी शेर की तरफ। अचानक हुए हमले से शेर गिर पड़ा, उसे उम्मीद नहीं थी कि चिंपू की मम्मी यूँ हमला भी कर सकती है। इससे पहले की शेर संभलता चिंपू की मम्मी फिर टूट पड़ती है शेर पर और शेर को दुम दबा कर भागना पड़ता है।
शेर के भागने के बाद मम्मी की जान में जान आई और उन्होंने चिंपू को डांटते हुए बोला ..... मैंने कहा था ना लेकिन तुम मेरी बात नहीं सुनते अभी तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं क्या करती बताओ ? और मम्मी रोने लगती है । मम्मी को रोता देख कर चिंपू को अपनी गलती का अहसास होता है और मम्मी के गले लगते हुए बोलता है .... सॉरी मम्मी सॉरी अब हमेशा आपका कहना मानूँगा। कभी भी आपको तंग नहीं करूंगा आप रोओ मत।
मम्मी हँस पड़ती है और चिंपू को लेकर अपने घर की तरफ चल पड़ती है।
बताओ बच्चों कैसी लगी स्टोरी ? अच्छी थी ना ? तुम सब भी अपनी मम्मी का कहना मानोगे ना ? शैतानी तो नहीं करोगे ? बिना बताए दूर खेलने तो नहीं जाओगे ?
यस टीचर .... नो टीचर और सब बच्चे तालियां बजा कर खिलखिला पड़ते हैं।